नयी दिल्ली, नौ दिसंबर । राज्य सरकारें लोगों को पाइपलाइन से आपूर्ति किये जाने वाले पीने के पानी के लिये बीआईएस मानक ‘अनिवार्य’ बनाने पर सहमत हो गईं हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को यह जानकारी देते हुये कहा कि इससे लोगों को सुरक्षित और बेहतर गुणवत्ता वाला पानी उपलब्ध हो सकेगा।
इस समय, पाइप से आपूर्ति किये जाने वाले पेयजल के लिए बीआईएस मानक अपनाना स्वैच्छिक है। केंद्र इसे अनिवार्य बनाने पर विचार कर रहा है और इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में जल शक्ति मंत्रालय को लिखा है।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा पीने के पानी पर किए गए परीक्षणों के बीच यह प्रस्ताव सामने आया है। इस परीक्षण में पाया गया कि पाइपलाइन से आपूर्ति किये जाने वाले पानी की गुणवत्ता मुंबई में मानक के अनुरूप थी जबकि दिल्ली सहित कई राज्यों की राजधानियों में पानी की गुणवत्ता खराब थी।
पासवान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राज्य सरकारों के साथ विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि वे बीआईएस मानकों का पालन करते हैं और यहां तक कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने भी कहा कि वह बीआईएस मानकों का पालन करता है। …. चर्चा के बाद, बीआईएस मानक अनिवार्य बनाने के बारे में एक राय बनी। दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि उन्हें इस बात पर आपत्ति नहीं है।’’ पासवान यहां राज्य सरकार के अधिकारियों को पेयजल के लिए बीआईएस मानक की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश सहित तीन- चार राज्यों को छोड़कर बैठक में ज्यादातर राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
दिल्ली में पीने के पानी की गुणवत्ता के बारे में, मंत्री ने कहा कि घरों में आगे की आपूर्ति के लिए ट्रीटमेंट प्लांट में पानी छोड़े जाने से पहले पानी के स्रोत की जाँच की जानी जरूरी है।
पासवान ने कहा, ‘‘इसमें हमारा कोई निजी हित नहीं है। हमारा इरादा गरीबों को पीने के पानी की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।’’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्यों की सरकारों के साथ चर्चा का एक और दौर दो-तीन महीने बाद चलेगा।
पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए, बीआईएस ने परीक्षण के दो चरण आयोजित किए हैं तथ नमूना संग्रह और परीक्षण के दो और दौर चलाने की योजना बनाई है।
पहले चरण में, दिल्ली भर के 11 विभिन्न स्थानों से पीने के पानी के नमूने लिए गए थे और दूसरे चरण में, 20 राज्यों की राजधानियों में 10 स्थानों से 10 नमूने लिए गए थे।
पासवान ने 16 नवंबर को, बीआईएस अध्ययन के दूसरे चरण को जारी किया जिसमें कहा गया था कि कोलकाता और चेन्नई के साथ साथ दिल्ली के पीने के पानी के 11 गुणवत्ता मानकों में से लगभग 10 पर नमूने विफल साबित हुए है।
तीसरे चरण में, पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानी और 100 स्मार्ट शहरों में पाइप से आपूर्ति होने वाले पेयजल के नमूनों का परीक्षण किया जाएगा और उनके परिणाम 15 जनवरी, 2020 तक आने की उम्मीद है।
जबकि चौथे चरण में, देश के सभी जिला मुख्यालयों से नमूनों का परीक्षण करने का प्रस्ताव है और परिणाम 15 अगस्त, तक आने की उम्मीद है।