नयी दिल्ली, 30 जनवरी । न्याय प्रदान करने के मापदंडों पर आधारित इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर) के दूसरे संस्करण की रैंकिंग में एक बार फिर महाराष्ट्र राज्य अव्वल आया है। छोटे राज्यों की सूची में त्रिपुरा ने बाज़ी मारी है।
आईजेआर की गुरुवार को यहाँ जारी रिपोर्ट में लोगों को न्याय प्रदान करने में भारत के राज्यों को बेहतर प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग दी गयी है। रिपोर्ट में 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों और सात छोटे राज्यों की श्रेणी बनायी गयी थी।
चौदह महीनों के शोध के माध्यम से आईजेआर 2020 ने राज्यों द्वारा सभी को प्रभावकारी ढंग से न्याय सेवाएँ देने के अपने-अपने ढाँचों में की गयी प्रगति की समीक्षा की है। इसमें न्याय के चार स्तंभों – पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर आधिकारिक सरकारी स्रोतों के अलावा आंकड़ों को पेश किया गया है।
एक करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब और केरल ने क्रमशः दूसरा, तीसरा, चौथा और पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया है।
दूसरी ओर सात छोटे राज्यों की सूची में शीर्ष पर त्रिपुरा के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः सिक्किम और गोवा है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में कुल न्यायाधीशों में महिलाओं का अनुपात केवल 29 फीसदी है। देश के दो-तिहाई कैदी अभी विचाराधीन हैं। वर्ष 1995 के बाद पिछले 25 वर्षों में केवल डेढ़ करोड़ लोगों को कानूनी सहायता मिली है, जबकि देश की जनसंख्या की 80 फीसदी आबादी इसकी पात्र है।
आईजेआर टाटा ट्रस्ट्स की पहल है। इसकी पहली रिपोर्ट वर्ष 2019 में जारी की गई थी। वर्ष 1892 में संस्थापित टाटा ट्रस्ट्स भारत की सबसे पुरानी समाजसेवी संस्था है। यह स्वास्थ्य,शिक्षा, पोषण, जल, स्वच्छता, आजीविका, डिजिटल रूपांतरण, प्रवासन एवं शहरी आवासन, सामाजिक न्याय और समावेशन, पर्यावरण एवं ऊर्जा, कौशल विकास, खेल, तथा कला एवं संस्कृति के क्षेत्रों में काम करता है।