काठमांडू, 28 दिसंबर । राजनीतिक उथल-पुथल और कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित रहे 2021 में नेपाल ने भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को उच्च स्तरीय वार्ता और यात्राओं के साथ फिर से मजबूत करने के प्रयास किए। यह सब हिमालयी राष्ट्र में शीर्ष नेतृत्व में बदलाव के बीच हुआ।
पिछले साल भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने वाले सीमा विवाद की छाया से बाहर आते हुए, भारत ने 2021 की शुरुआत जनवरी में नेपाल को घरेलू रूप से निर्मित कोविशील्ड टीके की 10 लाख खुराक उपहार में उस समय दीं, जब वह कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए संघर्ष कर रहा था। घातक वायरस से नेपाल में अब तक 8,25,000 से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और लगभग 12,000 लोगों की मौत हुई है।
उसी महीने, भारत ने नेपाल को 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हुए शैक्षणिक संस्थानों के पुनर्निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में 30.66 करोड़ नेपाली रुपये (19.21 करोड़ रुपये) की अनुदान सहायता प्रदान की। इस भूकंप में लगभग 9,000 लोगों की जान गई थी और लगभग 22,000 घायल हुए थे। इसके साथ, भारत ने शैक्षणिक क्षेत्र की पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए नेपाल को 81.98 करोड़ नेपाली रुपये (51.37 करोड़ रुपये) की प्रतिपूर्ति की।
नेपाल द्वारा लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्रों के रूप में दिखाते हुए एक नया नक्शा जारी करने के बाद 2020 में द्विपक्षीय संबंध नये निचले स्तर पर चले गए थे, जिस पर भारत ने काठमांडू को चेतावनी दी थी कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा “कृत्रिम विस्तार” उसे स्वीकार्य नहीं होगा।
घरेलू राजनीतिक मोर्चे पर, नेपाल ने 2021 में शीर्ष नेतृत्व में बदलाव देखा, जिसमें नेपाली कांग्रेस (नेकां) के प्रमुख शेर बहादुर देउबा एक महीने तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद जुलाई में रिकॉर्ड पांचवीं बार प्रधानमंत्री बने।
शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को एक ऐतिहासिक फैसले में, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को विपक्षी नेता देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का निर्देश दिया और प्रतिनिधि सभा को भंग करने के उनके “असंवैधानिक” कदम को खारिज कर दिया।
देउबा 13 जुलाई को औपचारिक रूप से नेपाल के प्रधानमंत्री बने। हालांकि कुछ ही दिन बाद 18 जुलाई को 75 वर्षीय नए प्रधानमंत्री ने बहाल किए गए निचले सदन में विश्वास मत कराने की बात कर आश्चर्यचकित कर दिया और आराम से जीत हासिल कर ली, जिससे कोविड -19 महामारी के बीच हिमालयी राष्ट्र में एक आम चुनाव टल गया।
एक दिन बाद, 19 जुलाई को देउबा ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान सदियों पुराने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, परंपरागत और धार्मिक संबंधों पर आधारित द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर अपने विचार साझा किए।
इस वर्ष मुख्य विपक्षी दल एवं नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएन-यूएमएल को अगस्त में आधिकारिक रूप से विभाजित होते देखा गया, जब वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल ने नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) छोड़ दी और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट की स्थापना की।
इस बीच, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने भारत से संबंधित टिप्पणी करके विवाद भड़काने का अपना सिलसिला जारी रखा। जून में, प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए ओली ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित एक कार्यक्रम में दावा किया कि योग की उत्पत्ति नेपाल में हुई थी, न कि भारत में।
हालांकि, ओली की इस बार की टिप्पणी द्विपक्षीय संबंधों को कोई बड़ा नुकसान पहुंचाने में विफल रही। उन्होंने 2020 में यह दावा करके एक विवाद खड़ा कर दिया था कि भगवान राम का जन्म नेपाल के चितवन जिले के माडी क्षेत्र में हुआ था, न कि भारत के अयोध्या में।
नेपाल के तत्कालीन विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने जनवरी में नयी दिल्ली का दौरा किया और अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात की। यात्रा के दौरान, उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दे को हल करना नयी दिल्ली और काठमांडू दोनों की “साझा प्रतिबद्धता” है और सुझाव दिया कि दोनों पक्ष इससे निपटने के तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं।
देउबा प्रशासन में नेपाल-भारत द्विपक्षीय संबंधों में गति लाने और द्विपक्षीय जुड़ाव के स्तर को बढ़ाने के प्रयास जारी रहे। जुलाई में देउबा के सत्ता में आने के बाद से दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है।
सितंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, जयशंकर ने न्यूयॉर्क में अपने नए नेपाली समकक्ष डॉ नारायण खड़का से मुलाकात की और दोनों ने दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।
नवंबर की शुरुआत में, ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के मौके पर, प्रधानमंत्री मोदी ने देउबा के हिमालयी राष्ट्र का प्रमुख बनने के बाद पहली बार उनसे मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 का मुकाबला करने तथा महामारी के बाद उबरने के प्रयासों पर ‘सार्थक चर्चा’ की।
उसी महीने, नेपाल के सेना प्रमुख जनरल प्रभु राम शर्मा ने दो पड़ोसी देशों के बीच रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत की चार दिवसीय यात्रा शुरू की। अपने भारतीय समकक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के निमंत्रण पर नयी दिल्ली आए जनरल शर्मा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने ‘भारतीय सेना के जनरल’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया