नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर ।भारत की पशुधन आबादी 2012 की तुलना में बढ़कर 53 करोड़ 57.8 लाख हो गई है जबकि इसी दौरान गायों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़कर 14 करोड़ 51.2 लाख हो गई है। ताजा जनगणना में यह जानकारी दी गई है।
बुधवार को जारी पशुधन गणना -2019 में पता चला कि भेड़, बकरी और मिथुन की आबादी दोहरे अंकों में बढ़ी है, जबकि घोड़े और टट्टू, सूअर, ऊंट, गधे, खच्चर और याक की गिनती में गिरावट आई है।
मतस्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘देश में कुल पशुधन की संख्या 53 करोड़ 57.8 लाख है, जो पशुधन गणना -2018 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है।’’ राज्यों में, पश्चिम बंगाल में पशुधन संख्या में सर्वाधिक 23.32 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके बाद वृद्धि के मामले में तेलंगाना (22.21 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (15.79 प्रतिशत), बिहार (10.67 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (11.81 प्रतिशत) का स्थान है।
हालांकि, उत्तर प्रदेश (1.35 प्रतिशत), राजस्थान (1.66 प्रतिशत) और गुजरात (0.95 प्रतिशत) में पशुधन में गिरावट हुई है।
पशुधन की इस 20 वीं जनगणना के अनुसार, गोधन की हिस्सेदारी 35.94 प्रतिशत, बकरी (27.8 प्रतिशत), भैंस (20.45 प्रतिशत), भेड़ (13.87 प्रतिशत) और सूअर (1.69 प्रतिशत) है।
वर्ष 2012 की जनगणना की तुलना में गोधन, भैंस, मिथुन और याक की संख्या एक प्रतिशत बढ़कर 30 करोड़ 27.9 लाख हो गई। मिथुन अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है।
बयान में कहा गया है, ‘‘वर्ष 2019 में देश में कुल गोधन (गाय-बैल) की संख्या 19 करोड़ 24.9 लाख है, जो पिछली जनगणना की तुलना में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसमें मादा गोधन (गायों की आबादी) 14 करोड़ 51.2 लाख है, जो पिछली जनगणना (2012) के मुकाबले 18 प्रतिशत बढ़ी है।’’ विदेशी / क्रॉसब्रीड तथा स्वदेशी / गैर-विवरणित मवेशी आबादी क्रमशः पांच करोड़ 4.2 लाख और 14 करोड़ 21.1 लाख है। पिछलीगणना की तुलना में वर्ष 2019 में स्वदेशी / गैर-विवरणी मादा मवेशियों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पिछली गणना की तुलना में वर्ष 2019 में कुल विदेशी / क्रॉसब्रीड मवेशियों की आबादी 26.9 प्रतिशत बढ़ी है।
भैंसों की कुल संख्या लगभग एक प्रतिशत बढ़कर 10 करोड़ 98.5 लाख हो गई, जबकि गायों और भैंसों सहित दुधारू पशुओं (दूध दे रहे और शुष्क) की गिनती 12 करोड़ 53.4 लाख है, जो पिछली जनगणना से छह प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
आंकड़ों के मुताबिक, देश में वर्ष 2019 में कुल भेड़ें सात करोड़ 42.6 लाख हैं, जो पिछली गणना से 14.1 फीसदी अधिक है।
नवीनतम गणना के अनुसार, बकरियों की संख्या 10 प्रतिशत बढ़कर 14 करोड़ 88.8 लाख हो गई है लेकिन सुअर की संख्या 12 प्रतिशत घटकर 90.6 लाख है।
कुल मवेशियों में मिथुन, याक, घोड़े, टट्टू, खच्चर, गधे, ऊंट सहित अन्य पशुधन का 0.23 प्रतिशत का योगदान हैं और उनकी कुल संख्या 12.4 लाख है।
ताजा गणना रपट के अनुसार देश में 2019 में गधों की संख्या 61 फीसदी घटकर 1,20,000 रह गई, जबकि ऊंटों की संख्या 37 फीसदी घटकर 2,50,000 रह गई है।
बयान में कहा गया है, ‘‘देश में वर्ष 2019 में कुल घोड़े और टट्टू 3.4 लाख (3,40,000) हैं, जो पिछली गणना के मुकाबले 45.6 प्रतिशत कम है।’’ मंत्रालय ने कहा कि पशुधन के अलावा, वर्ष 2019 में कुक्कुट की संख्या लगभग 17 प्रतिशत बढ़कर 85 करोड़ 18.1 लाख हो गई है।
