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VLADIVOSTOK, SEP 4 (UNI):- Prime Minister Narendra Modi and President of Russian Federation Vladimir Putin witnessing the exchange of MoUsAgreements between India and the Russia, at Vladivostok, in Russia on Wednesday. UNI PHOTO-22F

भारत और रूस 2025 तक 30 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर attacknews.in

व्लादिवोस्तोक, चार सितंबर । भारत और रूस ने आपसी औद्योगिक सहयोग बढ़ाकर द्विपक्षीय व्यापार को 2025 तक 30 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। बुधवार को दोनों देशों ने नयी प्रौद्योगिकी के विकास और उन्नत तकनीक के लिए निवेश साझेदारी की घोषणा की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच यहां 20वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की बातचीत हुई। इसके बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं के माध्यम से आपसी भुगतान को बढ़ावा देने की दिशा में मिल कर काम करते रहने पर सहमति जतायी है।



मोदी यहां पुतिन के निमंत्रण पर 20वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए हैं। मोदी ने पांचवे पूर्वी आर्थिक मंच सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर भी शिरकत की।

संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने आपसी व्यापार में मजबूत वृद्धि पर संतोष जताया। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत-रूस का द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 8.2 अरब डॉलर था।

बयान के अनुसार 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर पहुंचाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए दोनों नेताओं ने मानव एवं अन्य अच्छे संसाधनों में भारत और रूस की क्षमता का उपयोग करने, औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने, नयी प्रौद्योगिकियां बनाने और निवेश साझेदारी करने के लिए सक्रियता से मिलकर काम करने पर जोर दिया। इसके अलावा दोनों देश सहयोग के नए तरीकों और क्षेत्रों को खोजेंगे ।

दोनों देशों ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में रूसी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने और भारतीय कंपनियों के रूस में निवेश परियोजनाएं लगाने पर सहमति बनायी। इसके लिए दोनों देशों की सरकारों के बीच समझौतों और निवेश की साझा सुरक्षा को तेज करने पर सहमति बनी। साथ ही दोनों देश अपनी व्यापार बाधाओं को भी दूर करेंगे।

यूरेशियाई आर्थिक संघ और भारत के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं भारत आर्कटिक परिषद में अहम भूमिका निभाने और रूस भारत में में बड़ी अवसंरचना एवं अन्य परियोजना लगाने पर तैयार हुआ है।

दोनों के बीच रूस के पूर्वी छोर से भारत को कोकिंग कोयले की आपूर्ति करने पर भी सहमति बनी है।

मोदी यहां दो दिन की यात्रा पर बुधवार को पहुंचे। रूस के पूर्वी छोर क्षेत्र की यात्रा करने वाले वह भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं।

भारत और रूस ने अपनी रणनीतिक साझीदारी एवं परस्पर विश्वास को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने के संकल्प के साथ 15 करारों पर आज हस्ताक्षर किये और दोनों देशों के बीच ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को विस्तार देने की रूपरेखा तय की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 20वीं भारत रूस वार्षिक शिखर बैठक में इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये। इनमें भारत में सोवियत संघ अथवा रूस के सैन्य उपकरणों एवं हथियारों के कलपुर्ज़ों के निर्माण, रक्षा एवं प्रतिरक्षा, अंतरिक्ष, चेन्नई से व्लादिवोस्टक के बीच समुद्री संपर्क स्थापित करने तथा प्राकृतिक गैस के बारे में समझौते शामिल हैं।

अपने संयुक्त प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा,“ हमारी विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी न सिर्फ हमारे देशों के सामरिक हितों के काम आयी है बल्कि इसे हमने लोगों के विकास और उनके सीधे फायदे से जोड़ा है। राष्ट्रपति पुतिन और मैं इस रिश्ते को विश्वास और भागीदारी के ज़रिये सहयोग की नयी ऊंचाइयों तक ले गए हैं और इसकी उपलब्धियों में सिर्फ मात्रात्मक ही नहीं, गुणात्मक बदलाव लाये हैं।”

उन्होंने कहा कि हमने सहयोग को सरकारी दायरे से बाहर लाकर उसमें लोगों की, और निजी उद्योगों की असीम ऊर्जा को जोड़ा है। रक्षा एवं सामरिक क्षेत्र में भी रूसी उपकरणों के कलपुर्ज़े भारत में दोनों देशों के संयुक्त उद्यम द्वारा बनाने पर आज हुआ समझौता रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा। यह समझौता और इस साल के शुरू में ए के-203 राइफलों के विनिर्माण का संयुक्त उद्यम ऐसे कदम हैं जो हमारे रक्षा सहयोग को क्रेता-विक्रेता के सीमित परिवेश से बाहर सह विनिर्माण का ठोस आधार दे रहे हैं।

