नयी दिल्ली, 23 सितंबर । आनलाइन खरीद सुविधा देने वाला सरकारी कंपनी जीईएम (गर्वनमेंट ई-मार्केटप्लेस) निजी कंपनियों तथा व्यक्तियों को भी अपने मंच के जरिये खरीदारी की सुविधा देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। फिलहाल इस पोर्टल पर केंद्र, राज्यों के सरकारी विभाग व उपक्रम खरीदारी करते हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के अधीन आने वाली जीईएम को उम्मीद है कि वह 2019-20 के अंत तक लाभ में आ जाएगी। जीईएम के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एस सुरेश कुमार ने बातचीत में कहा, ‘‘हम निजी कंपनियों और लोगों को इस मंच के जरिये खरीदारी करने की सुविधा देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि कब तक इसकी अनुमति मिल सकती है, उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में सरकार को निर्णय करना है। हम इस पर विचार कर रहे हैं। इससे ज्यादा मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।’’
उल्लेखनीय है कि इसी महीने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा था कि सरकार निजी कंपनियों को भी खरीदारी करने के लिए जीईएम की सुविधा उठाने की छूट देना चाहती है, जीईएम को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि जीईएम लोगों को भी मंच के जरिये उत्पाद खरीदने की मंजूरी देने पर विचार कर सकती है।
उन्होंने कहा था, ‘‘अगर कोई जीईएम प्लेटफार्म से सामान या वस्तु खरीदना चाहता है, उसे भी अनुमति होगी। अगर खरीदारी ज्यादा होगी तो कीमतें कम होंगी और इससे सरकार तथा दूसरे पक्षों को भी लाभ होगा।’’ एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जीईएम को 2019-20 के अंत तक सरकार से कोई मदद लेने की जरूरत नहीं होगी और यह मुनाफे में आ जाएगी।’’ फिलहाल जीईएम को कामकाज के लिये सरकार से कोष मिल रहा है।
इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम 2019-20 के अंत तक जीईएम को आत्मनिर्भर बनाने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिये हमने उच्च मूल्य के लेन-देन पर शुल्क लेने का निर्णय किया है। इसके तहत अगस्त से 30 लाख से ज्यादा के लेन-देन पर 0.5 प्रतिशत शुल्क विक्रेताओं से लिया जा रहा है। इसमें खरीदार को कुछ नहीं देना है।’’ अभी जीईएम से 27 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जुड़े हैं। वहीं जम्मू कश्मीर, राजस्थान, कर्नाटक, गोवा और सिक्कम तथा दिल्ली को सहमति पत्र पर दस्तखत करना बाकी है। जीईएम पर होने वाले खरीद मूल्य के बारे में पूछे जाने पर अतिरिक्त सीईओ ने कहा, ‘‘फिलहाल यह फिलहाल करीब 12,000 करोड़ रुपये का है जो चालू वित्त वर्ष के अंत तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान है।’’
अगस्त, 2016 में अस्तित्व में आई जीईएम पर आनलाइन खरीदारी के लिये फिलहाल करीब 4.89 लाख उत्पाद उपलब्ध हैं जबकि 26,000 से अधिक सरकारी संगठन पंजीकृत हैं। वहीं विक्रेताओं की संख्या करीब 1,30,000 है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘एक अनुमान के अनुसार सरकारी खरीद में लागत 25 से 30 प्रतिशत की बचत हुई है। साथ ही इससे सरकारी खरीदारी में पारदर्शिता तथा दक्षता आयी है।attacknews.in