श्रीहरिकोटा ,(आंध्रप्रदेश) 01 अप्रैल । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पहली बार तीन विभिन्न कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने वाले पीएसएलवी- सी 45 का सोमवार सुबह नौ बजकर 27 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से सफल प्रक्षेपण किया जिसके साथ प्राथमिक उपग्रह एमिसैट तथा अन्य विदेशी नैनो उपग्रहों काे अंतरिक्ष में छोड़ा गया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि धुव्रीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-45 अपने 47 वें अभियान में दूसरे लांच पैड से उडान भरी।
प्रक्षेपण अधिकृत बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद कल सुबह इस मिशन के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई और पूरे 27 घंटे की उल्टी गिनती के बाद पीएसएलवी-सी 45 ने अपने 47 वें मिशन के तहत आज निर्धारित समय पर सफल उड़ान भरी।
इसरो और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से इस उपग्रह को बनाया है। इससे सीमा पर राडार और सेंसर पर नजर रखने के साथ- साथ इलेक्ट्रॉनिक नक्शा भी आसानी से बनाया जा सकेगा।
एमिसैट का वजन 436 किलाेग्राम है और इसका मकसद विद्युत चुंबकीय स्पैक्ट्रम को मापना है। यह रक्षा शोध एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) का“ इलैक्ट्रानिक इंटेलीजेंस ” उपग्रह है और 28 नैनाे उपग्रह लिथुआनिया, स्पेन , स्विटजरलैंड तथा अमेरिका के हैं जिनका प्रक्षेपण वाणिज्यिक कार्यक्रम के तहत किया गया।
इसके अलावा पीएसएलवी अपने साथ तीन प्रायोगिक पे लोड भी ले गया।
भारत ने यहां अपने पोलर रॉकेट से एक सैन्य उपग्रह एमीसैट और 28 विदेशी नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण करके इतिहास रच दिया।
रॉकेट पीएसएलवी-सी45 ने अपने 47वें मिशन पर 436 किलोग्राम वजनी एमीसैट और लिथुआनिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड तथा अमेरिका के 28 उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया।
27 घंटे की उल्टी गिनती खत्म होने के बाद पीएसएलवी-सी45 रॉकेट का यहां से करीब 125 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सुबह नौ बजकर 27 मिनट पर प्रक्षेपण किया गया।
इसरो ने कहा कि एमीसैट उपग्रह का उद्देश्य विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है। हालांकि उसने उपग्रह की जानकारियों के बारे में कोई और खुलासा करने से इनकार कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीहरिकोटा से पोलर रॉकेट पीएसएलवी-सी45 से एमीसैट उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने मिशन नियंत्रण केंद्र में कहा, ‘‘आज, पीएसएलवी सी45 ने 748 किलोमीटर दूर कक्षा में इसरो निर्मित एमीसैट के साथ ही 504 किलोमीटर दूर स्थित कक्षा में 28 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया।’’
सोमवार के प्रक्षेपण पर उन्होंने कहा कि अपनी तरह का अलग यह मिशन इसरो के लिए बहुत खास है।
उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार प्रक्षेपण के लिए पहले चरण में चार स्ट्रैप-ऑन मोटर्स से लैस पीएसएलवी-क्यूएल रॉकेट के नए प्रकार का इस्तेमाल किया गया। पहली बार किसी पीएसएलवी ने एक बार में तीन अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित किया।’’
सफल प्रक्षेपण पर टीम को बधाई देते हुए सिवन ने कहा, ‘‘इस बेहतरीन सफलता के पीछे काफी काम किया गया। इसरो टीम के हर व्यक्ति ने इसमें योगदान दिया। मैं इस खास मिशन को बड़ी सफलता बनाने के लिए इसरो टीम के सदस्यों के साथ उनके परिवारों को बधाई देता हूं तथा उनकी प्रशंसा करता हूं।’’
उन्होंने कहा कि पीएसएलवी-सी45 मिशन में इंडस्ट्री ने बड़ी भूमिका निभाई। इस मिशन के लिए करीब 95 फीसदी हार्डवेयर इसरो के बाहर बनाए गए।
इसरो के लिए भविष्य की योजनाओं पर उन्होंने कहा कि इन सभी शानदार मिशनों को पूरा करने के बाद इसरो का इस साल के अंत तक 30 मिशनों के प्रक्षेपण का कार्यक्रम है।
पीएसएलवी का भारत के दो अहम मिशनों 2008 में ‘‘चंद्रयान’’ और 2013 में मंगल ऑर्बिटर में इस्तेमाल किया गया था। यह जून 2017 तक 39 लगातार सफल प्रक्षेपणों के लिए इसरो का सबसे भरोसेमंद और बहु उपयोगी प्रक्षेपण यान है।
एक अधिकारी ने बताया कि इस पहल के दौरान कुल 220 किलोग्राम वजन के अन्य सभी 28 विदेशी उपग्रहों को एक-एक करके करीब 504 किलोमीटर दूर स्थित कक्षा में स्थापित किया गया। इस प्रक्रिया में 160 मिनट लगे।
अन्य 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों में लिथुआनिया के दो, स्पेन का एक, स्विट्जरलैंड का एक और अमेरिका के 24 उपग्रह शामिल हैं।
इसरो ने बताया कि इन सभी उपग्रहों का वाणिज्यिक समझौतों के तहत प्रक्षेपण किया जा रहा है।
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