गाडरवारा में किसानों के आंदोलन में यशवंत सिन्हा के धरने पर बैठने से मध्यप्रदेश की राजनीति गरमाई Attack News

नरसिंहपुर 3 फरवरी। भारतीय जनता पार्टी केनेता यशवंत सिन्हा मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में किसानों की कथित मांगों के समर्थन में कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हुए हैं.
नरसिंहपुर जिला प्रशासन ने यशवंत सिन्हा को इस धरने की अनुमति नहीं दी है.

अवैध रूप से दिए जा रहे इस धरने के बाद भी जिला प्रशासन सिन्हा को हटाने के लिए किसी भी तरह का बल प्रयोग नहीं कर रहा है.

इस कारण यह माना जा रहा है कि सिन्हा के बागी तेवरों को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महाराष्ट्र जैसे हालात नहीं बनाना चाहते हैं.

अभी तक शिवराज सिंह चौहान ने यशवंत सिन्हा से कोई संपर्क भी स्थापित नहीं किया है. सिन्हा के साथ किसान नेता शिवकुमार शर्मा भी धरने पर बैठे हैं.

धरना गाडरवारा में स्थापित एनटीपीसी के पॉवर प्लांट के लिए किसानों से ली गई जमीन के बदले मुआवजे की शर्तों के पालन को लेकर दिया जा रहा है.

किसान पिछले छह माह से यहां आंदोलन कर रहे हैं. यशवंत सिन्हा पिछले माह भी इस धरने में शामिल हुए थे.

उन्होंने जिला प्रशासन और एनटीपीसी प्रबंधन को पंद्रह दिन में मांगों का निराकरण करने का अल्टीमेटम दिया था. मांगों का निराकरण न होने के बाद सिन्हा फिर धरना देने आ गए. वे खटिया डाल कर धरने पर बैठे हैं.

एनटीपीसी को देना है बोनस और नौकरी

मध्यप्रदेश नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा की जमीन काफी उपजाऊ जमीन है. यहां के किसान साल में तीन फसल लेते हैं. एनटीपीसी ने यहां पावर प्लांट स्थापित करने के लिए सात सौ किसानों की लगभग अठारह सौ एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था.
किसानों को जमीन के बदले पंद्रह लाख रुपए प्रति एकड़ राशि देने का प्रस्ताव रखा गया था.

किसानों ने राशि बढ़ाने के लिए आंदोलन किया. केन्द्र सरकार के तत्कालीन ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रति एकड़ राशि बढ़ाकर अठारह लाख रुपए कर दी थी.

किसानों को हर साल तीस हजार रुपए प्रति एकड़ का बोनस दिए जाने का लिखित वादा भी किया था. बोनस की राशि तीस साल तक दी जानी है. प्लांट में परिवार के एक सदस्य को स्थाई नौकरी दिए जाने का वादा भी किया गया था.

किसानों को वादे के अनुसार न तो बोनस का भुगतान किया गया और न ही परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी गई है. किसान नेता जंडेल सिंह कौरव कहते हैं कि एनटीपीसी की वादाखिलाफी के कारण कई परिवारों को मजदूरी कर गुजारा करना पड़ रहा है.

एनटीपीसी प्रबंधन पूरे विवाद से यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि उसने मुआवजे की पूरी राशि सरकार के पास जमा करा दी है. मध्यप्रदेश सरकार इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है.

यशवंत सिन्हा के आंदोलन में शामिल होने के बाद गाडरवारा में चल रहा किसानों का धरना सुर्खियों में आ गया. किसान आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था.

इसमें नाटकीय मोड़ उस वक्त आया जब पुलिस ने आंदोलन समाप्त कराने के लिए बल प्रयोग किया और किसानों के खिलाफ अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण कानून के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कर दिया. किसान लगभग पंद्रह दिन तक जेल में रहे.

एट्रोसिटी एक्ट में यह मुकदमा एनटीपीसी के कर्मचारी तुषार लाइडले की शिकायत पर दर्ज किया गया. लाइडले महाराष्ट्र के मूल निवासी हैं.

गाडरवारा के आंदोलनकारी किसानों को लाइडले की जाति के बारे में कोई जानकारी भी नहीं थी. न ही किसानों ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया था.

इसके बाद भी पुलिस द्वारा एट्रोसिटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किए जाने से विवाद शांत होने के बजाए बढ़ गया है.

लाइडले की जाति मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग की सूची में है. पुलिस द्वारा बगैर पुष्टि के मुकदमा दर्ज किए जाने पर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं. यशवंत सिन्हा किसानों पर दर्ज मुकदमा हटाने की मांग भी कर रहे हैं.attacknews.in

सिन्हा से कलेक्टर अभय वर्मा, एसपी डॉ. मोनिका शुक्ला ने भी मुलाकात की. सिन्हा ने जब उनसे पूछा कि किस तरह किसानों पर फर्जी तरीके से मामला दर्ज किया गया है तो दोनों अधिकारी जवाब नहीं दे पाए.attacknews.in

एनटीपीसी भी अब इस बात से मुकर गई है कि उसने एट्रोसिटी एक्ट में कोई मुकदमा दर्ज कराया है.

नरसिंहपुर एसपी मोनिका शुक्ला ने कहा है कि सिन्हा ने मुकदमा हटाने की मांग भी जोड़ दी है.

सिन्हा ने कहा कि वे मुकदमा हटने के बाद ही धरने से हटेंगे.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस पूरे विवाद में अब तक चुप्पी साधे हुए हैं.

यशवंत सिन्हा ने धरने पर बैठने के बाद किसानों के समर्थन में कुछ और मांगे भी जोड़ दी हैं. उन्होंने भावांतर योजना को भी तत्काल बंद करने की मांग की है.

कलेक्टर अभय वर्मा कहते हैं कि हमने यहां के हालातों और सिन्हा की मांगों की जानकारी सरकार को भेज दी है. किसानों को आंदोलन से अलग करने के लिए स्थानीय विधायक गोविंद सिंह पटेल सक्रिय हो गए हैं.attacknews.in

किसानों के आंदोलन को विभाजित करने की कोशिश भी स्थानीय स्तर पर चल रही है. दिलचस्प यह है कि भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं ने भी आंदोलन से दूरी बना रखी है. वहीं राज्य के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने सिन्हा के आंदोलन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वे बाहरी व्यक्ति हैं, यहां आंदोलन क्यों कर रहे हैं समझ से परे है.attacknews.in