नयी दिल्ली, आठ अप्रैल। देश के विभिन्न भागों में जंगल में आग लगने की घटनाओं को रोकने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। पिछले साल विभिन्न राज्यों में जंगलों में आग लगने की जितनी घटनायें हुयी थीं उनकी लगभग आधी संख्या के बराबर छोटी बड़ी घटनायें इस साल के शुरुआती तीन महीनों में ही हो चुकी हैं।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार सालों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है।
मंत्रालय के अधीन कार्यरत देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 15 मार्च तक देश भर के जंगलों में आग लगने की घटनाओं की 16125 चेतावनी जारी की जा चुकी है। जबकि साल 2017 में पूरे साल के दौरान जंगलों में आग लगने की 35888 बार चेतावनी जारी की गयी थी।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने 26 मार्च को तमिलनाडु के थैनी जिले में कुरांगनी पहाड़ियों के जंगलों में लगी भीषण आग में 21 लोगों की मौत के बाद मंत्रालय ने सभी राज्यों के वन विभागों और भारतीय वन सर्वेक्षण को जंगलों में आग लगने की घटनाओं के लिये जारी चेतावनी पर गंभीरता से कार्रवाई करने को कहा गया है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री महेश शर्मा ने बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण ने उपग्रह आधारित सूचना सेवा के जरिये अपनी चेतावनी प्रणाली को सटीक बनाया है। इसकी मदद से पूरे देश के वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं पर नजर रखी जाती है और किसी भी तरह की आशंका होने पर तत्काल संबद्ध राज्य के वन विभाग को एसएमएस एवं ई मेल के जरिये चेतावनी जारी की जाती है।
इतना ही नहीं चेतावनी पर की गयी कार्रवाई पर भी मंत्रालय द्वारा निगरानी रखते हुये वन अग्नि निवारण प्रबंधन योजना (एफपीएम) के तहत आग पर काबू पाने और क्षतिपूर्ति हेतु वित्तीय मदद की जाती है। भारतीय वन सर्वेक्षण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जंगलों की सुरक्षा और प्रबंधन की जिम्मेदारी मुख्य रुप से राज्य सरकारों की है। उन्होंने बताया कि आग लगने की चेतावनी पर तत्काल कार्रवाई के लिये केन्द्रीय प्रयासों को कारगर बनाने में संबद्ध राज्य सरकार की सक्रिय तत्परता का अभाव इन घटनाओं में वृद्धि को रोकने में नाकामी की प्रमुख वजह है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबक, जंगलों में आग लगने की सर्वाधिक घटनाएं मध्य प्रदेश, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में दर्ज की गई हैं। इन तीनों राज्यों में पिछले चार सालों में आग लगने की घटनाओं की वृद्धि दर भी सर्वाधिक है।
मध्य प्रदेश में साल 2015 में जंगलों में आग लगने की सिर्फ 294 चेतावनी जारी की गयी थी जबकि साल 2016 में यह संख्या बढ़कर 2675 हो गयी और साल 2017 में 4781 के स्तर पर पहुंचने के बाद इस साल 15 मार्च तक 722 चेतावनी जारी की जा चुकी हैं। जबकि उड़ीसा में इस साल देश में सर्वाधिक 1852 चेतावनी जारी हो चुकी हैं। वहीं पिछले पूरे साल में उड़ीसा में यह संख्या 4416 थी, साल 2016 में 2763 तथा साल 2015 में 1467 वन अग्निकांड की चेतावनी जारी हुयी थी।
वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में बेहतर रिपोर्ट कार्ड उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर और बिहार का रहा। जंगलों में आग की अधिक घटनाओं वाले राज्य उत्तराखंड में साल 2016 में वन अग्निकांड की 1501 चेतावनी जारी की गयी थी जो कि पिछले साल घटकर मात्र 376 रह गयी। हालांकि 2015 में यह आंकड़ा महज 207 ही था।attacknews.in