बीसवीं पशुधन गणना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी के साथ आयोजित की गई थी। इसमें लगभग 6.6 लाख गाँव, 89,000 शहरी वार्ड को शामिल किया गया और इनमें 27 करोड़ से अधिक घरों और घुमन्तू परिवारों को शामिल किया गया।
चूंकि दिल्ली में जनगणना अभी पूरी नहीं हुई है, इसलिए इस रपट में दिल्ली के आंकड़े पिछली गणना के हैं
तेजी से घटे गधे-
परिवहन के नये-नये साधनों के बढ़ते प्रयोग के कारण ग्रामीण और दुर्गम स्थानों में सामान ढोने में अहम भूमिका निभाने वाले गधों की संख्या में भारी गिरावट हुयी है तथा देश में इनकी संख्या मात्र एक लाख 20 हजार रह गयी है।
देश में पशु गणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले सात वर्ष में गधों की संख्या में 61.23 फीसदी की गिरावट आयी है। वर्ष 2012 में हुयी पिछली पशु गणना में इनकी संख्या तीन लाख 20 हजार थी जो अब घटकर एक लाख 20 हजार रह गयी है । इस दौरान गधों की संख्या ही नहीं ऊंट , घोड़े, टट्टू आैर खच्चरों की संख्या भी तेजी से घटी है। वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2019 में घोड़ा , टट्टू और खच्चर की संख्या में 51.9 प्रतिशत की कमी आयी है । अब देश में इनकी संख्या 5.50 लाख रह गयी है ।
घोड़ा और टट्टू की संख्या वर्ष 2012 में छह लाख 20 हजार थी जो 45.58 प्रतिशत घटकर तीन लाख 40 हजार रह गयी है । दुर्गम स्थनों में रसद पहुंचाने में सेना की मदद करने वाले अश्व प्रजाति के खच्चरों की संख्या 57.9 प्रतिशत घटकर मात्र 80 हजार रह गयी है । वर्ष 2012 में इनकी संख्या दो लाख थी ।
गधों के लिए मशहूर राजस्थान में इनकी संख्या केवल 23 हजार ही बची है । वर्ष 2012 में राज्य में 81 हजार गधे थे । इनकी संख्या में 71.31 प्रतिशत की गिरावट आयी है । उत्तर प्रदेश में गधों की संख्या 57 हजार से 71.92 प्रतिशत घटकर 16 हजार रह गयी है ।
व्यावसायिक कारोबार के लिए प्रसिद्ध गुजरात में इसी अवधि में गधों की संख्या में 70.94 प्रतिशत घटी है । राज्य में इनकी संख्या 2012 में 39 हजार थी जो अब 11 हजार रह गयी है ।
महाराष्ट्र में गधों की संख्या 39.69 प्रतिशत घटकर 18 हजार , बिहार में 47.31 प्रतिशत घटकर 11 हजार , जम्मू कश्मीर में 44.55 प्रतिशत घटकर 10 हजार , कर्नाटक में 46.11 प्रतिशत घटकर नौ हजार , मध्य प्रदेश में 45.46 प्रतिशत घटकर आठ हजार , हिमाचल प्रदेश में 34.73 प्रतिशत घटकर पांच हजार और आन्ध्र प्रदेश 53.22 प्रतिशत घटकर पांच हजार रह गयी है ।
रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की संख्या 37.1 प्रतिशत घटकर मात्र ढाई लाख रह गयी है । वर्ष 2012 में इनकी संख्या चार लाख थी । वर्ष 2019 तक ऊंटनी की संख्या एक लाख 70 हजार और ऊंट की संख्या 80 हजार दर्ज की गयी है ।
राजस्थान में ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऊंट मात्र दो लाख 13 हजार ही बचे हैं । वर्ष 2012 में इनकी संख्या तीन लाख 26 हजार थी । इनकी संख्या में 34.69 प्रतिशत की गिरावट आयी है । तेजी से शहरी करण की ओर बढ रहे हरियाणा में ऊंटों की संख्या 72.65 प्रतिशत गिरकर मात्र पांच हजार रह गयी है । राज्य में वर्ष 2012 में 19 हजार ऊंट थे ।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 में आठ हजार ऊंट थे जो 69.45 प्रतिशत घटकर दो हजार रह गये हैं । गुजरात में अब 28 हजार ऊंट ही बचे हैं जो वर्ष 2012 के 30 हजार से 9.19 प्रतिशत कम है ।