नयी दिल्ली, 20 मई । भारत में बुधवार को कोरोना वायरस के एक दिन में रिकार्ड 5611 मामले बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत की आबादी के लगभग बराबर जनसंख्या वाले, 15 सर्वाधिक प्रभावित देशों में 84 गुना अधिक मौतें हुई हैं तथा 34 गुना अधिक संक्रमण फैला है।
कोविड-19 के कारण भारत में मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 3,303 हो गया और कुल मामलों की संख्या 1,06,750 हो गयी। मंगलवार सुबह आठ बजे से लेकर अगले 24 घंटे के दौरान 140 लोगों की मौत हुई।
कोविड-19 के बारे में संवाददाता सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि करीब 2.94 प्रतिशत मामलों में ऑक्सीजन सहायता देने की जरूरत है, तीन प्रतिशत को आईसीयू (सघन चिकित्सा कक्ष) की और 0.45 प्रतिशत मामलों में जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर सपोर्ट) की जरूरत है ।
भारत में कोरोना वायरस के उपचाररत मामलों की संख्या 61,149 है जबकि 42,298 लोग इस संक्रमण से चंगे हो चुके हैं।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘कोविड-19 के मामलों में केवल 6.39 प्रतिशत में आक्सीजन सहायता या आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत है। जल्द पहचान हो जाने से कई लोग ठीक हो रहे हैं । हम स्वास्थ्य ढांचे को भी उन्नत बना रहे हैं । ’’
उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान हमने ऑक्सीजन सहायता वाले बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर सहित अस्पतालों की आधारभूत संरचना को उन्नत बनाया है। हमारी कोशिशों ने विश्वास बढ़ाया है कि हम राज्यों के साथ मिलकर कोविड-19 के मामलों से निपटने के लिए तैयार हैं और साधन भी हैं । ’’
अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी स्थिति रिपोर्ट के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया है कि दुनिया में प्रति लाख आबादी पर 62 लोग प्रभावित हुए हैं जबकि भारत में प्रति लाख आबादी पर 7.9 लोग प्रभावित हुए हैं ।
संयुक्त सचिव ने कहा, ‘‘इतनी ही आबादी के बावजूद शीर्ष 15 देशों में कोविड-19 के कुल मामले भारत की तुलना में 34 गुणा अधिक है तथा इतनी ही आबादी की तुलना में कुल मृत्यु भारत की तुलना में शीर्ष 15 देशों में 83 गुणा ज्यादा है। ’’
उन्होंने कहा कि अब तक भारत में प्रति लाख आबादी पर 0.2 मौत हुई है जबकि दुनिया का आंकड़ा 4.1 का है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘मौत होना दुख की बात है लेकिन हमने पाया है कि छह देशों में कोविड-19 से 10,000 से ज्यादा मौतें हुई है । तुलनात्मक रूप से हमने हालात को राज्यों और जनता की मदद से अच्छे से संभाला है , इसके बावजूद चुनौतियां बरकरार हैं । ’’
अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल ठीक होने की दर 39.62 प्रतिशत है जबकि लॉकडाउन के आरंभ में यह दर 7.1 प्रतिशत थी ।
क्या सरकार कोविड-19 के उपचार की योजना से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को हटाने पर विचार कर रही है, इस सवाल पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि इसके असर के बारे में समीक्षा के बाद इस पर कोई फैसला होगा ।
आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख रमण आर गंगाखेडकर ने कहा कि मंगलवार को दोपहर साढ़े 12 बजे तक कोविड-19 की 25.36 लाख जांच हुई है । दूसरी बार, 24 घंटे के भीतर एक लाख से ज्यादा जांच हुई।
कोरोना संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर करीब 40 फीसदी
देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के एक दिन में रिकाॅर्ड 5611 मामले सामने आने के साथ कुल संक्रमितों की संख्या 106750 पर पहुंच गयी है तथा इस बीच महामारी से मरने वालों की संख्या 140 बढ़कर 3303 हो गयी लेकिन राहत की बात यह है कि पीड़ितों के स्वस्थ होने की दर में भी लगातार इजाफा हो रहा है जो बुधवार को करीब 40 फीसदी हो गयी।
