संयुक्त राष्ट्र, 27 जून । भारत ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुये संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वह पिछले कई दशकों से खासकर सीमा पार से होने वाले आतंकवाद का शिकार रहा है और कुछ देश ऐसे हैं जो आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने एवं आतंकवादियों को पनाह देने के लिए “साफ तौर पर दोषी” हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने दूसरे आतंकवाद निरोधक सप्ताह के दौरान ‘कोविड-19 के बाद के परिदृश्य में ‘आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटना’ विषय पर उच्च स्तरीय ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि आतंकवाद के खतरे से सफलतापूर्वक निपटने के लिए आर्थिक संसाधनों तक आतंकवादियों की पहुंच को रोकना अहम है।
तिरुमूर्ति ने शुक्रवार को कहा, “भारत पिछले कई दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है। वह खासकर सीमा पार से आतंकवाद का शिकार रहा है।”
उन्होंने कहा कि कुछ देश ऐसे हैं, जिनके पास आतंकवाद को धन मुहैया कराने से रोकने के लिए जरूरी क्षमताओं और कानूनी-परिचालन ढांचों का अभाव है, वहीं “कुछ अन्य देश हैं जो आतंकवाद को सहायता देने और आतंकवादियों को इच्छा से आर्थिक सहयोग और पनाह देने के साफ-साफ दोषी’’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अक्षम देशों की क्षमताओं को निश्चित तौर पर बढ़ाना चाहिए, वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दोषियों का सामूहिक रूप से साफ तौर पर नाम लेना चाहिए और उन्हें जिम्मेदार ठहराना चाहिए।’’
संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि की ये टिप्पणियां पाकिस्तान की ओर स्पष्ट तौर पर इशारा करती हुई प्रतीत होती हैं।
तिरुमूर्ति ने आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) को मजूबत करने और संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक ढांचे को अधिक वित्त उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया। भारत ने इस कार्यक्रम का आयोजन फ्रांस के स्थायी मिशन, संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय, संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोध कार्यालय और सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति कार्यकारी निदेशालय के साथ मिलकर किया था।
उन्होंने चिंता जतायी कि कोविड-19 महामारी से आतंकवाद वित्त पोषण निरोधक (सीएफटी) के प्रयासों को नए खतरे पैदा हुए है और फर्जी परमार्थ, फर्जी गैर लाभकारी संगठन (एनपीओ) और लोगों से निधि एकत्रित करने जैसे तरीके आतंकवाद के वित्त पोषण के अधिक स्रोत बन रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादी संगठनों ने वित्त जुटाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। क्षेत्र में विभिन्न व्यक्तियों, एनपीओ और आतंकवादी संगठनों के बीच संबंधों की पहचान को उचित महत्व दिया गया है। हम आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नयी तकनीकों के दुरुपयोग से होने वाले खतरे को लेकर सतर्क हैं लेकिन इनमें से कई तकनीकों के लाभ जोखिम से कहीं अधिक हैं और हमारे सीएफटी के प्रयासों को मजबूत करने के लिए इनका उपयोग करने की आवश्यकता है।’’
तिरुमूर्ति ने कार्यक्रम में कहा कि भारत उन्नत विश्लेषण करने, वित्तीय खुफिया ढांचे को मजबूत करने और आतंकवाद के वित्त पोषण वाले मामले कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जल्द से जल्द सौंपने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता, चैटबॉट्स ऐप, वर्चुअल सहायक, लोकेशन बुद्धिमता समेत अन्य चीजें लाकर अपने वित्तीय खुफिया नेटवर्क को उन्नत बनाने की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा कि ऑडिट से बचने के लिए नकद में लेनदेन अब भी आतंकवाद के वित्त पोषण के प्रमुख तरीकों में से एक है। उन्होंने कहा कि बैंकों के जरिए नकद लेनदेन को कम करने की ओर सरकार के कदम बैंकों के जरिए नकदी के प्रवाह को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित हो रहे हैं।
राजूदत ने कहा कि भारत 2010 से वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) का सदस्य है और एफएटीएफ की अनुशंसा के अनुसार आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़ा राष्ट्रीय जोखिम आकलन नियमित तौर पर किया जाता है ताकि आतंकवादियों द्वारा पैदा खतरों की पहचान की जा सके।
उन्होंने कहा कि भारत ने 2019 और 2020 में राष्ट्रीय जोखिम आकलन किया और धन शोधन तथा आतंकवाद के वित्त पोषण के खतरों के संबंध में एफएटीएफ की अनुशंसाओं को लागू करने में ‘‘जबरदस्त प्रगति’’ की है। भारत एफएटीएफ के आगामी आकलन की तैयारी कर रहा है।