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भारत और चीन के बीच खेल, संस्कृति और दवाओं के क्षेत्र में 4 समझौते के साथ जयशंकर ने कहा: द्विपक्षीय मतभेद किसी विवाद में तब्दील न हो attacknews.in

बीजिंग, 12 अगस्त । भारत और चीन ने खेल, संस्कृति तथा पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र में सोमवार को चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये। 


विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने और राज्य को दो केेंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच तीन दिवसीय यात्रा पर रविवार को बीजिंग पहुंचे। 


डॉ जयशंकर की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है और आज उनकी मौजूदगी में चारों समझौतों तथा समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये।


इस समझौते में द्विपक्षीय मामले, 2020 में सहयोग पर चीन के विदेश मंत्रालय और भारतीय विदेश मंत्रालय के बीच ‘प्रोटोकॉल’ को लागू करने की कार्य योजना शामिल है। इस पर डॉ जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हस्ताक्षर किए।


चीन की तीन दिवसीय अहम यात्रा पर यहां आए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अनिश्चितता की स्थिति का सामना कर रही है तब भारत-चीन संबंधों को स्थिरता का परिचायक होना चाहिए। 


रविवार को यहां पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्विशान से झोंग्ननहाई से उनके आवासीय परिसर में मुलाकात की। 

बाद में उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई।

राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भरोसेमंद समझे जाने वाले वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा, ‘‘हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया में पहले से अधिक अनिश्चितता है, हमारे संबंध स्थिरता के परिचायक होने चाहिए।’’ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं, उस वुहान शिखर सम्मेलन के बाद यहां आ कर आज बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और व्यापक हुई थी।’’ 

जयशंकर ने कहा, ‘‘चीन में पुन: आना बहुत खुशी की बात है और मैं अपने पिछले वर्षों को बड़े उत्साह के साथ याद करता हूं। मैं बहुत खुश हूं कि मेरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे यहां आने और हमारे दो नेताओं के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी करने का अवसर मिला, जिसे हम शीघ्र ही देखने की उम्मीद करते हैं।’’ 

जयशंकर का स्वागत करते हुए, उपराष्ट्रपति वांग ने कहा, ‘‘मुझे यह भी पता है कि आप चीन में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय राजदूत हैं और आपने हमारे दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’’ 

उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाएगी।

बाद में, जयशंकर और विदेश मंत्री वांग यी ने सांस्कृतिक और दोनों देशों के लोगों के आपसी संपर्क पर उच्च-स्तरीय तंत्र की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता की। पहली बैठक पिछले साल नयी दिल्ली में हुई थी।


विदेश मंत्री एस जयशंकर चीनी नेतृत्व के साथ वार्ता के लिए तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को बीजिंग पहुंचे। उनकी यात्रा के दौरान इस साल राष्ट्रपति शी के भारत दौरे की तैयारियों को अंतिम रूप देने सहित कई मुद्दों पर बातचीत होगी।


मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं। यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है। 

हालांकि उनका दौरा संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले से बहुत पहले तय हो चुका था। 

राजनयिक से विदेश मंत्री बने जयशंकर 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे थे। किसी भारतीय दूत का यह सबसे लंबा कार्यकाल था। 

वर्ष 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच रही गतिरोध की स्थिति के बाद मोदी और शी ने पिछले साल वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता कर द्विपक्षीय संबंधों को गति दी थी। 

अधिकारियों को इस साल पहली बार द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पार करने की उम्मीद है।

चीनी अधिकारी अपने समकक्षों के साथ विशेष रूप से कृषि उत्पादों के अलावा फार्मास्यूटिकल्स और आईटी में भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। भारत भी मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में बड़े पैमाने पर चीनी निवेश का आकांक्षी है।

जयशंकर की यात्रा ऐसे समय में हुई जब कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत द्वारा कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने को लेकर चीन से समर्थन मांगने के लिए 9 अगस्त को बीजिंग की यात्रा की थी।

भारत ने लगातार कहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और यह देश का एकदम आंतरिक मामला है।