राहत की एक और बात यह है कि संक्रमितों की मृत्यु दर बुधवार को गिरकर 3.09 पहुंच गयी जबकि मंगलवार को भी यह सोमवार की तरह ही 3.1 फीसदी रही थी। रविवार को यह फिर से मामूली गिरावट के साथ 3.1 प्रतिशत पर आ गयी जो पिछले साेमवार से 3.2 प्रतिशत पर स्थिर रही थी। इससे पहले गुरुवार और बुधवार को भी इसकी दर यही थी। यह दर पहले की तुलना में स्थिर मानी जा सकती है। उससे पहले यह दर कई दिनों तक 3.1 प्रतिशत पर स्थिर रही थी।
कोरोना वायरस से संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर बुधवार को 39.62 प्रतिशत तक पहुंच गयी जो कि मंगलवार को 38.73 फीसदी थी। सोमवार को यह 38.29 फीसदी थी जबकि रविवार को 37.51 प्रतिशत थी। शनिवार को यह 35 फीसदी थी जबकि गुरुवार को यह 33.63 फीसदी थी। पिछले एक सप्ताह में रिकवरी दर में करीब छह फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है। यह दर वैश्विक महामारी से जूझ रहे विश्व के कई देशों की तुलना में काफी बेहतर है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार देश भर में 5611 रिकॉर्ड नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 106750 पर पहुंच गयी। इससे एक दिन पहले 4970 नये मामले सामने आये थे।
देश में इस संक्रमण से 140 और लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 3303 हो गयी।
संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद एक सकारात्मक पक्ष यह भी है कि इस बीमारी से ठीक होने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है और पिछले 24 घंटों में 3124 लोग स्वस्थ हुए हैं जिसके साथ स्वस्थ हुए लोगों की कुल संख्या 42298 हो गयी है।
देश में कोरोना से सबसे अधिक महाराष्ट्र प्रभावित हुआ है और कुल संक्रमण के मामलों में एक तिहायी हिस्सा यहीं का है। महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में 4083 नये मामले सामने आये हैं जिसके बाद यहां कुल संक्रमितों की संख्या 37136 हो गयी है तथा कुल 1325 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 9639 लोग इसके संक्रमण से ठीक भी हुए हैं।
इसबीच स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने बताया कि इस समय पूरा विश्व लगभग पांच महीने से कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है। केन्द्र सरकार की इस बीमारी को लेकर शुरू से ही ‘काफी सतर्क तथा चरणबद्व’ नीति रही है। इसी के कुछ सकारात्मक परिणाम रहे हैं कि देश में इस बीमारी का उतना प्रभाव नहीं दिखाई पड़ा जितना विश्व के अन्य देशों में परिलक्षित हुआ।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से पूरा विश्व प्रभावित हुआ है और सभी देशों की बात की जाए ताे कोराेना वायरस के संक्रमितों की संख्या 62 व्यक्ति प्रति लाख है जबकि भारत में यह आंकड़ा 7़ 9 व्यक्ति प्रति लाख है। विश्व के शीर्ष 15 देशों की आबादी 142 करोड़ के आसपास है और भारत की आबादी 137 करोड़ है लेकिन हमारे देश की तुलना में उन देशों में 34 गुना अधिक संक्रमित व्यक्ति पाये गये हैं। इन देशों का कोरोना वायरस संक्रमित लोगों का आंकड़ा 36़ 45 लाख है जबकि भारत में कोरोना प्रभावितों की संख्या 1़ 07 लाख हैं।
श्री अग्रवाल ने बताया कि विश्व के उन विकसित देशों की जनसंख्या लगभग हमारे बराबर होने के बावजूद उनके यहां मृत्यु दर हमसे 83 गुना अधिक है और इन देशों के 2़ 73 लाख लोग कोरोना वायरस के कारण मारे गए हैं लेकिन भारत में मृतकों की संख्या 3303 ही है।
देश में 25 मार्च को लॉकडाउन के समय कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर 7़ 1 प्रतिशत थी जो 16 अप्रैल को 11़ 42 प्रतिशत और तीसरे लॉकडाउन के समय 26़ 59 प्रतिशत हो गई और अब यह बढ़कर 39़ 62 प्रतिशत हो गई है। देश में इस समय जितने सक्रिय मामले हैं उनमें 2़ 94 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन, तीन प्रतिशत को आईसीयू और 0़ 45 प्रतिशत मरीजों को वेंटीलेटर की आवश्यकता हैं। अभी तक सबसे अच्छी बात यह है कि मात्र 6़ 93 प्रतिशत मरीजों को ही ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटीलेटर की आवश्यकता हो रही है जबकि विश्व के अन्य देशों में यह दर 10 से 15 फीसदी है।