नयी दिल्ली, 17 अगस्त । महान शास्त्रीय गायकJason पंडित जसराज का अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने से सोमवार की सुबह निधन हो गया ।मेवाती घराने के पंडित जसराज 90 वर्ष के थे।
कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद से 90 वर्षीय पंडित जसराज न्यूजर्सी में ही थे । उन्होंने आज सुबह आखिरी सांस ली । उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने भाषा को यह जानकारी दी ।
दुर्गा ने मुंबई से फोन पर कहा ,‘‘ बापूजी नहीं रहे ।’’ इसके अलावा वह कुछ नहीं बोल सकी ।
उनके परिवार में दुर्गा के अलावा पत्नी मधुरा के अलावा संगीतकार पुत्र शारंग देव हैं । मधुरा सुप्रसिद्ध फिल्मकार वी शांताराम की बेटी हैं ।
मेवाती घराने के आखिरी मजबूत स्तंभ पंडित जसराज के परिवार ने एक बयान में कहा ,‘‘ बहुत दुख के साथ हमें सूचित करना पड़ रहा है कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज जी का अमेरिका के न्यूजर्सी में अपने आवास पर आज सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण स्वर्ग के द्वार पर उनका स्वागत करें जहां वह अपना पसंदीदा भजन ‘ ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ उन्हें समर्पित करें । हम उनकी आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करते हैं ।’’
उन्होंने आगे कहा , ‘आपकी प्रार्थनाओं के लिये धन्यवाद । बापूजी जय हो ’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘ पंडित जसराज जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से भारतीय शास्त्रीय विधा में एक बड़ी रिक्तता पैदा हो गयी है। न केवल उनका संगीत अप्रतिम था बल्कि उन्होंने कई अन्य शास्त्रीय गायकों के लिए अनोखे मार्गदर्शक के रूप में एक छाप छोड़ी। उनके परिवार और समस्त विश्व में उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।’’
मोदी ने अपने ट्वीट के साथ पंडित जसराज के साथ अपनी कुछ पुरानी तस्वीरें भी ट्विटर पर डालीं जिनमें वह उन्हें सम्मानित कर रहे हैं ।
अपने आठ दशक से अधिक के संगीतमय सफर में पंडित जसराज को पद्म विभूषण (2000) , पद्म भूषण (1990) और पद्मश्री (1975) जैसे सम्मान मिले । पिछले साल सितंबर में सौरमंडल में एक ग्रह का नाम उनके नाम पर रखा गया था और यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय कलाकार बने थे । इंटरनेशनल एस्ट्रोनामिकल यूनियन :आईएयू: ने ‘माइनर प्लेनेट’ 2006 वीपी 32 :नंबर 300128: का नामकरण पंडित जसराज के नाम पर किया था जिसकी खोज 11 नवंबर 2006 को की गई थी।
इस साल जनवरी में अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले पंडित जसराज ने नौ अप्रैल को हनुमान जयंती पर फेसबुक लाइव के जरिये वाराणसी के संकटमोचन हनुमान मंदिर के लिये प्रस्तुति दी थी । इसके अलावा उन्होंने अपनी बेटी और प्रोड्यूसर दुर्गा की संगीतमय वेब सीरिज ‘उत्साह’ में भी भाग लिया था जो लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर आयोजित की जा रही है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा तमाम राजनेताओं ने पंडित जसराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
श्री कोविंद ने ट्वीट करके कहा, “संगीत विभूति एवं अद्वितीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के निधन से दुख हुआ। पद्म विभूषण से सम्मानित पंडितजी ने आठ दशकों की अपनी संगीत यात्रा में लोगों को भावपूर्ण प्रस्तुतियों से आनंद विभोर किया। उनके परिवार, मित्रगण एवं संगीत-पारखी लोगों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं!”
