संयक्त राष्ट्र, 29 जून । भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान से उसकी सरजमीं से संचालित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ “प्रभावी एवं अपरिवर्तनीय’’ कार्रवाई करने के लिए कहा जाए। भारत ने कहा कि इस्लामाबाद को “नैतिकता के उच्च मार्ग” पर चलने की बात नहीं कहनी चाहिए जो केवल झूठ की खानों से भरा हुआ है।
भारत के खिलाफ “तल्ख आक्षेप’’ लगाने के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए भारत के गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वी एस के कौमुदी ने कहा, “जैसा कि उम्मीद थी, पाकिस्तान का शिष्टमंडल फिर से भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाने और झूठे किस्से गढ़ने का रुख अपना रहा है।”
वह सोमवार को महासभा में सदस्य राष्ट्रों के आतंकवाद रोधी एजेंसियों के प्रमुख के दूसरे उच्च स्तरीय सम्मेलन में बोल रहे थे।
उन्होंने ‘आतंकवाद के वैश्विक संकट: वर्तमान खतरों और नये दशक के लिए उभरते चलनों के मूल्यांकन’ सत्र में कहा, “ जो देश अपने अल्पसंख्यक नागरिकों के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा में लिप्त रहता है और भारत के प्रति असुरक्षा की गहरी भावना रखता है एवं सुनियोजित नफरत पैदा करता है, उसके प्रतिनिधिमंडल से कुछ नया सुनने की हम उम्मीद भी नहीं कर सकते थे।”
उन्होंने कहा कि वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति (जीसीटीएस) की सातवीं समीक्षा समाप्त हो गई है और पाकिस्तान के झूठे विमर्श को संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने सरसरी तौर पर खारिज कर दिया था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा जारी कौमुदी के बयान के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान से उसके नियंत्रण वाली सीमा में काम कर रहे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ प्रभावी, प्रमाणिक और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने को कहे और सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करने को न कहे जिसमें सिर्फ झूठ छिपा है।”
पिछले साल प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोस के अफगानिस्तान में अनुमानित 6,000 से 6,500 पाकिस्तानी आतंकवादी हैं, जिनमें से अधिकतर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ हैं जो दोनों ही देश के लिए खतरा हैं।
यह रिपोर्ट भारत द्वारा पाकिस्तान से संयुक्त राष्ट्र में यह पूछे जाने के दो हफ्ते बाद आई थी कि क्यों दुनिया भर में उसे आतंकवाद का “अंतरराष्ट्रीय केंद्र” और “आतंकवादियों के लिए बेहतरीन पनाहगाह” माना जाता है।”
पिछले साल जून में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में 40,000 तक आतंकवादियों की मौजूदगी और वहां से आतंकवादियों ने पड़ोसी देशों पर हमला किया है यह बात सार्वजनिक तौर पर स्वीकार की थी।