इंदौर, 14 जनवरी । मध्यप्रदेश के इंदौर के एक व्यावसायिक समूह के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापे की कार्रवाई के दौरान 70 करोड़ रुपयों से ज्यादा की अघोषित आय सामने आयी है।
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार विभाग की लगभग एक दर्जन टीम तीन दिनों से कार्रवाई में जुटी हुई हैं। अब तक 12 बैंक लॉकर, 100 से ज्यादा बैंक खाते, एक करोड़ रुपयों से अधिक की नगदी और सोने-चांदी के आभूषण मिले हैं।
सूत्रों ने बताया कि अब तक 70 करोड़ रुपयों से ज्यादा की अघोषित आय सामने आई हैं। बैंक लॉकर से जमीनों में निवेश संबंधी कागजात मिले हैं। लगभग एक दर्जन ठिकानों पर छापे की कार्रवाई की गयी।
अनुमान है कि कार्रवाई आगामी एक दो दिनों तक जारी रहेगी। व्यावसायिक समूह मुख्य रूप से ‘रीयल ईस्टेट’ कारोबार से जुड़ा हुआ है।
आयकर विभाग की जांच में जेआरजी ग्रुप पर 70 करोड़ से अधिक की आयकर चोरी का पता चला है।जेआरजी ग्रुप के 50 से अधिक बैंक खाते हैं।आयकर विभाग को यह भी पता चला है कि 40 करोड़ की सांवेर में खरीदी जमीन का सौदे के दौरान 30 फीसदी राशि का चेक और 70 फीसदी राशि का भुगतान नकद में किया गया था।आयकर विभाग द्वारा ऑपरेशन का कोड ‘इंसान चाहता क्या है’ रखा गया था।
आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन विंग ने मंगलवार को ग्रुप के एक दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर छापा मार कार्रवाई की थी, जो देर रात तक चलती रही।
जेआरजी ग्रुप और उससे जुड़े पार्टनरों के यहां पड़े इन छापों में करोड़ों के बेनामी लेन-देन के साथ 50 से अधिक बैंक खाते, एक दर्जन लॉकर के साथ कई डायरियां और अन्य दस्तावेज, लैपटॉप, पेन ड्राइव जब्त की गई है।
काली कमाई खपाने के कई तरीके थे:
जेआरजी रियलिटी और उससे जुड़ी कंपनियों के कर्ताधर्ताओं के यहां जांच शुरू की गई, जिसमें घनश्याम गोयल, तिलक गोयल, अनिल धाकड़, रोशन पोरवाल के ठिकाने प्रमुख रूप से शामिल थे।
सूत्रों के मुताबिक, जमीनी कारोबार के साथ-साथ अनाज, दलहन के सौदों के जरिए भी काली कमाई को खपाया गया. आयकर विभाग की टीम अभी और भी जांच करेगी।
ध्यान शिविर का स्टीकर लगा रखा था गाड़ियों पर :
बिंल्डर अनिल धाकड़ के पॉश इलाके टेलिफोन नगर और साकेत में आलीशान बंगले हैं।टेलिफोन नगर में धाकड़ के बेटे अंशुल धाकड़ रहते हैं।अनिल धाकड़ भी यहां आते जाते रहते हैं।वह कुछ समय पहले ही साकेत स्थित बंगले में शिफ्ट हुए हैं।
आयकर की टीम जिन लक्जरी वाहनों से सर्वे की कार्रवाई करने धाकड़ के घर पहुंची थी उस पर एक ध्यान शिविर का स्टीकर लगाया गया था, ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि छापे की कार्रवाई की किसी को भनक न लग पाए इसलिए इस तरह के स्टीकर लगाए गए थे।