नयी दिल्ली, 06 जून । कोरोना के टीकाकरण को लेकर सत्ता पक्ष – विपक्ष की बहस के बीच सरकारी आंकड़ों में बताया गया कि विपक्ष शासित नौ राज्यों में कोविड के 33.23 लाख टीके बरबाद हो गये हैं जबकि इन राज्यों में टीकाकरण की गति बहुत धीमी है। महाराष्ट्र एवं केरल में महामारी की दूसरी लहर जल्द आने के बावजूद राज्य सरकारों ने टीकाकरण को लेकर उदासीनता ही दिखायी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में 11.65 लाख, केरल में 6.33 लाख, राजस्थान में 4.76 लाख, आंध्र प्रदेश में 2.89 लाख, तेलंगाना में 2.25 लाख, दिल्ली में 1.82 लाख, छत्तीसगढ़ में 1.55 लाख, पंजाब में 1.43 लाख एवं झारखंड में 55 हजार टीके बरबाद हुए हैं।
दस्तावेजों में 45 वर्ष से अधिक आयु केे लोगों के टीकाकरण के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में मात्र 23 प्रतिशत, पंजाब में 32 प्रतिशत, तेलंगाना में 39 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में 40-40 प्रतिशत, केरल में 49 प्रतिशत, दिल्ली में 50 प्रतिशत, राजस्थान में 64 प्रतिशत तथा छत्तीसगढ़ में 65 प्रतिशत आबादी को पहला टीका लगाया गया है। स्वास्थ्य कर्मियों तथा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के मामले में भी ये राज्य अन्य राज्यों से पीछे हैं।
उधर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए सवाल किया कि मोदी सरकार ने सितंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच देश में ऑक्सीजन बेड की संख्या 36 प्रतिशत, सघन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) की संख्या 46 प्रतिशत तथा वेंटीलेटर बेड 28 प्रतिशत कम क्यों किये थे।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पर संसदीय समिति, सीरो सर्वेक्षण एवं विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद सरकार क्यों आंखें मूंदे रही।
इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय वित्त एवं कारपोरेट कार्य राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि श्रीमती वाड्रा को ये सवाल अपनी राज्य सरकारों से पूछने चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है, केन्द्र सरकार का नहीं।
श्री ठाकुर ने कहा कि यह देश के लिए बहुत दुखद अनुभव रहा कि कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी नेताओं ने केवल एक व्यक्ति को घेरने के लिए दुनिया में देश को बदनाम करने का प्रयास किया तथा कोविड के टीके को लेकर अपने बयानों से भ्रम फैलाकर देशवासियों को मौत के मुंह में धकेलने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष ने थोड़ी सी भी जिम्मेदारी दिखायी होती तो कोरोना की इस दूसरी लहर में बड़ी संख्या में जानें बचायीं जा सकतीं थीं।
श्री ठाकुर ने कहा कि कोविड एक वैश्विक महामारी है और पूरी दुनिया में इससे मुकाबले के लिए प्रयास चल रहे हैं। इजरायल जैसे देश में विपक्षी नेता अपने तीखे विरोधों को ताक पर रख कर इस आपदा से मुकाबला कर रहे हैं लेकिन यहां विपक्षी नेताओं ने निहायत गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया।
उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने देश की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाया और विदेशी वायरस को भारत का वायरस बताया। अफवाह फैला कर लोगों को खासकर आदिवासी एवं दलित ग्रामीणों को वैक्सीन से दूर रहने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश, शशि थरूर, आनंद शर्मा और स्वयं श्री राहुल गांधी ने अपने बयानों में ‘यू-टर्न’ लिये। एक अन्य पार्टी के नेता ने कोविड के वैक्सीन को भाजपा का टीका कह कर अपने समर्थकों को टीका नहीं लगवाने के लिए प्रेरित किया और बाद में खुद जाकर टीका लगवा आये।
श्री थरूर ने एक बार टीके को खतरनाक बताया और बाद में उसे मुफ्त लगाने की मांग की। श्री रमेश ने कोवैक्सीन के लिए मानकों काे बदले जाने का आरोप लगाया और फिर वैक्सीन की खरीद में मदद की गुहार भी लगायी। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री टी एस सिंहदेव ने 30 अप्रैल को ऐलान किया कि उनका राज्य कोवैक्सीन को समर्थन नहीं देता है और 15 दिन के भीतर वे डेढ़ करोड़ कोवैक्सीन की खरीद का ऑर्डर भी दे देते हैं।
कांग्रेस शासित राजस्थान में वैक्सीन के कूड़ेदान में फेंके जाने तथा पंजाब में चार गुना दाम में बेच कर मुनाफाखोरी करने के उदाहरण भी भाजपा की ओर से दिये जा रहे हैं।
सरकार का कहना है कि भारत में वैक्सीन का उत्पादन क्षमता बढ़ाई गयी है और वर्ष के अंत तक कुल 216 करोड़ टीके उपलब्ध होंगे जिससे देश की आबादी के अधिकांश हिस्से का टीकाकरण हो जाएगा। दस्तावेजों के अनुसार देश ने कोविड की महामारी के बीच मेडिकल ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, रेमडेसिविर, वैक्सीन आदि के उत्पादन की क्षमता में चंद हफ्तों में ही कई गुना वृद्धि करने में सफलता पायी। विपक्ष को इसे देखना चाहिए।