नयी दिल्ली, 23 अगस्त । आर्थिक स्थिति को लेकर हो रही सरकार की आलोचना के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया भर में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में हलचल के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिति बेहतर है।
श्रीमती सीतारमण ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दुनिया भर में आर्थिक क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल है। ‘व्यापार जंग’ की वजह से कई देशों में अर्थव्यवस्था की हालत अस्थिर है। इन सब परिस्थितियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है। भारत अब भी सबसे तेज गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि चीन, अमेरिका, जर्मनी जैसे देशों के मुकाबले भी हमारी विकास दर ज्यादा है। सरकार के एजेन्डा में आर्थिक सुधार सबसे ऊपर हैं और इन सुधारों की प्रक्रिया 2014 से लगातार जारी है। देश में कारोबार करना आसान हुआ है।
वित्त मंत्री ने पूंजी बाजार में निवेश प्रोत्साहित करने के लिए शेयरों के हस्तांतरण से प्राप्त दीर्घावधि एवं अल्पावधि पूंजी लाभ पर बढ़ाया गया प्रभार वापस लेने की घोषणा की।
वैश्विक स्तर पर जारी आर्थिक सुस्ती के बीच घरेलू स्तर पर ऑटोमोबाइल क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से वाहन खरीदने वालों से लेकर पूंजी बाजार के निवेशकों के लिए राहतों की झड़ी लगा दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और मंत्रालय के विभिन्न विभागों के सचिवों के साथ संवाददाताओंं से चर्चा में ये घोषणायें करते हुए कहा कि बजट में उच्च आय वर्ग पर लगाये गये उपकर के कारण घरेलू निवेशक और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक परेशान हैं। इसके मद्देनजर इन घरेलू निवेशकों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को वापस लिया जा रहा है। इसके तहत दीर्घकालिक या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर वर्ष 2018-19 के लिए जारी कर व्यवस्था ही प्रभावी होगी। इस निर्णय से सरकार के राजस्व में 1400 करोड़ रुपये की कमी आयेगी।
उन्होंने कहा कि इसी तरह से ऑटोमोबाइल क्षेत्र में अगले वर्ष एक अप्रैल से नयी व्यवस्था अर्थात बीएस-6 के लागू होने के मद्देनजर ग्राहकों के मन में बीएस-4 वाहनों को लेकर आशंकायें हैं, जिसे दूर किये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2020 तक खरीदे गये सभी बीएस-4 वाहन पूर्ण पंजीयन अवधि तक के लिए वैध रहेंगे। इसके साथ ही वाहनों के पंजीयन पर लगने वाले एक मुश्त शुल्क की होने वाली समीक्षा को 31 मार्च 2020 तक के लिए टाल दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब से लेकर 31 मार्च 2020 तक खरीदे जाने वाले वाहनों पर मूल्य में कमी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए इस कमी को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया जा रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पुराने वाहनों के स्थान पर नये वाहन खरीदने पर लगी रोक को हटायेगी और पुराने वाहनों के लिए स्क्रैप नीति लाने के साथ ही विभिन्न उपायों पर भी विचार करेगी।
घरेलू तथा विदेशी निवेशकों पर लगाया ऊंचा कर वापस लिया-
विदेशी निवेशकों के दबाव के आगे झुकते हुये सरकार ने शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) तथा घरेलू निवेशकों पर लगाया गया ऊंचा कर अधिभार वापस ले लिया। इस साल के बजट में एफपीआई सहित सुपर रिच लोगों पर ऊंचा कर अधिभार लगा दिया गया। विदेशी निवेशक बजट के बाद से ही बढ़े अधिभार को वापस लेने की लगातार मांग कर रहे थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए और भी कई उपायों की घोषणा की।
