इस्लामाबाद 21 दिसंबर । न्यायमूर्ति गुलजार अहमद ने पाकिस्तान के 27 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शनिवार को शपथ ली।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने उन्हें यहां राष्ट्रपति भवन स्थित इवान-ए-सदर में न्यायमूर्ति अहमद को शपथ दिलाई।
इस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी, नेशनल असेंबली के स्पीकर असद क़ैसर, संघीय मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद, सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।
मुख्य न्यायाधीश ,न्यायमूर्ति अहमद आसिफ सईद खोसा का स्थान ग्रहण करेंगे। न्यायमूर्ति खोसा देश के शीर्ष न्यायाधीश के रूप में सेवा देने के बाद शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गए।
न्यायमूर्ति अहमद का कार्यकाल 21 फरवरी, 2022 तक रहेगा।
पाकिस्तान के कानून मंत्रालय ने चार दिसंबर को न्यायमूर्ति अहमद की नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को अधिसूचित किया था।
कराची में दो फरवरी 1957 को जन्मे जस्टिस अहमद ने अपनी शुरुआती शिक्षा गुलिस्तान स्कूल, कराची से ली और राज्य के गवर्नमेंट नेशनल कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की। उन्होंने कराची से एस एम लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की।
न्यायमूर्ति अहमद 1988 में हाई कोर्ट और 1991 में सुप्रीम कोर्ट के वकील बने । उन्हें वर्ष 1999-2000 के लिए सिंध उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, कराची के मानद सचिव के रूप में भी चुना गया था।
बिना किसी डर, भेदभाव के सभी फैसले लिये : खोसा
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने कहा कि उन्होंने अबतक बिना किसी डर और भेदभाव के सभी फैसले लिये या किये हैं।
श्री खोसा ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मेरे निर्णयों के परिणाम या प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण नहीं हैं।” उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा वही किया जो लगा कि सही है।”
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले विशेष न्यायालय ने राजद्रोह के मामले में जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ के खिलाफ अपना फैसला सुनाए जाने के बाद उनके और न्यायपालिका के खिलाफ डराने वाला अभियान शुरू किया गया था।
उल्लेखनीय है पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेट की अगुवायी वाली विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने पूर्व सैन्य तानाशाह को 2-1 के मत से सजा-ए-मौत की सजा सुनायी। न्यायालय ने तीन नवंबर, 2007 को पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुशर्रफ को राजद्रोह का दोषी पाया। फैसले में पैरा 66 के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मुशर्रफ को गिरफ्तार करने और यदि वह मृत पाया जाता है तो उसकी लाश को इस्लामाबाद के डी-चौक पर तीन दिनों तक लटकाने का प्रावधान है।
पत्रकारों से बातचीत में श्री खोसा ने कहा कि न्यायाधीश पत्थर दिल नहीं शेर दिल शेर होना चाहिए। उन्होंने मुशर्रफ के खिलाफ विशेष अदालत के फैसले का समर्थन किया।
श्री खोसा पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने मुशर्रफ के राजद्रोह मामले पर अनुचित प्रभाव डाला है। इस पर श्री खोसा ने कहा,“मुझे उम्मीद है कि इस बारे में सच्चाई सामने आएगी।”