नयी दिल्ली, 17 फरवरी । भारत एवं ईरान ने आपसी सहयोग के नौ समझौतों पर आज हस्ताक्षर किए और सूफीवाद की शांति एवं सहिष्णुता की साझी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए आतंकवाद और कट्टरवाद फैलाने वाली ताकतों को रोकने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच आज यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत में दोनों पक्षों ने ये प्रतिबद्धता व्यक्त की।
दोनों देशों ने जिन दस्तावेज़ों पर आज हस्ताक्षर किए उनमें दोहरे कराधान एवं राजस्व चोरी से बचने, प्रत्यर्पण संधि के क्रियान्वयन का दस्तावेज़, पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, कृषि एवं संबंधित क्षेत्र, डाक क्षेत्र में सहयोग तथा राजनयिक पासपोर्ट धारकों को वीसा लेने से छूट के अलावा चाबहार परियोजना के शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के पट्टे को भारत को देने का करार शामिल है जिसमें भारत को 18 माह तक इस बंदरगाह की संचालन का अधिकार दिया गया है।
सुरक्षा, व्यापार एवं ऊर्जा के प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूती देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से बातचीत की. इसके बाद दोनों पक्षों ने नौ समझौतों पर दस्तख़त किए जिसमें दोहरे कराधान से जुड़ा एक समझौता भी शामिल है.
अपनी लंबी बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय हालात पर चर्चा की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘व्यापार एवं निवेश, ऊर्जा, संपर्क, रक्षा एवं सुरक्षा और क्षेत्रीय मुद्दों पर दोनों नेताओं ने ठोस एवं लाभकारी चर्चा की.’ रूहानी के साथ एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति की यात्रा दिखाती है कि दोनों देश कैसे संपर्क सहित प्रमुख क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत बनाना चाहते हैं.
अपनी विस्तृत वार्ता का ब्यौरा देते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य चुनौतियों से पैदा हुए खतरों पर चर्चा की. रूहानी ने कहा, ‘हम आतंकवाद एवं चरमपंथ से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
ईरानी नेता ने यह भी कहा कि कूटनीति एवं राजनीतिक पहलों के जरिए क्षेत्रीय संघर्ष सुलझाए जाने चाहिए. पीएम मोदी ने रणनीतिक तौर पर अहम चाबहार पोर्ट को विकसित करने में प्रदर्शित किए गए नेतृत्व के लिए रूहानी की तारीफ भी की. वीजा प्रक्रिया आसान बनाने का भी संकल्प किया गया, इससे पहले, राष्ट्रपति भवन में रूहानी का स्वागत किया गया, सुबह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रूहानी से मुलाकात की और उनसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.
दोनों देशों के बीच दोहरा कराधान बचाव और वित्तीय अपवंचन रोधक करार भी हुआ है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि यह करार भारत द्वारा अन्य देशों के साथ किए गए समझौतों की तर्ज पर ही है. बयान में कहा गया है, ‘इस करार से भारत से ईरान और ईरान से भारत को निवेश, प्रौद्योगिकी और पेशेवरों का प्रवाह बढ़ेगा तथा दोहरे कराधान से बचाव हो सकेगा.’
सीबीडीटी ने कहा, ‘इससे कर मामलों में पारदर्शिता में सुधार होगा और कर चोरी तथा कर अपवंचना को रोका जा सकेगा. इसके अलावा यह समझौता जी-20 के तहत ओईसीडी के आधार क्षरण और मुनाफा स्थानांतरण (बीईपीएस) परियोजना संधि के न्यूनमत मानकों को भी पूरा करेगा.’attacknews.in