नयी दिल्ली 11 मार्च ।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश और दिल्ली की जनता को बुधवार को आश्वासन दिया कि 24 और 25 फरवरी को हुए दंगों की जांच वैज्ञानिक ढंग से की जा रही है तथा 2647 दोषियों की पहचान करके उन्हें पकड़ने का काम शुरू कर दिया गया है एवं उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी चाहे वे किसी भी धर्म या मजहब को मानने वाले हों।
श्री शाह ने यहां लोकसभा में दिल्ली की कानून व्यवस्था एवं हाल ही में हुई हिंसा के बारे में नियम 193 के तहत हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसके साथ ही दंगों के पीछे साजिश एवं हवाला के जरिये धन मुहैया कराने की भी जांच की जा रही है। इस बारे में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने कहा कि दंगों के दोषियों के विरुद्ध पुलिस इतनी कठोर कार्रवाई करेगी कि इसके बाद देश में कहीं के भी दंगा करने वालों की हिम्मत दोबारा ऐसा करने की नहीं होगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी निर्दोष को तकलीफ नहीं हो।
दिल्ली दंगों में हिंदू-मुस्लिम नहीं, भारतीय मारा गया: शाह
गृहमंत्री ने दिल्ली दंगों के पीड़ितों की गिनती हिंदू और मुसलमान के तौर पर करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि इस हिंसा में किसी संप्रदाय का व्यक्ति नहीं बल्कि भारतीय मारा गया है और भारतीय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
श्री शाह ने कहा कि इस हिंसा में 52 भारतीयों की मौत हुई है, 526 भारतीय घायल हुए हैं, 371 भारतीयों की दुकानें जलायी गयी और 122 भारतीयों के घरों को आग के हवाले किया गया है। इस हिंसा में भारतीयों के धार्मिक स्थल मंदिर और मस्जिदों को जलाया गया है और वह इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हैं।
सोची समझी साजिश के तहत हुए दिल्ली में दंगे
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसा सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी और इसमें कट्टरपंथियों का खुला ‘नाच’ हुआ है, इसलिए यह देखने की जरूरत है कि इस हिंसा को फैलाने की साजिश कहां से रची गयी।
लोकसभा में बुधवार को दिल्ली हिंसा पर नियम 193 के तहत चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यह हिंसा सोची-समझी साजिश थी। यही वजह है कि घरों की छतों पर ईंट-पत्थर एकत्र किए गये थे और गुलेल के माध्यम से दूसरे समुदाय के लोगों पर पत्थर बरसाए जा रहे थे और उनके घरों को गुलेल से पेट्रोल बम फेंककर जलाया जा रहा था।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में माहौल बिगड़ना पिछले वर्ष 14 दिसम्बर से शुरू हुआ जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यहां रामलीला मैदान की रैली में कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़नी है। इसके बाद दिल्ली में लोग शाहीन बाग में धरने पर बैठ गये। देश के कई इलाकों में उपद्रव हुआ। दिल्ली में भी लोग सड़कों पर उतर आए।
श्रीमती लेखी ने कहा कि दिल्ली हिंसा के दौरान अंकित शर्मा की जिस तरह से हत्या हुई है, वह कट्टरपंथ का चरम है। उनके शरीर पर चाकू के 400 निशान थे। इस तरह की हरकत सिर्फ कट्टरपंथी ही कर सकते हैं। देश में यह कट्टरपंथ कौन फैला रहा है, इस पर चर्चा होनी चाहिए। इन दंगों में 51 लोगों की मौत हुई है और दंगों में घायल 500 लोगों का इलाज चल रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा दंगे कांग्रेस के शासनकाल में हुए हैं। देश में आजादी के बाद से अब तक कुल 1001 दंगे हुए हैं जिनमें 871 यानी 73 प्रतिशत दंगे कांग्रेस के शासनकाल में हुए हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू के शासन काल में ही 243 दंगे हुए थे।
विपक्षी दलों ने दिल्ली हिंसा की न्यायिका जांच की मांग की, गृह मंत्रालय और पुलिस पर सवाल खड़े किए
विपक्षी दलों ने पिछले दिनों दिल्ली हिंसा के दौरान गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया और मांग की कि इस प्रकरण की उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश को लेकर न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए।
दिल्ली हिंसा के विषय पर बुधवार को सदन में चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठाई।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए जिससे तनाव बढ़ा और हिंसा हुई।
रॉय ने गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस पर सक्रियता से काम नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली हिंसा की न्यायिक जांच कराई जाए और यह जांच उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए।