इन दस्तावेजों में दोनों देशों के संबंधों को परस्पर भरोसे एवं साझेदारी की नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने संबंधी एक संयुक्त वक्तव्य, भारत-रूस व्यापार एवं निवेश के विस्तार पर संयुक्त रणनीति, सोवियत/रूसी सैन्य उपकरणों के कलपुर्ज़ों के निर्माण, दृश्य एवं श्रव्य सामग्री के निर्माण में सहयोग, सड़क निर्माण एवं परिवहन में द्विपक्षीय सहयोग, चेन्नई बंदरगाह से व्लादिवोस्टक के बीच समुद्री संचार आरंभ करने, सीमा शुल्क उल्लंघन के मामलों से निपटने, रूस से निवेश प्राप्त करने, फिक्की और रोसकांग्रेस फाउंडेशन के बीच सहयोग आदि के करार शामिल हैं। दोनों देशों ने प्राकृतिक गैस का परिवहन के लिए उपयोग, कोकिंग कोल के खनन परियोजनाओं के संयुक्त रूप से क्रियान्वयन तथा प्राकृतिक गैस के विक्रय एवं उपयोग को लेकर विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

श्री मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच हाइड्रो कार्बन के क्षेत्र में अभूतपूर्व निवेश है। इस क्षेत्र में सहयोग के लिए पांच साल का रोडमैप और रूस के सुदूर पूर्व तथा आर्कटिक में हाइड्रो कार्बन और एलएनजी की खोज में सहयोग पर सहमति हुई है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में हमारा लंबा सहयोग नयी ऊंचाइयों को छू रहा है। गगनयान, यानी भारतीय मानव सहित उड़ान में भारत के अंतरिक्ष यात्री रूस में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। आपसी निवेश की पूरी क्षमता को हासिल करने के लिए हम जल्द ही निवेश सुरक्षा समझौता करने पर सहमत हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के युग में शान्ति और स्थायित्व के लिए बहुध्रुवीय विश्व आवश्यक है और इसके निर्माण में हमारे सहयोग और समन्वय की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। इसीलिए, हम सहजता से ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और अन्य वैश्विक मंचों पर घनिष्ठ सहयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि आज हमने बहुत से प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमेशा की तरह खुल कर और सार्थक चर्चा की।

उन्हाेंने कहा कि भारत एक ऐसा अफगानिस्तान देखना चाहता है जो स्वतंत्र, सुरक्षित, अखंड, शांत और लोकतांत्रिक हो। हम दोनों ही किसी भी देश के आतंरिक मामलों में बाहरी दखल के खिलाफ हैं। हमने भारत के स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिन्द प्रशांत के अवधारणा पर भी उपयोगी चर्चा की। हम सहमत हैं कि साइबर सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, पर्यावरण सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत और रूस का सहयोग और मज़बूत करेंगे। अगले साल भारत और रूस मिल कर बाघ संरक्षण पर उच्च स्तरीय फोरम का आयोजन करने के लिए सहमत हुए हैं।

व्लादिवोस्टक में पूर्वी आर्थिक फोरम के आयोजन की सराहना करते हुए श्री मोदी ने कहा, “हमारे रिश्तों को हम राजधानियों के बाहर भारत के राज्यों और रूस के क्षेत्रों तक ले जा रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन भी रूस के विभिन्न क्षेत्रों की क्षमताओं और संभावनाओं को भली-भाँति जानते हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि उन्होंने पूर्वी आर्थिक फोरम की रचना की। भारत जैसे विविधता भरे देश को इसके साथ नज़दीक से जोड़ने के महत्व को समझा। इसकी जितनी भी सराहना की जाए, कम है।


भारत और रूस ने चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बंदरगाहों के बीच एक समुद्री मार्ग खोलने पर सहमति जताई ताकि दोनों देशों के बीच संपर्क सुनिश्चित किया जा सके।

भारत के पोत परिवहन मंत्रालय और रूस के परिवहन मंत्रालय ने रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में व्लादिवोस्तोक और चेन्नई बंदरगाहों के बीच समुद्री यातायात के विकास के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर किये। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की।

दो दिन की यात्रा पर बुधवार को रूस पहुंचे मोदी रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। वह बृहस्पतिवार को ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम में भी शामिल होंगे।

भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बीच इस मार्ग का खुलना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे दो बड़े बंदरगाहों के बीच संपर्क जुड़ेगा और भारत तथा सुदूर पूर्वी रूस के बीच सहयोग को गति मिलेगी।’’

गोखले ने कहा कि भारत न केवल रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर बल्कि संसाधन, वन और कृषि क्षेत्रों पर भी नजर बनाये हुए है।

इससे पहले मोदी ने पुतिन के साथ बातचीत के बाद कहा कि उन्होंने व्यापार और निवेश, तेल तथा गैस, परमाणु ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष एवं समुद्री संपर्क के क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।

दोनों नेताओं ने एक जहाज पर अलग से दो घंटे की बातचीत के बाद 20वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की जिसका मकसद दोनों पक्षों के बीच विशेष संबंधों को मजबूती प्रदान करना है।

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