नयी दिल्ली, 12 मार्च। माल एवं सेवा कर( जीएसटी) के क्रियान्वयन के नौ महीने के भीतर ही राजस्व प्राधिकरणों ने काला बाजारी एवं आयात के निम्न कीमत निर्धारण के जरिये कर चोरी का पता लगाया है।
सूत्रों ने कहा, प्राधिकरणों ने वृहद पैमाने की सूचनाओं के विश्लेषण की पद्धति ( बिग डाटा एनालिटिक्स) के जरिये पाया कि आयातक जीएसटी का भुगतान तो कर रहे हैं पर वे वस्तुओं की आपूर्ति उनका बिल काटे बिना कर रहे हैं। जबकि आयात पर एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के भुगतान का समायोजन अंतिम उपभोक्ता द्वारा चुकाए जाने वाले जीएसटी या फिर रिफंड के दावे के साथ समायोजित किया जा सकता है।
विश्लेषण के अनुसार कई बड़ी कंपनियों समेत आयातक आयात पर एकीकृत जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं लेकिन इसके क्रेडिट का दावा नहीं कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा, इससे पता चलता है कि घरेलू बाजार में आयातित वस्तुओं की आपूर्ति बिना बिल के की जा रही है।
लग्जरी तथा नुकसानदेह वस्तुओं पर उपकर के मामले में ऐसी स्थिति पायी गयी है। कंपनियां आयात के समय जीएसटी का भुगतान कर रही हैं पर उपभोक्ताओं द्वारा अंतिम भुगतान के बाद वे क्रेडिट का दावा नहीं कर रही हैं।
जीएसटी परिषद ने शनिवार को हुई बैठक में कर चोरी पर चर्चा की है।
सूत्रों ने कहा कि परिषद ने कर चोरी के लिए जिम्मेदार कारकों को समाप्त करने तथा पर्याप्त कदम उठाने के लिए आंकड़ों के आगे भी विश्लेषण का निर्देश दिया है।
प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी के तहत मासिक राजस्व में गिरावट आ रही है।
आंकड़ों से पता चला है कि 73 हजार से अधिक करदाता करीब 30 हजार करोड़ रुपये के आईजीएसटी का भुगतान कर तो रहे हैं पर उसके लिए रिफंड का दावा नहीं कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार आयातित वस्तुओं पर चुकाए गए आईजीएसटी और उपकर के भुगतान के विश्लेषण से पता चलता है कि 33000 से अधिक कर दाताओं ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान का दावा किया है।
सूत्रों ने कहा कि विभाग संभावित कर चोरों की पहचान करने के लिए जोखिम आधारित पैमानों का इस्तेमाल कर रहा है तथा प्रोपराइटरी और भागीदारी फर्मों पर नजर रख रहा है।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण की शुरुआत का मतलब है कि सरकार जल्दी ही कर चोरों की पहचान करने लगेगी।attacknews.in