अहमदाबाद, 31 मार्च । गुजरात के चर्चित इशरत जहां मुठभेड़ प्रकरण में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने राज्य के दो तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत तीन पुलिसकर्मियों को आज यहां आरोपमुक्त कर दिया।
विशेष जज विपुल रावल ने इस मामले में जेल में भी रह चुके सेवा निवृत पुलिस उपाधीक्षक तरुण बारोट, आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल और तत्कालीन सहायक सब इन्स्पेक्टर अनाजु चौधरी को आरोप मुक्त कर दिया।
उनकी आरोप मुक्ति अर्ज़ी पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी के तहत काम कर रहे थे।
ज्ञातव्य है कि 15 जून 2004 को अहमदाबाद में गुजरात पुलिस ने मुंबई निवासी कॉलेज छात्रा इशरत जहां (19), उसके पुरुष मित्र प्रणयेश पिल्लई उर्फ़ जावेद शेख़ और दो अन्य कथित पाकिस्तानी युवकों को एक मुठभेड़ में मार गिराया था।
पुलिस का कहना था कि ये सभी आतंकी संगठन लश्करे तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे।
बाद में केंद्र की तत्कालीन सम्प्रग सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपा था और उसने इसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ क़रार देते हुए उक्त तीनो समेत गुजरात पुलिस के सात पुलिस अधिकारियों/कर्मियों को आरोपी बनाया था और उन्हें गिरफ़्तार भी किया था।
इनमे से दो पूर्व आईपीएस डी जी वणजारा और पुलिस अधिकारी एन के अमीन को सीबीआई की अदालत ने मई 2019 में आरोपमुक्त किया था।
आज आरोपमुक्त किया गए तीन के साथ ही अगस्त 2019 में आरोपमुक्ति की अर्ज़ी देने वाले एक अन्य पुलिस अधिकारी के जी परमार की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो चुकी थी।
उससे पहले इस मामले के एक अन्य आरोपी पुलिस अधिकारी और पूर्व डीजीपी पी पी पांडेय को सीबीआई अदालत ने फरवरी 2018 में आरोपमुक्त कर दिया था।
गुजरात सरकार ने सीबीआई को इन सातों पर अभियोजन की अनुमति नहीं दी थी और इसी कारण से अदालत को आगे की सुनवाई को रद्द करते हुए उनके ख़िलाफ़ आरोप समाप्त करने पड़े।