नयी दिल्ली, 11 मार्च। प्रधानमंत्री कार्यालय( पीएमओ) ने माल एवं सेवाकर( जीएसटी) का रिफंड नहीं मिलने की शिकायत पर गौर करते हुये वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों की कल बैठक बुलाई है।
निर्यातकों का कहना है कि नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने के आठ माह बीत जाने के बाद भी उनका70 प्रतिशत रिफंड अभी भी सरकार के पास अटका पड़ा है।
सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में रिफंड मिलने में देरी का निर्यात और विनिर्माण पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आकलन किया जायेगा।
निर्यातकों को रिफंड मिलने में हो रही देरी का मुद्दा पिछले पांच माह से काफी चर्चा में है। निर्यातकों की शिकायत है कि रिफंड समय पर नहीं मिलने की वजह से उनकी कार्यशील पूंजी रूक गई है जिसका असर उनकी कामकाजी गतिविधियों पर पड़ रहा है।
उधर, राजस्व विभाग का कहना है कि निर्यातकों ने सीमाशुल्क विभाग और जीएसटी नेटवर्क यानी जीएसटीएन में जो फार्म जमा कराये हैं उनमें विसंगतियां हैं।
केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड( सीबीईसी) ने अक्तूबर के बाद से चार माह में निर्यातकों के रिफंड के लिये4,000 करोड़ की मंजूरी दी है। इसके अलावा करीब10,000 करोड़ रुपये के रिफंड दावे अभी अटके पड़े हैं। ये दावे निर्यातकों की ओर से भरे गये फार्म में और सीमा शुल्क विभाग में जमा कराये गये शिपिंग बिलों में और दूसरी तरफ जीएसटी नेटवर्क में जीएसटीआर-1 अथवा टेबल6 ए या फिर जीएसटीआर-3 बी में विसंगतियां सामने आने की वजह से अटके पड़े हैं।
सूत्रों का कहना है कि कल होने वाली बैठक में वित्त सचिव हसमुख अधिया, वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया, सीबीईसी चेयरपर्सन वनजा सरना और विदेश व्यापार महानिदेशालय( डीजीएफटी) के शीर्ष अधिकारी उपस्थित होंगे।
वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाला डीजीएफटी इस दौरान निर्यातकों के लंबित रिफंड पर प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के समक्ष प्रस्तुतीकरण देगा।
जीएसटी परिषद ने पिछले साल अक्तूबर में कहा था कि निर्यातकों को रिफंड के लिये एक ई- वालेट प्रक्रिया तैयार की जायेगी। उसने डीजीएफटी से इसे अप्रैल2018 से अमल में लाने के लिये जरूरी नियम तैयार करने को कहा है।attacknews.in