द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से सरकार को बातचीत करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय ये दंगे हुए और प्रशासन से रोक नहीं पाया।
उन्होंने सवाल किया कि क्या सुरक्षा एजेंसियां विफल रही हैं? बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि सीएए में मुस्लिम समुदाय को भी शामिल किया जाए तथा सरकार अल्पसंख्यकों में विश्वास बहाली के लिए कदम उठाए ताकि गलतफहमियां दूर हो सकें।
उन्होंने कहा कि अहिंसा शब्द को संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया जाए।
बसपा के रितेश पांडे ने भी गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि हिंसा में पुलिस की भूमिका को लेकर जो वीडियो सामने आए हैं वो शर्मनाक हैं।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश द्वारा दिल्ली हिंसा की जांच कराई जाए।
सपा के शफीकुर्रहमान बर्क ने भी दिल्ली हिंसा के मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अमोल कोल्हे ने भी न्यायिक जांच की मांग उठाई और कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपनी भूमिका का सही निर्वहन नहीं किया।
उन्होंने कहा कि केंद्र को राजधर्म का पालन करना चाहिए।
भाजपा की सहयोगी जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि हिंसा के पीछे कौन लोग हैं। अगर इसकी जांच सही से हो गई तो कई सफेदपोश लोगों के नाम सामने आ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल सीएए के नाम पर अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने और उन्हें भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि कुछ लोग सीएए को एनआरसी से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री ने कहा कि एनआरसी का कोई प्रस्ताव नहीं है।
भाजपा के संजय जायसवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सत्ता में बाहर रहने की वजह से एक फिर हिंसा भड़का रही है क्योंकि वह ‘बांटो और राज करो’ में विश्वास करती है।
उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि उच्चतम न्यायालय शाहीन बाग में प्रदर्शनों को लेकर सिर्फ वार्ताकार नियुक्त कर रहा है जबकि वह पहले के अपने कई आदेशों में वह कह चुका है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब सड़क अवरुद्ध करना नहीं है।
अमित शाह का लोकसभा में दिया गया जवाब::
दंगाइयों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी चाहे वे किसी भी धर्म के हों :
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश और दिल्ली की जनता को बुधवार को आश्वासन दिया कि 24 और 25 फरवरी को हुए दंगों की जांच वैज्ञानिक ढंग से की जा रही है तथा 2647 दोषियों की पहचान करके उन्हें पकड़ने का काम शुरू कर दिया गया है एवं उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी चाहे वे किसी भी धर्म या मजहब को मानने वाले हों।
श्री शाह ने कहा कि इसके साथ ही दंगों के पीछे साजिश एवं हवाला के जरिये धन मुहैया कराने की भी जांच की जा रही है। इस बारे में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने कहा कि दंगों के दोषियों के विरुद्ध पुलिस इतनी कठोर कार्रवाई करेगी कि इसके बाद देश में कहीं के भी दंगा करने वालों की हिम्मत दोबारा ऐसा करने की नहीं होगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी निर्दोष को तकलीफ नहीं हो।
गृहमंत्री ने दंगों की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) संसद में पूरे लोकतांत्रिक तरीके से पारित हुआ था लेकिन उसके महीने भर बाद 14 दिसंबर को एक राजनीतिक दल ने रामलीला मैदान में एक रैली का आयोजन करके नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बारे में भ्रम फैलाया और लोगों को भड़काया। इसके दो दिन बाद शाहीन बाग का धरना शुरू हो गया। बाद में फरवरी में यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट संगठन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने का आह्वान किया और मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के वारिस पठान के 15 करोड़ बनाम 100 करोड़ के बयान के बाद दिल्ली में सात-आठ जगहों पर धरने, प्रदर्शन एवं उत्तेजक वातावरण बना जो 24 फरवरी को दंगों में तब्दील हो गये।
