इदौर 13 जून । आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज (उदय राव देशमुख) का बुधवार को मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया। भय्यूजी की बेटी कुहू ने उन्हें मुखाग्रि दी। भय्यूजी महाराज ने पारिवारिक तनाव के चलते मंगलवार को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह सिल्वर स्प्रिंग इलाके में स्थित उनके आवास से सूर्योदय आश्रम ले जाया गया, जहां उनके अनुयायियों ने उन्हें श्रद्घांजलि दी। भय्यूजी को केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे सहित कई प्रमुख लोगों ने श्रद्घांजलि दी।
भय्यूजी महाराज की अंतिम यात्रा सूर्योदय आश्रम से शुरू हुई। पार्थिव शरीर को एक खुले ट्रक में रखा गया था, जिसे पुष्पों से सजाया गया था। कई स्थानों पर अनुयायियों ने मंच बनाकर अपने गुरु को अंतिम विदाई दी। मुक्तिधाम में भय्यूजी के पार्थिव शरीर को उनकी बेटी कुहू ने मुखाग्रि दी।
भय्यू महाराज ने खुद कल खुद को गोली मारी और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार जब उन्हें लाया गया तब वे मृत अवस्था में थे। घटना होने के तुरंत बाद ही उन्हें सेवादार गाड़ी से बॉम्बे हॉस्पिटल लेकर आए थे।
भय्यू महाराज
भय्यू महाराज का वास्तिवक नाम उदयसिंह देशमुख है। इंदौर में बापट चौराहे पर उनका आश्रम है जहां से वे अपने ट्रस्ट के सामाजिक कार्यों का संचालन करते थे । भय्यू महाराज की पहली पत्नी का नाम माधवी है जिनका निधन हो चुका है। माधवी से उनकी एक बेटी कुहू है जो फिलहाल पुणे में पढ़ाई कर रही है।
भय्यू महाराज ने दूसरी शादी डॉक्टर आयुषी से की थी जो उनके साथ कई वर्षों से उनके ही आश्रम में सेवा में लगी थी।
हर जगह तक पहुंच
भय्यू महाराज की हर क्षेत्र में पहुंच मानी जाती रही है। फिल्म, राजनीति हो या फिर समाजसेवा। वे हर जगह सक्रिय रहते थे । उनके आश्रम में वीआईपी संत आते रहे हैं।
देश के कई बड़े राजनेता, अभिनेता, गायक और उद्योगपति उनके आश्रम आ चुके हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पीएम नरेंद्र मोदी, शिवसेना के उद्धव ठाकरे और मनसे के राज ठाकरे, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, अनुराधा पौडवाल, फिल्म एक्टर मिलिंद गुणाजी भी शामिल हैं।
मीडिया की नजर में ऐसे आए थे भय्यू महाराज
भय्यू महाराज तब मीडिया की नजरों में आए जब अन्ना हजारे के अनशन को तुड़वाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था। बाद में अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था। वहीं पीएम बनने के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब उपवास खुलवाने के लिए उन्होंने भय्यू महाराज को आमंत्रित किया था। भय्यू महाराज के सम्बन्ध देश की दिग्गज हस्तियों से रहा है।attacknews.in