नईदिल्ली 18 मई ।दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में एक 26 वर्षीय जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, अनस मुजाहिद की कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के कुछ ही घंटे बाद मौत हो गई। अनस मुजाहिद एक समर्पित कोविड डॉक्टर थे,वह 244 डॉक्टरों में सबसे कम उम्र के हैं, जिन्होंने इस साल भारत की दूसरी लहर में कोविड से अपनी जान गंवाई है, उन्हें कोरोना वैक्सीन नहीं लगा था।
केवल तीन फीसदी डॉक्टरों को लगी हैं वैक्सीन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन संस्था का कहना है कि इनमें केवल 3 फीसदी चिकित्सकों को वैक्सीन मिली थी। भारत सरकार ने बीते पांच माह से वैक्सीन का कार्यक्रम शुरू कर रखा है, लेकिन अभी तक केवल 66 फीसदी हेल्थ वर्कर को ही टीका लगाया जा सका है। यह बेहद गंभीर स्थिति है। इससे लोगों की जान बचाने को जूझ रहे खुद मौत के मुहाने पर जा खड़े हो गए हैं।
संस्था का कहना है कि वह डॉक्टरों को वैक्सीन देने के लिए हर संभव कोशिश करेगी। इन्हें ऐसे ही खतरे के सामने नहीं छोड़ा जा सकता।
आईएमए ने कोरोना की स्थिति से निपटने के लिए सही कदम न उठाने को लेकर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की।
कुछ समय पहले एक पत्र के जरिए आईएमए ने देश भर में एक साथ लॉकडाउन की वकालत की थी। इसमें आईएमए ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन लगाने के बजाय केंद्र को देश भर में लॉकडाउन की घोषणा करनी चाहिए।
भारत के टीकाकरण अभियान में पांच महीने में ,भारत के केवल 66 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है।
आईएमए ने कहा कि वह डॉक्टरों को इस के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
आईएमए के महासचिव डॉ जयेश लेले ने बताया कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने कल पूरे भारत में 50 डॉक्टरों को खो दिया और अप्रैल के पहले सप्ताह से दूसरी लहर में 244 डॉक्टरों को खो दिया.
कोरोना काल में डॉक्टरों की कमी
डॉ जयेश लेले ने कहा कि हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहते हैं कि डॉक्टरों की कमी और अधिक काम है,वे कभी-कभी बिना किसी आराम के 48 घंटे तक काम करते हैं।इससे वायरल लोड बढ़ जाता है और वे कोरोना का शिकार हो जाते हैं। सरकार को स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है।
जबकि आईएमए का कहना है कि अब तक कोविड के कारण एक हजार डॉक्टरों की मौत हो चुकी है, वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है. IMA केवल अपने लगभग 3.5 लाख सदस्यों का ही रिकॉर्ड रखता है. हालांकि, भारत में 12 लाख से अधिक डॉक्टर हैं।
पिछले साल पहली लहर के दौरान 736 डॉक्टरों की जान चली गई थी। भारत भर में अब तक लगभग एक हजार डॉक्टरों ने कोरोना के कारण अपनी जान गंवाई है।
कल कोरोना से मृतक डाक्टर मुजाहिद के परिवार में उसके माता-पिता और चार भाई-बहन हैं।एक हफ्ता बीत गया, लेकिन उनके दोस्त और सहयोगी डॉक्टर आमिर सोहेल अभी भी इस गम से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
उन्होंने कहा कि मुजाहिद कोरोना से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे थे, मुजाहिद के गले में खराश जैसे मामूली लक्षण थे और अस्पताल में एक एंटीजन टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और अचानक उनकी भी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी।
डॉ आमिर सोहेल ने कहा कि यह चौंकाने वाला था,उन्हें कोई बीमारी नहीं थी. उनके माता-पिता ने भी बताया कि उन्हें कभी भी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं हुई. कोई समझ नहीं पाया कि ऐसा कैसे हुआ. उसे टीका नहीं लगाया गया था। उन्होंने और कई सहयोगियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
अनस मुजाहिद में थे सामान्य लक्षण
डॉ सोहेल ने बताया कि वह पिछले महीने संक्रमित हुए थे और उनमें सामान्य लक्षण थे और फिर वह ठीक हो गए थे लेकिन, उन्होंने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि उनका दोस्त, जो घंटों पहले बिल्कुल ठीक लग रहा था, अचानक इतनी गंभीर क्या हुआ जो उसकी मौत हो गई।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, दूसरी लहर में कोविड के कारण 244 डॉक्टरों की जान चली गई है. उनमें से 50 मौतें कल दर्ज की गईं. सबसे ज्यादा मौतें बिहार (69) में हुई हैं, उसके बाद उत्तर प्रदेश (34) और दिल्ली (27) में हैं।
जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. के.के. अग्रवाल का कोरोना वायरस संक्रमण से निधन
पद्म श्री से सम्मानित जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. के.के. अग्रवाल का कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया। वह 62 वर्ष के थे।
अग्रवाल के आधिकारिक ट्विटर अकांउट पर एक बयान में यह जानकारी दी गई।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अग्रवाल को पिछले सप्ताह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था और वह वेंटिलेटर पर थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अग्रवाल के निधन को समूचे देश के लिए एक बड़ा नुकसान बताया है।
केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘डॉ. के. के. अग्रवाल का निधन पूरे देश के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने जीवन भर गरीबों, वंचितों के स्वास्थ्य अधिकारों के लिए काम किया। वह बहुत अच्छे इंसान थे।’’
ट्विटर पर पोस्ट एक बयान के अनुसार, ‘‘कोविड-19 से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद’’ सोमवार देर रात साढ़े 11 बजे अग्रवाल ने अंतिम सांस ली।
बयान में कहा गया, ‘‘वैश्विक महामारी के दौरान भी उन्होंने लोगों को शिक्षित करने के लगातार प्रयास किए, वह कई वीडियो तथा शैक्षिक कार्यक्रमों के जरिए करीब 10 करोड़ लोगों तक पहुंचे और अनेक लोगों की जान बचाई। वह चाहते थे कि उन्हें खुश होकर याद किया जाए, दुखी होकर नहीं।’’
के. के. अग्रवाल के परिवार में उनकी पत्नी डॉ. वीणा अग्रवाल, पुत्र निलेश और बेटी नैना हैं।
अग्रवाल को 2010 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया था। वह डॉ बी सी रॉय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए थे। हाथ से सीपीआर देकर जीवनरक्षक तकनीक में अधिकतम लोगों को प्रशिक्षण देने के लिए अग्रवाल का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज हुआ था।
अग्रवाल का जन्म पांच सितंबर 1958 में दिल्ली में हुआ था।
अग्रवाल ने नागपुर विश्वविद्यालय के तहत एमजीआईएमएस, सेवाग्राम से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी।
आईएमए ने अग्रवाल के निधन को ‘‘अप्रत्याशित और गहरा नुकसान’’ बताया है।
आईएमए ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘डॉ. के. के. अग्रवाल बहुत बड़ी शख्सियत थे और जन शिक्षा और जागरूकता के क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया। महामारी के दौरान भी हम सबका मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने लाखों लोगों की सेवा की। उनके जाने से आईएमए को अपूरणीय क्षति हुई है।