गलवां घाटी पर चीन के दावे को भारत ने खारिज किया
नयी दिल्ली, 18 जून ।भारत ने पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी पर चीन के संप्रभुता के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि ऐसे बढ़ा चढ़ा कर किये गये निराधार दावे दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति के खिलाफ हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन द्वारा गलवां घाटी पर अपनी संप्रभुता का दावा किये जाने पर कल देर रात प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बुधवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर लद्दाख की स्थिति के बारे में चर्चा हुई है जिसमें दोनों पक्षों में सहमति बनी है कि समूची स्थिति को बहुत जिम्मेदारी से संभाला जाना चाहिए और छह जून को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक में बनी समझ को पूरी ईमानदारी से क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि इसके बावजूद बढ़ा चढ़ा कर निराधार दावे करना इस सहमति के खिलाफ है।
भारत अपनी संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की सुरक्षा को लेकर दृढ़ प्रतिज्ञ
भारत ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी संप्रभुता के दावे को ठुकराते हुए आज दोहराया कि भारत सीमा पर शांति बनाये रखने एवं मुद्दों का संवाद के माध्यम से समाधान करने के पक्ष में हैं लेकिन भारत की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की सुरक्षा को लेकर दृढ़ प्रतिज्ञ है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां नियमित ब्रीफिंग में भारत चीन संबंधों को लेकर अनेक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत एवं चीन पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर बनी स्थिति में तनाव घटाने के लिए सैन्य एवं कूटनीतिक चैनलों से बातचीत कर रहे थे। वरिष्ठ कमांडरों के बीच छह जून को एक सार्थक बैठक हुई और तनाव घटाने की प्रक्रिया पर सहमति बनी। उसी के अनुरूप क्षेत्रीय कमांडरों के बीच उक्त उच्च स्तरीय सहमति को क्रियान्वित करने के लिए कई दौर की बैठकें हुईं।
श्री श्रीवास्तव ने कहा, “ हम अपेक्षा कर रहे थे कि यह सब सुचारू रूप से क्रियान्वित हो जाएगा, पर चीनी पक्ष गलवान घाटी से वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान किये जाने की सहमति से अलग हट गया। पन्द्रह जून की रात में दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई क्योंकि चीनी पक्ष ने एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने की कोशिश की। दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए। यदि चीनी पक्ष उच्च स्तर पर हुए समझौते का पालन करता तो इससे बचा जा सकता था।”
उन्होंने यह भी कहा कि बुधवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर लद्दाख की स्थिति के बारे में चर्चा हुई है जिसमें दोनों पक्षों में सहमति बनी है कि समूची स्थिति को बहुत जिम्मेदारी से संभाला जाना चाहिए और छह जून को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक में बनी समझ को पूरी ईमानदारी से क्रियान्वित किया जाना चाहिए। इसके बावजूद बढ़ा-चढ़ा कर निराधार दावे करना इस सहमति के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि सीमा प्रबंधन को लेकर जिम्मेदारी निभाते हुए भारत शुरू से बहुत स्पष्ट रहा है कि उसकी सभी गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा के भीतर अपने अधिकार वाले क्षेत्र में ही सीमित हैं। हम चीनी पक्ष से भी यही अपेक्षा करते हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि वक्त का तकाजा है कि चीनी पक्ष अपने कदमों के बारे में दोबारा सोचे और उसे ठीक करने की कोशिश करे। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को छह जून को वरिष्ठ कमांडरों के बीच बनी सहमति को पूरी ईमानदारी से लागू करना चाहिए। दोनों ओर की सेनाओं को सभी द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉलों का पालन तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान करना चाहिए और उसे बदलने के लिए एकतरफा ढंग से कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्ष अपने अपने दूतावासों और विदेश विभागों के माध्यम से एक दूसरे के संपर्क में हैं। ज़मीनी स्तर पर दोनों पक्षों के बीच कमांडरों के स्तर पर संवाद कायम है। अन्य कूटनीतिक संपर्क प्रणालियों की बैठकें जैसे सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय की कार्यप्रणाली (डब्ल्यूएमसीसी) विचाराधीन हैं।
उन्होंने कहा, “ हम इस बात को पूरी तरह से मानते एवं समझते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखने और मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की जरूरत है। पर इसके साथ ही, जैसा कि प्रधानमंत्री ने कल कहा है, हम भारत की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं।”