भारत ने चीन से  कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि किसी भी प्रकार का द्विपक्षीय मतभेद किसी विवाद में तब्दील न हो।

दरअसल, भारत ने यह टिप्पणी तब की जब चीन ने कहा कि वह कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तथा उसकी जटिलताओं पर करीब से नजर रख रहा है। साथ ही, चीन ने भारत से क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाने का आग्रह किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति वांग किशान से मुलाकात की और इसके बाद विदेश मंत्री वांग यी के साथ प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की।

वांग ने जयशंकर का स्वागत किया और इस दौरान उन्होंने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को समाप्त करने के भारत के कदम का सीधा जिक्र नहीं किया लेकिन भारत तथा पाकिस्तान के बीच तनाव का उल्लेख किया।

वांग ने कहा,‘‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों के आधार पर हमारे बीच पारस्परिक लाभकारी सहयोग हो सकता है। यह मूलभूत हित और हमारे लोगों के दीर्घकालिक हित में है तथा यह वैश्विक शांति और मानव प्रगति में योगदान देगा।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘चीन और भारत दो बड़े देश हैं तथा इस नाते उनके ऊपर क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व बनाए रखने की अहम जिम्मेदारी है।’’ 

वांग ने आगे कहा, ‘‘जब बात भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और उससे संभावित जटिलताओं की आती है, तो हम इन घटनाक्रमों पर नजदीक से नजर रखते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भारत भी क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए रचनात्मक भूमिका निभाएगा।’’ 

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं। उनका यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है, जब भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है। 

हालांकि उनका दौरा संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले से बहुत पहले तय हो चुका था।

जयशंकर की यह यात्रा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की नौ अगस्त को हुई चीन यात्रा के बाद हो रही है। 

जम्मू कश्मीर पर भारत के फैसले का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने को लेकर चीन से समर्थन मांगने के लिए कुरैशी बीजिंग पहुंचे थे।

भारत हमेशा कहता रहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और हालिया फैसला देश का आंतरिक मामला है।


मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं कि भारत और चीन के बीच संबंधों का वैश्विक राजनीति में बेहद विशिष्ट स्थान है। दो साल पहले हमारे नेता अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया में पहले से अधिक अनिश्चितता है, भारत और चीन के बीच संबंध स्थिरता के परिचायक होने चाहिए।’’ जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई शिखर वार्ता का जिक्र करते हुए कहा,‘‘उसे सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि हमारे बीच अगर कोई मतभेद है तो वह विवाद में तब्दील नहीं होना चाहिए। यह बेहद संतोष की बात है कि पिछले वर्ष वुहान सम्मेलन में हमारे नेताओं के बीच बहुत गहरी, रचनात्मक और खुलकर बातचीत हुई थी। हमने तब से उसके असर को द्विपक्षीय संबंधों पर देखा है।’’ 

जयशंकर ने कहा,‘‘हमारे नेताओं द्वारा हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने में दिए जाने वाले योगदान के मद्देनजर आज यह महत्वपूर्ण है कि संबधों के लिए जनसमर्थन जुटाया जाए। हमने एक-दूसरे की घोर चिंताओं के प्रति संवेदनशील होकर और मतभेदों को ठीक से संभालकर बरसों बरस यह किया है।’’ 

जयशंकर ने कहा, ‘‘मेरे लिए यह खुशी की बात है कि विदेश मंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे चीन आने और आपके साथ उच्चस्तरीय तंत्र की सह-अध्यक्षता करने तथा हमारे दो नेताओं के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी करने का अवसर मिला।’’ 

वहीं, वांग ने जयशंकर के साथ मुलाकात के बाद कहा,‘‘हमने अभी गहन चर्चा की और बड़ी बैठकों में भी द्विपक्षीय मुद्दों तथा दोनों पक्षों के बीच अहम राजनीतिक एजेंडे पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी। मुझे यकीन है कि इस बार आपकी यात्रा हमारे द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए उपयोगी साबित होगी। एक बार फिर चीन में आपका स्वागत है।’

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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