अहमदाबाद, 06 अगस्त ।गुजरात के अहमदाबाद में आज तड़के एक निजी अस्पताल में आग लग जाने से तीन महिलाओं समेत कम से कम आठ कोरोना मरीज़ों की दर्दनाक मौत हो गयी।
उप मुख्यमंत्री सह स्वस्थ मंत्री नितिन पटेल ने बताया कि नवरंगपुरा इलाक़े में स्थित श्रेय अस्पताल के आइसीयू वार्ड में तड़के लगभग तीन बजे आग लग गयी। इसे कोरोना के उपचार के लिए सरकार ने नामित किया था।
इस घटना में वहां इलाज के लिए भर्ती आठ कोरोना मरीज़ों की मौत हो गयी। आग बुझाने का प्रयास करते हुए अस्पताल के एक पर चिकित्सा कर्मी घायल भी हो गया। आग लगने के कारणों तथा सम्पूर्ण घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
श्री पटेल ने बताया की प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार आग आइसीयू में किसी उपकरण में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी हो सकती है। जांच के लिए गठित कमिटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।
आग को क़ाबू कर लिया गया है और बाक़ी के 41 मरीज़ों को सरकारी एसवीपी अस्पताल में भेज दिया गया है। अस्पताल में क़रीब 50 कोरोना मरीज़ भर्ती थे। सभी कोरोना पीड़ित बताए गए हैं।
इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुःख प्रकट किया है तथा मृतकों के परिजनो के लिए आर्थिक सहायता की भी घोषणा की।
राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अमित चावड़ा ने इस घटना पर दुःख जताते हुए आरोप लगाया कि सरकारी तंत्र के भ्रष्ट्राचार के कारण भी ऐसी घटनायें हो रही हैं।
इससे पहले पिछले साल मई में सूरत शहर के एक कोचिंग संस्थान में अवैध रूप से निर्मित ऊपरी हिस्से में आग लगने से 20 से अधिक छात्रों की मौत हुई थी। अस्पताल या किसी भी सार्वजनिक स्थल के लिए मंज़ूरी से पहले अग्निशमन सुरक्षा की जांच होती है और बाद में भी समय समय से इसकी जांच की जानी चाहिए पर गुजरात में ऐसा नहीं हो रहा है।
उधर सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद सी आर पाटिल ने भी घटना पर दुःख जताया और कहा कि राज्य सरकार ने घटना की सम्पूर्ण जांच के लिए दो आइएएस अधिकारियों वाली उच्च स्तरीय समिति बनायी है। इस मामले में अगर कोई दोषी पाया गया तो उसे बख़्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने आग लगने के कारणों तथा सम्पूर्ण घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इसके लिए गठित समिति में दो वरिष्ठ आइएएस अधिकारी भी शामिल हैं।
इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुःख प्रकट किया है तथा मृतकों के परिजनो और घायलों के लिए आर्थिक सहायता की भी घोषणा की। मृतकों के परिजनो को दो-दो लाख और घायलों के लिए 50 हज़ार रुपए की आर्थिक सहायता प्रधानमंत्री राहत निधि से दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस घटना पर दुःख व्यक्त किया है। श्री पटेल ने बताया की राज्य सरकार मृतकों के परिजनो को नियमानुसार न्यूनतम 4 लाख रुपए की सहायता देगी।
इस बीच, मृतकों की पहचान नवनीत शाह (18), लीलबेन शाह (72), नरेंद्र शाह (51), आरिस मंसूरी (42), अरविंद भावसार (72), ज्योति सिंधी (55), मनुभाई रामी (82) और भाविन शाह (51) के रूप में की गयी है।
उधर घटना के बाद मरीज़ों के परिजनो ने अस्पताल के सामने हंगामा भी किया। इस तरह के आरोप भी लगाए जा रहे हैं कि इस अस्पताल की अग्निशमन सुरक्षा प्रणाली सही नहीं थी और इसका कुछ हिस्सा ग़ैर क़ानूनी ढंग से बना था। पुलिस ने अस्पताल के चार में से एक ट्रस्टी भरतभाई को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। जांच में विधि विज्ञान प्रयोगशाला यानी एफएसएल की टीम और अग्निशमन विभाग के विशेषज्ञों को भी जोड़ा गया है। सीसीटीवी फूटेज भी जुटाया जा रहा है।
इस बात पर भी चिंता जतायी जा रही है कि कोरोना के रोगियों की मौजूदगी में अफ़रातफ़री वाले माहौल में हुई इस घटना के चलते आग बुझाने वाले कर्मी भी संक्रमित हुए हो सकते हैं। कोरोना संक्रमण नियंत्रण से जुड़े राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव गुप्ता ने कहा कि यह अस्पताल उन कुछ शुरुआती निजी अस्पतालों में था जिन्हें कोरोना के इलाज के लिए नामित किया गया था। इसमें पूर्व में 300 से अधिक कोरोना मरीज़ों का सफल उपचार हो चुका था। इसे केंद्र और राज्य सरकार की ओर से तय अग्निशमन सुरक्षा मानकों की जांच के बाद ही नामित किया गया था। आगे अन्य पहलुओं की जांच की जाएगी।