इंदौर, 15 मार्च । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ के बाद आज इंदौर खंडपीठ ने भी राज्य में प्रतीक्षित निगम और परिषद के निर्वाचन के मद्देनजर जारी आरक्षण अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी।
प्रशासनिक न्यायाधीश सुजॉय पॉल और न्यायाधीश शैलेन्द्र शुक्ला ने उक्त रोक आज उस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए लगाई जिसमे बीते 10 दिसंबर 2020 को राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी एक अधिसूचना को चुनौती दी गई है।
इस अधिसूचना में राज्य में निगम और परिषद के निर्वाचन के लिए विभिन्न पदों पर उम्मीदवारों को जाति वर्ग के आधार पर आरक्षण निर्धारित किया गया है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने बताया याचिकाकर्ता उक्त अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा कि इससे पहले सम्पन्न हुए कई निर्वाचनों में राज्य की निगम और परिषदों की कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर जाति वर्ग के आधार पर विभाजित आरक्षण श्रेणियों उम्मीदवार को पात्रता दी जा रही है।
इस तरह रोटेशन न होने से इन क्षेत्रों एक अन्य वर्गों के इच्छुक उम्मीदवारों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
याचिका में मांग की गई है कि प्रतीक्षित निगम और परिषदों के पदों पर होने वाले निर्वाचन में आरक्षण तय करने के पहले इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि जिन सीटों पर पूर्व में जिस वर्ग को आरक्षण का लाभ मिल चुका है।
उन वर्गों के अलावा अन्य जाति, समुदाय आधारित वर्गों, महिला पुरुष श्रेणियों को अवसर प्रदान किया जाये।
न्यायालय ने याचिका में राज्य शासन के मुख्य सचिव समेत एक अन्य और राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त से एक सप्ताह में अपना पक्ष इस मामले में स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं।
इंदौर के हातोद निवासी दो पूर्व पार्षदों के द्वारा दायर इस याचिका की आगामी सुनवाई 31 मार्च 2021 को हो सकती है।