कोलंबो, 18 नवंबर ।गोटबाया राजपक्षे ने सोमवार को श्रीलंका के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर एक प्राचीन बौद्ध मंदिर में शपथ ली। शपथ ग्रहण के लिये उन्होंने मंदिर का चयन सिंहली समुदाय से मिले व्यापक जनसमर्थन को दर्शाने के लिये चुना और बौद्धों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ समुदाय की सुरक्षा की बात कही।
शपथग्रहण समारोह अनुराधापुरा के रूवानवेली सेया में हुआ जो एक स्तूप है और दुनियाभर के बौद्ध इसे बेहद पवित्र मानते हैं। यह राजधानी कोलंबो से करीब 200 किलोमीटर दूर है।
राजपक्षे देश के पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने कोलंबो के बाहर शपथ ली है।
सफेद परिधान पहने राजपक्षे (70) ने मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या की उपस्थिति में शुभ मुहूर्त के अनुसार पूर्वाह्न 11 बजकर 49 मिनट पर आधिकारिक दस्तावेज पर दस्तखत किये। इससे पहले राष्ट्रपति के सचिव उदय आर सेनेविरत्ने ने उन्हें शपथ दिलाई।
अपने संक्षिप्त संबोधन में उन्होंने देश में शक्तिशाली बौद्ध भिक्षुओं को उनकी राष्ट्रपति पद की दावेदारी का समर्थन करने के लिये शुक्रिया कहा।
उन्होंने अपने निर्वाचन के लिये बहुसंख्यक सिंहली समुदाय के लोगों को भी धन्यवाद दिया।
राजपक्षे ने कहा, “मैं जानता था कि सिर्फ सिंहली समुदाय से आने वाले समर्थन से राष्ट्रपति चुनाव जीतूंगा। मैंने अल्पसंख्यकों से मेरे साथ आने को कहा था। मुझे कोई समर्थन नहीं मिला। लेकिन मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मैं सभी का राष्ट्रपति रहूं।”
राजपक्षे ने कहा कि वह सभी समुदायों की रक्षा करेंगे जबकि सबसे अग्रणी स्थान बौद्धों को देंगे।
राजपक्षे को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के सैन्य अभियान के खात्मे का श्रेय दिया जाता है। द्वीप के उत्तर और पूर्व में अलग तमिल राष्ट्र की मांग को लेकर लिट्टे ने 30 सालों तक सशस्त्र संघर्ष किया।
राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई हैं जो इस समारोह में विशेष अतिथि थे।
ऐसी उम्मीद है कि वो आज महिंदा को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं।
वह 1992 में अमेरिका जाने से पहले तक श्रीलंका की सेना में कर्नल थे और तब तक उत्तर में लिट्टे के खिलाफ युद्ध के मैदान में थे।
राजपक्षे तब श्रीलंका लौटे जब उनके बड़े भाई महिंदा को 2005 में राष्ट्रपति का उम्मीदवार नामित किया गया था। भाई की जीत के बाद उन्हें शक्तिशाली रक्षा सचिव के पद पर नियुक्त किया गया।
वह 2006 में लिट्टे द्वारा किये गए एक जानलेवा हमले में बाल-बाल बचे थे। हमले में वो मामूली रूप से जख्मी हुए थे।
राजपक्षे राष्ट्रपति बनने वाले देश के पहले नौकरशाह हैं। देश के इतिहास में यह भी पहला मामला होगा जब किसी राष्ट्रपति के भाई ने भी राष्ट्रपति पद की शपथ ली है, वह भी कभी सांसद रहे बिना।
चुनाव आयोग ने रविवार को परिणाम जारी करते हुए घोषणा की थी कि राजपक्षे ने सजीत प्रेमदास (52) को 13 लाख से अधिक मतों से पराजित किया।
आयोग ने बताया कि राजपक्षे को 52.25 प्रतिशत (69,24,255) मत मिले जबकि प्रेमदास को 41.99 प्रतिशत (55,64,239) वोट प्राप्त हुए। अन्य उम्मीदवारों को 5.76 प्रतिशत वोट मिले।