नयी दिल्ली 06 मार्च । निजी क्षेत्र के चौथे बड़े बैंक येस बैंक के संकट में फँसने पर विपक्ष – विशेषकर कांग्रेस – द्वारा किये गये हमलों पर तीखी प्रतिक्रया व्यक्त करते हुये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि ‘कुशल डॉक्टरों’ के कार्यकाल में बहुत अधिक जोखिम वाली कंपनियों को ऋण दिये गये और बैंकों की स्थिति बहुत खराब हुई।
वित्त मंत्री ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधते हुये कहा कि जुलाई 2004 में डूबने की कगार पर पहुँच चुके ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का विलय सार्वजनिक क्षेत्र के ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स (ओबीसी) में किया गया था। इसके बाद वर्ष 2006 में यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का विलय आईडीबीआई में किया और गणेश बैंक ऑफ कुरूदंवाड का निजी क्षेत्र के फेडरल बैंक में विलय किया गया।
यस बैंक के जमाकर्ताओं की पूंजी पूरी तरह सुरक्षित : सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यस बैंक के जमाकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि उनकी पूंजी पूरी तरफ सुरक्षित है और वह किसी प्रकार की चिंता नहीं करें।
श्रीमती सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा,“मैं यस बैंक के सभी जमाकर्ताओं को आश्वस्त करना चाहती हूं कि उनकी पूंजी पूरी तरह सुरक्षित है। मैं रिजर्व बैंक के साथ लगातार संपर्क में हूं। यस बैंक के संबंध में जो भी कदम उठाये गये हैं, वे बैंक के जमाकर्ताओं, बैंक और अर्थव्यवस्था के हित में हैं।”
उन्होंने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक दोनों यस बैंक के मामले पर लगातार नजर रखे हुए हैं। श्रीमती सीतारमण ने कहा,“ हमनें एक कदम उठाया है जो प्रत्येक के भले के लिए होगा।” रिजर्व बैंक गवर्नर ने आश्वस्त किया है कि यस बैंक के किसी जमाकर्ता का नुकसान नहीं होगा।
इससे पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने श्रीमती सीतारमण से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में यस बैंक के जमाकर्ताओं से भयभीत नहीं होने का आग्रह करते हुए कहा कि उनके हितों का पूरा ध्यान रखा जायेगा।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक यस बैंक के पुनर्गठन के लिए जल्द ही एक योजना लायेगा। उन्होंने यस बैंक के जमाकर्ताओं से कहा कि वह किसी प्रकार से भयभीत नहीं हो और उनके हितों का पूरा ध्यान रखा जायेगा।
उन्होंने कहा, “मैं यस बैंक के सभी जमाकर्ताओं को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनका धन सुरक्षित रहेगा और उन्हें किसी प्रकार से चिंतित होने की जरुरत नहीं है। रिजर्व बैंक ने सही कदम उठाया है और यस बैंक के जमाकर्ताओं का धन सुरक्षित है।”
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि बैंक के पुनर्गठन के लिए सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
यस बैंक घटनाक्रम को देखते हुए आज देश के शेयर बाजारों में भूचाल आ गया। सेंसेक्स और निफ्टी औंधे मुंह नीचे आए । अपराह्न के कारोबार में सेंसेक्स करीब एक हजार अंक और निफ्टी भी लगभग 300 अंक नीचे हैं ।
रिजर्व बैंक ने गुरुवार को यस बैंक के निदेशक मंडल को भंग कर दिया था। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक को यस बैंक में निवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी गई है ।
उधर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुंबई में एसोचैम के 15वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक यस बैंक को उबारने के लिए त्वरित कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि बैंक को उबारने के लिए जल्द ही प्रस्ताव लाया जायेगा। तीस दिन का जो समय दिया गया है, इस दौरान रिजर्व बैंक त्वरित कार्रवाई करेगा।
मोदी, निर्मला को आर्थिक स्थिति का कुछ पता नहीं : कांग्रेस
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर यस बैंक की वित्तीय स्थिति को देखते हुए सीधा हमला करते हुए कहा है कि बैंक डूब रहे हैं और लोगों को अपना पैसा निकालने मेंं दिक्कत हो रही है लेकिन यह स्थिति क्यों पैदा हो रही है इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि श्री मोदी पहले प्रधानमंत्री और श्रीमती सीतारमण पहली वित्त मंत्री हैं जो देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर एकदम अनजान और ‘क्लूलेस’ हैं। मोदी सरकार के पास किसी तरह का वित्तीय प्रबंधन नहीं है और मोदी-निर्मला को यह पता ही नहीं है कि अर्थव्यवस्था कहां जा रही है। मोदी सरकार ने न सिर्फ अर्थव्यवस्था की कमर तोड दी है बल्कि देश के आम आदमी को धोखा दिया है और उसका जीना मुश्किल कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यस बैंक की स्थिति को लेकर सरकार को सारी जानकारी थी इसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाए गये और रिजर्व बैंक को आखिर यस बैंक को अपने कब्जे में लेना पड़ और खाता धारकों के लिए 50 हजार रुपए की निकासी की सीमा तय करनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि जब सब कुछ उसके सामने हुआ है तो यह स्थिति क्यों आई और आम खाता धारक को संकट में क्यों डाला गया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार के कुप्रबंधन के कारण बैंकों के सामने लम्बी कतारें लग रही हैं और लोगों को अपना ही पैसा निकालने के लिए प्रतिबंध झेलना पड़ रहा है। करीब छह माह पहले महाराष्ट्र में लोग अपना पैसा निकालने के लिए लम्बी लाइनों में खड़े रहे।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद बैंकों में घोटाले बढे हैं। उन्होंने कहा कि 2015-16 में 18699 करोड रुपए का, 2016-17 में 239335 तथा 2017-18 में 41176 करोड रुपए का बैंक घोटाला हुआ है। वर्ष 2019 से अब तक एक लाख 43 हजार करोड रुपए के घपले हुए।