अहमदाबाद, 25 नवंबर । गुजरात में विधानसभा चुनाव की चर्चा जगह-जगह होने लगी है लेकिन राजनीति और अर्थ का केंद्रविंदु माने जाने वाले इस ऐतिहासिक शहर में अभी भी ‘चुनावी रंग’ नहीं चढ सका है.
औद्योगिक, व्यावसायिक और शिक्षा का केंद्र माने जाने वाले इस नगर में प्रथम चरण का मतदान नौ दिसंबर को होने वाला है इसके बावजूद यहां न तो किसी पार्टी का झंडा, बैनर, पोस्टर आदि नजर आ रहा है और न ही कोई राजनीतिक परिदृश्य दिख रहा है।
राज्य में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं का दौरा शुरू हो गया है उसके बावजूद शहर उदास है.
लगभग 70 लाख की आबादी वाले इस शहर में कुल 16 विधानसभा सीट है. शहर में निजी कंपनियों के बैनर पोस्टर तो दिख जाते हैं लेकिन राजनीतिक दलों का इस तरह का कोई प्रचार नहीं है.
भाजपा और कांग्रेस के इस शहर के प्रमुख स्थानों पर आलीशान कार्यालय हैं लेकिन वहां कोई विशेष चहल-पहल नहीं है।
भाजपा ने अपने कार्यालय के अलावा एसजी रोड में मीडिया केंद्र बनाया है जहां से प्रचार कार्य चलाया जा रहा है. कार्पोरेट घरानों के कार्यालयों की तर्ज बने यह केंद्र आधुनिक सुविधाओं से लैस है तथा यहां नेताओं के प्रेस कांफ्रेंस के लिए स्टूडियो जैसी सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है.इस कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग लगा है जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कुछ स्थानीय नेताओं का चित्र लगा है.
कांग्रेस का राज्य कार्यालय यहां कार्पोरेट घरानों की तर्ज पर ही शानदार ढंग से बना है. राजीव गांधी भवन में तमाम आधुनिक सुविधायें उपलब्ध है लेकिन यहां कोई विशेष चहल पहल नहीं है. इस संंबंध में पूछे जाने पर कार्यालय के कर्मचारियों ने बताया कि सभी पदाधिकारी पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यक्रम में लगे हैं.
श्री गांधी कल से ही राज्य के दौरे पर हैं. श्री गांधी ने कल शाम ही शहर के पूर्वी क्षेत्र में एक रोड शो किया और लोगों को संबोधित किया. कांग्रेस कार्यालय के बाहर जो होर्डिंग लगे हैं उनमें से एक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक बड़ी सी तस्वीर लगी है. इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा पार्टी के अन्य स्थानीय नेताओं की छोटी-छोटी तस्वीर है. दूसरे होर्डिंग में श्रीमती गांधी की बड़ी सी तस्वीर लगी है जिसमें अन्य स्थानीय नेताओं का चित्र लगा है.
भाजपा और कांग्रेस के कार्यालय में अपनी-अपनी पार्टी की मदद के लिए राजस्थान और महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता आये हुए हैं. वे खुलकर कुछ भी बोलने से बचते हैं और केवल इतना कहते हैं कि पार्टी ने जो उन्हें जिम्मेदारी दी है उसे पूरा कर रहे हैं.
अहमदाबाद स्थित निजी संस्थानों में काम करने वाले अधिकारी या कर्मचारी चुनाव की चर्चा किये जाने पर इससे बचते हैं. वे चुनाव संबंधी किसी भी सवाल को टाल कर जल्दी से निकल जाते हैं.
यहां रहकर अलग-अलग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले युवक चुनावी चर्चा से बचते हैं. आमतौर पर ऑटो चालकों में चुनाव को लेकर दिलचस्पी है.
सिंधी मूल के एक ऑटो चालक ने बताया कि अभी यहां कांग्रेस और भाजपा की बराबर की टक्कर है लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चुनाव प्रचार अभियान शुरू होगा तो स्थिति बदलेगी. यहां घर-घर में लोग श्री मोदी और श्री शाह को जानते हैं.
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को अपना नेता बताने वाले इस आटो चालक ने कहा कि वह यहां से कई बार सांसद रहे इसके बावजूद अपने समाज के लिए कोई खास कार्य नहीं किया.attacknews