उपराष्ट्रपति ने ट्वीट किया, “ प्रख्यात संगीतविद् और गायक पंडित जसराज जी के निधन पर दुखी हूं, उनका निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को आशीर्वाद दें। ओम शांति ।”
श्री शाह ने अपने शोक संदेश में कहा,“ संगीत मर्तांड पंडित जसराज जी अतुल्यनीय कलाकार थे जिन्होंने अपनी जादुई वाणी से भारतीय शास्त्रीय संगीत को सींचाकर नया आयाम दिया। उनका निधन निजी क्षति के समान है। उनकी अद्वितीय रचनांए हमेशा हमारे दिलोदिमाग में गूंजती रहेंगी। दिवंगत के परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है। ओम शांति।”
श्री गांधी ने ट्वीट किया,“पंडित जसराज जी का निधन संगीत जगत को एक बड़ी क्षति है। वे अपने अमर गायन के माध्यम से सदैव हमारे बीच रहेंगे। उनके परिवार और प्रियजनों को संवेदनाएं। उनकी स्मृति को मेरा नमन। पंडित जसराज जी का निधन संगीत जगत को एक बड़ी क्षति है।”
भारतीय शास्त्रीय संगीत को नयी ऊंचाईंयों पर ले जाने वाले पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार जिले (अब फतेहाबाद) में हुआ था। पंडित जसराज जब केवल चार वर्ष के थे तभी उनके पिता पंडित मोतीराम का देहान्त हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पंडित मणिराम के संरक्षण में हुआ। पंडित जी को उनके पिता पंडित मोतीराम ने संगीत की शुरुआती दीक्षा दी और बाद में उनके बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण ने उन्हें तबला वादन में प्रशिक्षित किया। वह अपने सबसे बड़े भाई, पंडित मणिराम के साथ अपने एकल गायन प्रदर्शन में अक्सर शामिल होते थे। बेगम अख्तर द्वारा प्रेरित होकर उन्होंने शास्त्रीय संगीत को अपनाया।
उन्होंने शुद्ध उच्चारण और स्पष्टता रखने की मेवाती घराने की विशेषता को आगे बढ़ाया। पंडित जसराज ने 14 वर्ष की उम्र में एक गायक के रूप में प्रशिक्षण शुरू किया, इससे पहले तक वे तबला वादक ही थे। उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में गायक के रूप में अपना पहला स्टेज कॉन्सर्ट किया। मंच कलाकार बनने से पहले, पंडित जी ने कई वर्षों तक रेडियो पर एक ‘प्रदर्शन कलाकार’ के रूप में काम किया। वर्ष 1962 में पंडित जसराज ने फिल्म निर्देशक वी. शांताराम की बेटी मधुरा शांताराम से विवाह किया, जिनसे उनकी पहली मुलाकात 1960 में मुंबई में हुई थी।
पंडित जसराज ने जुगलबंदी का एक उपन्यास रूप तैयार किया, जिसे ‘जसरंगी’ कहा जाता है, जिसे ‘मूर्छना’ की प्राचीन प्रणाली की शैली में किया गया है जिसमें एक पुरुष और एक महिला गायक होते हैं जो एक समय पर अलग-अलग राग गाते हैं। उन्हें कई प्रकार के दुर्लभ रागों को प्रस्तुत करने के लिए भी जाना जाता है जिनमें अबिरी टोडी और पाटदीपाकी शामिल हैं।
श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित ‘मधुराष्टकम्’ भगवान श्री कृष्ण की बहुत ही मधुर स्तुति है। पंडित जसराज ने इस स्तुति को अपने स्वर से घर-घर तक पहुंचाने का काम किया। पंडित जी अपने हर एक कार्यक्रम में ‘मधुराष्टकम्’ अवश्य गाते थे। शास्त्रीय संगीत के अलावा पंडित जसराज ने अर्ध-शास्त्रीय संगीत शैलियों को लोकप्रिय बनाने के लिए भी काम किया है, जैसे हवेली संगीत, जिसमें मंदिरों में अर्ध-शास्त्रीय प्रदर्शन शामिल हैं।
पंडित जसराज ने संगीत की दुनिया में 80 वर्ष से अधिक का समय बिताया और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनो को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया हैं। जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है। उनके कुछ शिष्य उल्लेखनीय संगीतकार भी बने हैं।
पंडित जसराज ने वर्ष 2012 में एक अनूठी उपलब्धि हासिल की थी। उन्होंने 82 वर्ष की उम्र में अंटार्कटिका पर अपनी प्रस्तुति दी। इसके साथ ही वे सातों महाद्वीप में कार्यक्रम पेश करने वाले पहले भारतीय बन गए। पंडित जी ने आठ जनवरी 2012 को अंटार्कटिका तट पर ‘सी स्पिरिट’ नामक क्रूज पर गायन कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। पंडित जसराज ने इससे पहले 2010 में पत्नी मधुरा के साथ उत्तरी ध्रुव का दौरा भी किया था।
उनके भजनों में ओम नमो भगवते वासुदेवाय, गायत्री मंत्र, मेवाती घराना, शिव उपासना आदि बहुत लोकप्रिय हुए।