नयी दिल्ली, 21 नवंबर । भारत ने करीब तीन साल पहले गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गये दो व्यक्तियों को पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों में जासूस लिखे जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुये उनसे काउंसिलर एक्सेस यानी राजनयिक संपर्क की अनुमति देने और जल्द से जल्द रिहा करके स्वदेश भेजने के लिए कहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने नियमित ब्रीफिंग में इस बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि मीडिया में ऐसी रिपोर्टें आयी हैं कि प्रशांत वेन्डुम और वारीलाल गलती से पाकिस्तान की सीमा लांघ कर चले गये थे। जिस समय हमें पता चला, उसी समय हमने पाकिस्तान को सूचित कर दिया था कि ये लोग उनकी सीमा में हो सकते हैं। इसके लिए अनौपचारिक लिखित सूचना दी गयी थी, लेकिन पाकिस्तान ने उसका कोई जवाब नहीं दिया था।
श्री कुमार ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से अचानक उनकी गिरफ्तारी की घोषणा हमारे लिये आश्चर्य की बात है। हमने पाकिस्तान को तुरंत ही पत्र लिखा है और कहा है कि ये लोग किसी दुष्प्रचार का औज़ार नहीं बनें, इसलिए शीघ्राति-शीघ्र उनसे राजनयिक संपर्क की अनुमति दी जाए और उन्हें तुरंत रिहा किया जाये ताकि वे अपने परिवार से मिल सकें।
पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के अनुसार वहां के अधिकारियों ने कथित रूप से देश में अवैध प्रवेश के लिए भारत के दो नागरिकों को गिरफ्तार किया है। भारतीय नागरिकों की पहचान मध्य प्रदेश के निवासी प्रशांत और तेलंगाना के रहने वाले वारीलाल के रूप में हुई है। खबर में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि दोनों को पंजाब प्रांत के बहावलपुर में हिरासत में लेकर मामला दर्ज कर लिया गया। उनके पास उचित दस्तावेज नहीं थे। पाकिस्तानी मीडिया में कहा गया है कि इस वजह से इस बात को लेकर चिंतायें बढ़ गई हैं कि कहीं उन्हें आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए तो पाकिस्तान नहीं भेजा गया।
भारत ने करतारपुर तीर्थयात्रियों पर शुल्क माफी का मुद्दा उठाया
भारत ने पाकिस्तान के समक्ष करतारपुर तीर्थयात्री पर 20 अमेरिकी डॉलर की शुल्क माफ किए जाने का मुद्दा उठाया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत पिछले कुछ दिनों से करतारपुर जाने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री पर एकतरफा रूप से पाकिस्तान की ओर से लगाये जा रहे शुल्क का मुद्दा उठा रहा है, लेकिन उसने अब तक इस पर सहमति नहीं जतायी है। उन्होंने कहा, “हम अभी भी पाकिस्तान से अनुरोध कर रहे हैं कि यदि वह उन प्रतिबंधों को हटा देता है, तो उन तीर्थयात्रियों को आसाना होगी , जो इसका सामना कर रहे हैं।”
भारत ने राजपक्षे को बतायी तमिलों की अपेक्षायें
भारत ने श्रीलंका के नये राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से अपेक्षा व्यक्त की है कि वे समानता, न्याय, शांति एवं गरिमा की तमिल आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय मेलमिलाप की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे और देश को समग्र विकास के रास्ते पर ले जाएंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहाँ नियमित ब्रीफिंग में श्रीलंका के नये राष्ट्रपति एवं भारत के साथ उनके भावी संबंधों के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि श्रीलंका अथवा किसी भी पड़ोसी देश के साथ भारत के संबंध किसी तीसरे देश के साथ संबंधों से स्वतंत्र हैं। श्रीलंका के साथ भारत के बहुआयामी संबंध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। प्रधानमंत्री ने अपने बधाई वाले ट्वीट में कहा था कि हम श्रीलंका की नयी सरकार के साथ दोनों देशों के संबंध अधिक प्रगाढ़ बनाने एवं क्षेत्रीय शांति सुरक्षा एवं समृद्धि के मकसद से निकटता से काम करना चाहते हैं। श्री राजपक्षे ने प्रधानमंत्री का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और वह 29 एवं 30 नवंबर को भारत आएंगे।