न्यूयॉर्क, 16 अक्टूबर । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद मानवाधिकार वैश्विक स्तर पर एक ‘‘ज्वलंत शब्द’’ बन गया है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने से पहले राज्य में महिलाओं को सम्पत्ति के अधिकार से वंचित रखा गया, जो ‘‘मानवाधिकारों का एक गंभीर उल्लंघन’’ है जिसके बारे में इसको (अनुच्छेद 370) हटाए जाने से पहले किसी ने कोई बात नहीं की।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर के लोग मौलिक अधिकारों से वंचित रहे।
‘इंडियन इकोनॉमी : चैलेंजेस एंड प्रॉस्पेक्ट्स’ विषय पर संबोधित कर रहीं निर्मला सीतारमण से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के बाद राज्य में रहे बंद के कारण जम्मू-कश्मीर को हुए आर्थिक नुकसान पर सवाल किया गया था।
यह कार्यक्रम कोलंबिया विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स’ के ‘भारतीय आर्थिक नीतियां केन्द्र’ के दीपक और नीरा राज द्वारा आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘ अस्थायी अनुच्छेद 370 के कारण अभी तक महिलाएं अपने सम्पत्ति के अधिकार से वंचित थीं, राज्य की अनुसूचित जातियों को सकारात्मक कार्रवाई के लिए दिए गए संवैधानिक अधिकार से वंचित रखा गया, राज्य के सभी आदिवासियों को सकारात्मक कामों के लिए दिए संवैधानिक अधिकार से वंचित रखा गया… इस अस्थायी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद इन्हें ये सभी अधिकार मिल जाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एक महिला को उसकी पिता की सम्पत्ति पर अधिकार से वंचित रखना, सिर्फ इसलिए कि उसकी शादी राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से हुई है.. यह मानवाधिकार का एक गंभीर उल्लंघन है, जिसपर आजतक किसी ने बात नहीं की। अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद मानवाधिकार विश्व स्तर पर एक ज्वलंत शब्द बन गया है। हम तब कहां थे जब इतने वर्षों तक इन महिलाओं को सम्पत्ति के अधिकारों से वंचित रखा गया, हम तब कहां थे जब अनुसूचित जाति के लोगों का सकारात्मक कदम उठाने से रोका गया ?’’
सीतारमण ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि अगर लोग जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें अब इस बात को लेकर अब खुश होना चाहिए कि सभी को समान सुविधाएं मिलेंगी और राज्य में उतना ही निवेश होगा जितना भारत के बाकी राज्यों में होता है।’’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान पांच अगस्त को हटा दिए थे और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने की घोषणा की थी।