नयी दिल्ली 01 नवंबर । किसी देश का नाम लिये बिना भारत एवं जर्मनी ने आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाहों एवं ढांचों को उखाड़ फेंके और आतंकवादियों के सीमापार आवाजाही पर रोक लगायें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मनी की चांसलर अंगेला मर्केल के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को वैश्विक बुराई है और उन्होंने आतंकवाद के वैश्विक खतरे पर गहरी चिंता जताते हुए उसका दृढ़ इच्छाशक्ति से मिल कर मुकाबला करने का संकल्प व्यक्त किया।
इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए संयुक्त रूप से मोर्चाबंदी की जरूरत पर बल देते हुए दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मार्च 2020 में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को अंतिम रूप एवं मंजूरी दिये जाने का आह्वान किया। उन्होंने सभी देशों का आह्वान किया कि वे आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों, ढांचों को जड़ से उखाड़ फेंके और आतंकवादियों के नेटवर्क एवं उनके वित्तीय चैनलों काे तहस नहस करें तथा आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही पर रोक लगवाएं।
भारत एवं जर्मनी ने हिंसक उग्रवाद और आतंकवाद पर रोकने के लिए सूचना एवं खुफिया सुरागों के आदान प्रदान, मानवाधिकारों और स्थानीय एवं अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पूर्ण अनुपालन पर जाेर दिया। दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि सभी देशों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनका इलाका किसी अन्य देश पर आतंकवादी हमले करने के लिए किसी भी तरह से इस्तेमाल नहीं हो।
संयुक्त वक्तव्य में दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की वकालत करते हुए कहा कि बहुपक्षीय एवं नियम आधारित व्यवस्था के मकसद से सुधार किये जायें। दोनों देशों ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए एक दूसरे का समर्थन करने का इरादा दोहराया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा सहित विश्व व्यवस्था के केन्द्र में सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व की कमी उसके निर्णयों की वैधानिकता एवं प्रभावशीलता को प्रभावित कर रही है। आज के दौर की वैश्विक चुनौतियों के मद्देनज़र हमें एक मजबूत, वैधानिक एवं प्रभावी संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता है।