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भारत में बाघों की गिनती के लिए ली गई थी साढ़े तीन करोड़ तस्वीरें और इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया attacknews.in

नईदिल्ली 30 जुलाई ।भारत में हुई बाघों की गिनती के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया।बाघों की संख्या तीन हजार के लगभग है।इसे पता करने के लिए देशभर में अलग-अलग इलाकों में करीब साढ़े तीन करोड़ तस्वीरें ली गईं।

वर्ष 2018 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग कर यह अनुमान लगाया गया कि देशभर में करीब तीन हजार बाघ हैं. इस तकनीक से बाघों की संख्या का पता लगाने के लिए कैमरे से कुल 3.5 करोड़ तस्वीरें ली गई, जिनमें 76,523 तस्वीरों में बाघ नजर आए. विभिन्न स्तरों पर किए गए प्रयासों से भारत में 12 वर्षों में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जुलाई को ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन के चौथे चरण कि रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि भारत ने 2022 की तय समयसीमा से चार साल पहले ही बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. इस दौरान बताया गया कि 2006 में जहां बाघों की कुल संख्या महज 1,411 रह गई थी, वहीं 2018 में यह बढ़कर 2,967 तक पहुंच गई है।

भारत के वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के टाइगर सेल के प्रमुख वाईवी झाला से पूछा गया कि अन्य देश बाघों को बचाने के संकट से जूझ रहे हैं तो भारत ने इनकी आबादी में अभूतपूर्व बढ़ोतरी कैसे हासिल कर ली? झाला ने कहा, “इसका कारण लोगों का रवैया है.”

उन्होंने कहा, “भारत में लोग जानवरों के साथ सह-अस्तित्व के लिए तैयार हैं. उच्च मानव जनसंख्या घनत्व के बावजूद वे ‘जियो और जीने दो’ के आदर्श वाक्य का पालन करते हैं. अन्य देशों में, जानवरों का आम तौर पर शोषण किया जाता है.”

सर्वे के दौरान बाघों वाले 20 राज्यों में तीन लाख 81 हजार 400 वर्ग किमी क्षेत्र में बाघों की गणना की गई. इसमें डेढ़ वर्षो के अंतराल में 26,838 स्थानों पर कैमरा ट्रैप का उपयोग किया गया.

झाला ने कहा कि कैप्चर-मार्क-रिकैप्चर पद्धति के माध्यम से प्राप्त कुल 3.5 करोड़ तस्वीरों में से 76,651 तस्वीरों में बाघ पाए गए।

उन्होंने बताया कि इसके बाद पैटर्न रिकोग्निशन प्रोग्राम के माध्यम से बाघों की व्यक्तिगत पहचान की गई. इसके जरिए बाघों की कुल 2,967 संख्या में से 2,461 (83 फीसदी) बाघों की व्यक्तिगत तस्वीर लेने में सफलता हासिल हुई. राज्य के वन विभागों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के विभिन्न प्रयासों से यह सफलता मिली है. इसमें बाघ प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

झाला ने कहा कि अगली गणना तक बाघों की संख्या आसानी से एक हजार और बढ़ सकती है।

दिलचस्प बात यह है कि गणना में गिने जाने वाले कुल बाघों में से 30 फीसदी बाघों की तस्वीरें ऐसे क्षेत्रों से ली गई है जो संरक्षित क्षेत्रों में नहीं आते हैं।

एनटीसीए के पूर्व प्रमुख राजेश गोपाल ने कहा, “यह टाइगर रिजर्व की देखभाल का नतीजा है. चुनौती अब संरक्षित क्षेत्रों से परे है और संघर्ष से पार पाने के लिए हम तैयार हैं.” डब्ल्यूआईआई के एक वैज्ञानिक बिलाल हबीब ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर बाघ संरक्षण संभव नहीं हो पाएगा, अगर लोग उनकी उपस्थिति से असहज महसूस करेंगे और खुश नहीं होंगे। attacknews.in

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