नयी दिल्ली 21 सितम्बर । सरकार ने शुक्रवार को कहा कि फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान राफेल के सौदे से संबंधित ऑफसेट समझौते में उसने किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया है और उस रिपोर्ट की सच्चाई का पता लगाया जा रहा है जिसमें फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद के हवाले से यह कहा गया है कि भारतीय भागीदार कंपनी का नाम भारत सरकार की ओर से दिया गया था।
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने कहा:
श्री ओलांद ने कहा कि भारत सरकार ने डसॉल्ट के साथ आॅफसेट समझौते के लिए रिलांयस डिफेंस इंडस्ट्रीज के नाम का प्रस्ताव किया था और उनकी सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था।
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने कहा है कि भारत की तरफ से ही सौदे के लिए अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस इंडस्ट्रीज के नाम का प्रस्ताव किया गया था।
फ्रांसीसी वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ में प्रकाशित एक साक्षात्कार में श्री ओलांद का हवाला देते हुए कहा गया है कि राफेल सौदे के लिए भारत की तरफ से ही रिलायंस के नाम का प्रस्ताव किया गया था और विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन के पास रिलायंस के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
कांग्रेस ने सरकार को घेरा:
कांग्रेस ने कहा है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर लगातार झूठ बोल रही मोदी सरकार की पोल फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने यह कहते हुए खोल दी है कि अनिल अंबानी की कंपनी के नाम का प्रस्ताव भारत सरकार की ओर से ही किया गया था।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को श्री ओलांद के इस खुलासे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया “सफ़ेद झूठ का पर्दाफ़ाश हुआ, सच्चाई हुई जग-ज़ाहिर। फ़्रान्स के राष्ट्रपति ने किया भंडाफोड़ – सरकारी कम्पनी, एचएएल से 30,000 करोड़ का राफेल ठेका छिन मोदी सरकार ने दिलवाया था अपने चहेते उद्योगपति मित्र को। अब साफ़ है – चौकीदार, सिर्फ़ भागीदार नहीं, असली गुनहगार है।”
इसके साथ ही उन्होंने उस खबर का अंग्रेजी अनुवाद भी पोस्ट किया है जिसमें पूर्व राष्ट्रपति ने आरोप लगाया है कि इस सौदे में भारतीय उद्योगपति अनिल अम्बानी की रिलायंस डिफेंस इंडस्ट्रीज के नाम का प्रस्ताव भारत सरकार की तरफ से ही किया गया था।attacknews.in