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अनिल अंबानी

फ्रांस ने अनिल अंबानी की फ्रांसीसी कंपनी को वैश्विक सहमति के बाद करों में भारी छूट दी थी , इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं था attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 अप्रैल । फ्रांस ने शनिवार को कहा कि वहां के कर प्राधिकरणों तथा रिलायंस की अनुषंगी के बीच कर छूट को लेकर वैश्विक सहमति बनी थी और इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया है।

फ्रांस ने यह स्पष्टीकरण उन खबरों के पृष्ठभूमि में दिया है जिनमें अनिल अंबानी की फ्रांसीसी कंपनी को भारी-भरकम कर छूट मिलने की बातें की गयी हैं।

फ्रांच के एक शीर्ष अखबार ला मोंदे ने 36 राफेल विमानों की खरीद की भारत की घोषणा के बाद अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कम्युनिकेशन्स की एक अनुषंगी का 14.37 करोड़ यूरो का कर 2015 में माफ किये जाने की खबर दी है।

फ्रांस के दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘‘फ्रांस के कर प्राधिकरणों तथा दूरसंचार कंपनी रिलायंस फ्लैग के बीच 2008 से 2018 तक के कर विवाद मामले में वैश्विक सहमति बनी थी। विवाद का समाधान कर प्रशासन की आम प्रक्रिया के तहत विधायी एवं नियामकीय रूपरेखा का पूरी तरह पालन करते हुए निकाला गया था।’’

दूतावास ने कहा कि विवाद का समाधान करने में किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में 10 अप्रैल, 2015 को फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 राफेल विमानों की खरीद की घोषणा की थी।

कांग्रेस इस सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाती रही है। विपक्षी दल ने आरोप लगाया है कि सरकार 1,670 करोड़ रुपये की दर से एक विमान खरीद रही है जबकि तत्कालीन संप्रग सरकार ने प्रति विमान 526 करोड़ की दर से सौदा पक्का किया था।

कांग्रेस अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस डिफेंस को दसाल्ट एवियशन का ऑफसेट साझीदार बनाने को लेकर भी सरकार को निशाना बना रही है। हालांकि सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है।

समाचार पत्र ने कहा कि फ्रांस के अधिकारियों ने रिलायंस फ्लैग अटलांटिक फ्रांस की जांच की और पाया कि 2007-10 के बीच उसे छह करोड़ यूरो के कर का भुगतान करना था।

हालांकि मामले को सुलटाने के लिए रिलायंस ने 76 लाख यूरो की पेशकश की लेकिन फ्रांस के अधिकारियों ने राशि स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अधिकारियों ने 2010-12 की अवधि के लिए भी जांच की और कर के रूप में 9.1 करोड़ यूरो के भुगतान का निर्देश दिया।

अप्रैल, 2015 तक रिलायंस को फ्रांस के अधिकारियों को 15.1 करोड़ यूरो का कर देना था।

हालांकि पेरिस में मोदी द्वारा राफेल सौदे की घोषणा के छह महीने बाद फ्रांस अधिकारियों ने अंबानी की कंपनी की 73 लाख यूरो की पेशकश स्वीकार कर ली।

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