नयी दिल्ली, छह फरवरी। कंपनियों द्वारा माल एवं सेवा कर :जीएसटी: कम्पोजिशन योजना के तहत दाखिल रिटर्न की संख्या से सरकार हैरान है। करीब पांच लाख कंपनियों ने रिटर्न में अपनी सालाना बिक्री को सिर्फ पांच लाख रुपये ही दिखाया है।
इस बीच, अधिया ने आज फिर दोहराया कि पिछले कुछ दिन के दौरान शेयर बाजारों में गिरावट की वजह वैश्विक स्तर पर बाजारों में गिरावट है।
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि दीर्घावधि के पूंजीगत लाभ कर :एलटीसीजी: के प्रस्ताव की वजह से बाजार टूट रहा है।
जीएसटी के तहत 20 लाख रुपये तक कारोबार वाली कंपनियों को जीएसटी व्यवस्था से छूट है। जीएसटी पिछले साल एक जुलाई को लागू हुआ है।
जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान कम्पोजिशन योजना के विकल्प को चुनने वाली करीब दस लाख कंपनियों में से सात लाख ने तिमाही के लिए रिटर्न दाखिल किया है।attacknews.in
वित्त सचिव हसमुख अधिया ने आज यहां उद्योग की एक बैठक में कहा, ‘‘हैरानी की बात है कि इन सात लाख कंपनियों में से पांच लाख ने अपना जो रिटर्न दाखिल किया है, उसके मुताबिक उनका वार्षिक कारोबार पांच लाख रुपये से कम बैठता है। अब हम सोच रहे हैं कि उनको पंजीकरण कराने की क्या जरूरत थी। जीएसटी में 20 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार तक पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं है।’’
अधिया ने कहा, ‘‘हम इस गणित को नहीं समझ पाए, जबकि हमने कम्पोजिशन योजना के लिए सीमा बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दी। ऐसा करने की जरूरत नहीं थी।’’attacknews.in
जीएसटी परिषद ने नवंबर, 2017 में कम्पोजिशन योजना की सीमा बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये करने का फैसला किया था और साथ ही जीएसटी कानून को संशोधित कर सांविधिक सीमा को दो करोड़ रुपये करने का फैसला किया है। उससे पहले तक यह सीमा एक करोड़ रुपये थी।
कम्पोजिशन योजना के तहत कारोबारी और विनिर्माताओं को एक प्रतिशत कम दर पर कर का भुगतान करने की अनुमति होती है।
अधिया ने करीब 14 साल बाद एलटीसीजी कर को फिर से लागू करने की वजह बताते हुए कहा कि सभी ऐसी संपत्तियां जिनमें दीर्घावधि का रिटर्न मिल रहा है, पर कर लगता है। लेकिन शेयरों के साथ ऐसा नहीं है। इसी अंतर को दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है।attacknews.in