श्री शाह ने कहा कि दिल्ली पुलिस की कामयाबी यह रही कि वह शहर के मात्र 12 थाना क्षेत्रों में जो दिल्ली के क्षेत्रफल के हिसाब से चार प्रतिशत और आबादी के हिसाब से 13 प्रतिशत तक ही हिंसा को सीमित रख सकी तथा हिंसा भड़कने के बाद भी वह 36 घंटे के अंदर इसे काबू में कर पायी। इसके लिए वह दिल्ली पुलिस की सराहना करते हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में सघन बसावट, आपराधिक तत्वों के इतिहास आदि कारणों से दंगे रोकने में समय लगा। उन्होंने कहा कि 22 एवं 23 फरवरी से लेकर 25 फरवरी तक क्रमश: 80 कंपनियां तैनात की गयीं। 27 तारीख से अब तक 700 से अधिक प्राथमिकी दर्ज कीं गयीं हैं। दिल्ली की जनता और मीडिया संस्थानों से फुटेज मांगे गये हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दंगों के लिप्त 2647 लोगों की पहचान की गयी है और फेस रिकगनीशन साफ्टवेयर से ड्राइविंग लाइसेंस आदि के डाटा के आधार पर 1100 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने कहा कि दोषियों को पकड़ने के लिए 40 टीमों का गठन किया गया है। पूरी कार्रवाई वैज्ञानिक ढंग से साक्ष्यों के आधार पर की जा रही है। सरकार दंगों के दोषियों में धर्म या मजहब के आधार पर भेद करके कार्रवाई नहीं करेगी। गिरफ्तार लोगों में सभी धर्मों के लोग हैं। किसी भी निर्दोष को तकलीफ नहीं होगी। उन्होंने खुलासा किया कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का राज भी ऐसे ही एक फुटेज के कारण खुलने वाला है।
उन्होंने यह भी बताया कि 300 से अधिक लोग उत्तर प्रदेश से आये थे। इसी से पता चला कि दंगों के पीछे गहरी साजिश थी।
श्री शाह ने कहा कि एसआईटी का गठन किया गया है जो गंभीरतम घटनाओं की जांच करेगी। आर्म्स एक्ट के तहत 49 मामले दर्ज किये गये हैं और 152 हथियार जब्त किये गये हैं। विदेशी संपर्क से अशांति फैलाने के आरोप में एक अन्य को पकड़ा गया है। शांति समिति की बैठकें 25 फरवरी को चार बजे शुरू हुईं और अब तक 650 से अधिक बैठकें हो चुकीं हैं।
उन्होंने कहा कि फरवरी के बाद कितनी राशि हवाला के जरिये किसके पास आयी इसकी पूरी सूचनाएं खंगालीं गयीं हैं। हम नतीजे पर पहुंच गये हैं लेकिन अभी आंकड़े पुख्ता नहीं हुए हैं। इसलिए खामोश हैं।
उन्होंने बताया कि दंगों में 52 लोगों की मौत हुई हैं जबकि 526 अन्य घायल हुए हैं। 371 की दुकानें जलीं हैं। 122 घर जले हैं। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति शोकसंवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
उन्होंने विपक्षी नेताओं के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि वह 24 फरवरी को गांधीनगर की अपनी संसदीय सीट पर मोटेरा स्टेडियम में श्री ट्रंप के कार्यक्रम में शामिल हुए थे लेकिन शाम साढ़े छह बजे दिल्ली लौट आये थे और 25 को पूरे वक्त दिल्ली पुलिस के साथ दंगों को नियंत्रित करने में लगे रहे थे।
दिल्ली दंगों में हिंदू-मुस्लिम नहीं, भारतीय मारा गया:
गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली दंगों के पीड़ितों की गिनती हिंदू और मुसलमान के तौर पर करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि इस हिंसा में किसी संप्रदाय का व्यक्ति नहीं बल्कि भारतीय मारा गया है और भारतीय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
श्री शाह ने कहा कि इस हिंसा में 52 भारतीयों की मौत हुई है, 526 भारतीय घायल हुए हैं, 371 भारतीयों की दुकानें जलायी गयी और 122 भारतीयों के घरों को आग के हवाले किया गया है। इस हिंसा में भारतीयों के धार्मिक स्थल मंदिर और मस्जिदों को जलाया गया है और वह इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिलेगा और जिनके परिजनों की जान गयी है उनके हत्यारों काे सख्त सजा दी जाएगी। जिन लोगों की संपत्ति को नुकसान हुआ है उनका मुआवजा दंगाइयों की पहचान कर उनकी संपत्ति बेचकर वसूला जाएगा। जुबेर के कातिलों को सख्त सजा मिलेगी और जिन्होंने अंकित शर्मा की बेरहमी से हत्या की है उनको भी कडी से कडी सजा मिलेगी।
गृहमंत्री ने कहा कि दिल्ली दंगों को पीड़ितों का क्षतिपूर्ति देने के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने का निर्णय लिया गया है और इस बारे में न्यायाधीश का नाम देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा गया है।
दंगों को काबू करने में उन्होंने दिल्ली पुलिस की प्रशंसा की और कहा कि उसने घनी आबादी वाले क्षेत्र में 36 घंटे में दंगों पर नियंत्रण कर लिया था जो आसान काम नहीं था। इस दौरान दंगाइयों को रोकने के लिए पुलिस 5000 आंसू गैस के गोले छोडे़ 400 से ज्यादा गोलियां दागी तथा लाठी चार्ज किया और दंगों को रोका।