मुंबई, 16 नवंबर । महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन में टूट का असर 22 नवंबर को मुंबई मेयर के लिए होने वाले चुनाव पर भी पड़ सकता है।उधर
एनसीपी नेता शरद पवार ने घोषणा की है कि महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिव सेना की सरकार बनेगी और पूरे पांच साल चलेगी. उधर शिव सेना नियंत्रिक वृहत मुंबई कॉरपोरेशन के ठेकेदारों पर इनकम टैक्स विभाग के छापे पड़े हैं।
बृहन्मुंबई नगर निगम के 2017 में हुए चुनावों में 227 सदस्यीय नगर निगम में शिवसेना के 84 पार्षद जीते थे, वहीं सहयोगी भाजपा के 82 पार्षदों ने जीत हासिल की थी।
तब भाजपा ने शिवसेना को समर्थन दिया था और विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर चुना गया।
महादेश्वर का ढाई साल का कार्यकाल इस साल सितंबर में समाप्त हो गया लेकिन 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल नवंबर तक बढ़ा दिया गया।
विधानसभा चुनाव के 24 अक्टूबर को आए परिणामों के बाद दोनों दलों के बीच दरार आ गई जहां शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर समान साझेदारी की मांग पर अड़ी हुई थी।
शिवसेना के इस समय 94 पार्षद हैं जिनमें छह पार्षद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से आए थे। भाजपा के 83, कांग्रेस के 28, राकांपा के आठ, समाजवादी पार्टी के छह, एमआईएम के दो तथा मनसे का एक पार्षद है।
मेयर पद के चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार उतारने की संभावनाओं के सवाल पर पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढा ने कहा कि उसने अभी तक इस पर निर्णय नहीं किया है।
सपा के रईस शेख ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है और जल्द फैसला लिया जाएगा।
आरटीआई अर्जियों के माध्यम से देश के सबसे धनवान नगर निगम में अनेक घोटाले उजागर करने वाले कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि इस समय भाजपा का रुख अहम होगा जहां राज्यस्तर पर कांग्रेस-राकांपा की शिवसेना के साथ बातचीत चल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे संभावित परिदृश्य में कांग्रेस और राकांपा विभिन्न समितियों में पद मांग सकते हैं, वहीं अगर भाजपा उम्मीदवार खड़ा करने का मन बनाती है तो उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता है।’’
राज्य शहरी विकास विभाग ने एक लॉटरी में तय किया है कि अगला मेयर सामान्य श्रेणी से होगा।
हर ढाई साल में मेयर पद पर बारी-बारी से सामान्य और आरक्षित श्रेणी के नेता आरुढ़ होते हैं।
शिव सेना नियंत्रित बीएमसी के ठेकेदारों पर आईटी छापों के बीच एनसीपी ने की सरकार बनाने की घोषणा:
इसी बीच एनसीपी नेता शरद पवार ने घोषणा कर दी कि महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिव सेना की सरकार बनेगी और पूरे पांच साल चलेगी और उधर शिव सेना नियंत्रिक वृहत मुंबई कॉरपोरेशन के ठेकेदारों पर इनकम टैक्स विभाग के छापे पड़ गये ।
इस तरह महाराष्ट्र में चल रहे सत्ता के खेल में नया मोड़ आया है। मराठा नेता शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी, शिव सेना और कांग्रेस के बीच एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर बातचीत चल रही है और तीनों पार्टियां रविवार तक राज्यपाल से मिल कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगी।
इसे एक अहम बयान माना जा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है. 24 अक्तूबर को विधान सभा चुनावों के नतीजे घोषित होने के बाद 17 दिनों तक कोई भी पार्टी या गठबंधन सरकार नहीं बना पाई थी.
छापामारी से मुश्किल में शिव सेना :
शरद पवार के बयान के आने से पहले आयकर विभाग ने घोषणा की थी कि उसने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के कुछ ठेकेदारों से जुड़े कुछ ठिकानों पर छापा मारा है और तलाशी ली है।
विभाग ने कहा कि उसे खबर मिली थी कि इन ठेकेदारों ने बड़े पैमाने पर कर चोरी की है।विभाग ने कहा कि इस मुहीम में 735 करोड़ की अनियमितताएं सामने आई हैं।आई टी विभाग की ये कार्रवाई शिव सेना के लिए महंगी साबित हो सकती है क्योंकि भारत की सबसे अमीर नगरपालिका के रूप में जानी जाने वाली बीएमसी शिव सेना का गढ़ है।
केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग एक पुराना हथकंडा है जिसका आरोप हर पार्टी पर लगा है. चाहे वो आईटी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी वित्तीय एजेंसियां हों या सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां, सब पर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का हुक्म बजाने का इल्जाम लगा है। इसीलिए बीएमसी के ठेकेदारों के खिलाफ हुई इस कार्रवाई को भी राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है और ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं इसके जरिये बीजेपी शिव सेना पर उसके साथ मिल कर सरकार बनाने के लिए दबाव तो नहीं डालना चाह रही है।
जांच एजेंसियों का राजनीतिक रंग के आरोप:
इस शुक्रवार को ही हुई एक और घटना को भी इसी परिदृश्य में देखा जा रहा है. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को मनी लाउंड्रिंग के एक मामले में मिली जमानत को रद्द करने की ईडी की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और एजेंसी को ये भी कहा, “ये देश के नागरिकों के साथ पेश आने का कोई तरीका नहीं है.” अदालत ने ये भी कहा कि ईडी ने पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के अदालती कागजात से कई लाइनें उठा कर शिवकुमार के खिलाफ अपील में चिपका दिया था।
ये पहली बार नहीं है जब किसी केंद्रीय एजेंसी पर इस तरह का आरोप लगा है. विधान सभा चुनावों के ठीक पहले ईडी ने खुद शरद पवार के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के एक मामले में एफआईआर दर्ज की थी और उन्हें पूछताछ के लिए अपने दफ्तर बुलाया था. चुनाव नतीजे आ जाने के बाद ये अभी तक सामने नहीं आया है कि इस मामले में ईडी की जांच कहां तक पहुंची. ऐसे ही एनसीपी के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल पटेल के खिलाफ भी ईडी ने एक मामला दर्ज किया था लेकिन वो जांच भी अभी शांत पड़ी है।