सीतारमण ने कहा, ‘‘पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये शेयरों, यूनिटों की खरीद फरोख्त से होने वाले दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर वित्त (नंबर- दो) अधिनियम, 2019 के जरिये लगाये गये बढ़े अधिभार को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि इसमें बजट से पहले की स्थिति को फिर कायम कर दिया गया है। इस कदम से सरकार को 1,400 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए उठाया गया है। बजट में ‘सुपर रिच’ वर्ग पर कर अधिभार बढ़ाने की घोषणा से शेयर बाजार डगमगा गए थे। बजट पेश होने के बाद से शेयर बाजार लगातार दबाव में बने हुये हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में ऊंची आय कमाने वालों पर अधिभार बढ़ाने की घोषणा की है। इसमें दो से पांच करोड़ रुपये तक की कर योग्य आय पर आयकर के ऊपर 25 प्रतिशत की दर से अधिभार लगा दिया गया। ऊंचा अधिभार लगने से इस आय वर्ग के लोगों के लिये आयकर की प्रभावी दर पहले के 35.88 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसी तरह पांच करोड़ रुपये से अधिक की आय पर 37 प्रतिशत की दर से अधिभार लगाने का बजट में प्रावधान किया गया जिससे इस आय वर्ग के लिये आयकर की प्रभावी दर 42.74 प्रतिशत तक पहुंच गई।
बजट की इस बजट घोषणा के बाद करीब 40 प्रतिशत एफपीआई स्वत: ही ऊंचे कर दायरे में आ गए। इसकी वजह यह है कि वे गैर- कॉरपोरेट इकाई मसलन न्यास या व्यक्तियों के समूह (एओपी) के रूप में निवेश कर रहे थे। आयकर कानून में कराधान के मकसद से इन्हें व्यक्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
सीतारमण ने स्टार्टअप्स को एंजल कर के प्रावधान से भी मुक्त करने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य के तहत स्टार्टअप्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। वित्त मंत्री ने बताया कि कोई भी स्टार्टअप आयकर से संबंधित मुद्दे के जल्द हल के लिए प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकता है।
यह पूछे जाने पर कि यह कर अधिभार कब से वापस लिया जाएगा, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि इसे पूरे वित्त वर्ष के लिए वापस लिया गया है।
चूंकि यह अधिभार बजट और संसद में पारित वित्त विधेयक का हिस्सा है, तो इसकी वापसी कैसे होगी, पांडेय ने कहा कि इसके लिये जरूरी आदेश अथवा अधिसूचना जारी की जायेगी। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं दी कि इस अधिभार को अध्यादेश जारी कर वित्त विधेयक में संशोधन के जरिये वापस लिया जायेगा। अध्यादेश को बाद में संसद में पारित कराना होगा।
इस कदम पर डेलॉयट इंडिया के भागीदार राजेश गांधी ने कहा कि यह काफी सकारात्मक कदम है। इससे पूंजी बाजारों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे एफपीआई पर कर की दर घट जायेगी। इससे घरेलू निवेशकों जैसे कि वैकल्पिक निवेश कोषों, व्यक्तिगत निवेशकों को भी फायदा होगा। क्योंकि ऐसा लगता है कि यह राहत सभी सूचीबद्ध निवेशों से होने वाले पूंजीगत लाभ पर दी गई है
स्टार्टअप कंपनियों को एंजल कर से छूट-
इसके साथ ही उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में पंजीकृत सभी स्टार्टअप कंपनियों को एंजल कर से छूट देने की घोषणा की। सरकार का यह कदम नवीन व्यवसायों और उनके निवेशकों की दिक्कतों को कम करने में मदद करेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को यहां बताया , ” स्टार्टअप कंपनियों और निवेशकों की वास्तविक दिक्कतों को दूर करने के लिए यह फैसला किया गया है कि आयकर अधिनियम की धारा 56(2) (सात – बी) डीपीआईआईटी के तहत पंजीकृत स्टार्टअप पर लागू नहीं होगी। ”
उन्होंने कहा कि यह धारा , आयकर कानून का हिस्सा बना रहेगा। यह सिर्फ डीपीआईआईटी के पास पंजीकृत स्टार्टअप पर लागू नहीं होगा।
इसके अलावा , केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य की अध्यक्षता में प्रतिबद्ध प्रकोष्ठ स्थापित करने की भी घोषणा की गई है। यह स्टार्टअप कंपनियों की समस्याओं को दूर करने का काम करेगा।
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को नयी चुनौतियों के लिए तैयार रहने को कहा है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि बदली आर्थिक व्यवस्था में घरेलू कंपनियों को विदेशी कंपनियों का शिकार बनने से बचाने की जरूरत है।
सीतारमण ने सीमा से परे प्रतिस्पर्धा तथा भारतीय उपभोक्ताओं पर इसके प्रतिकूल असर का मुद्दा भी उठाया।
सीसीआई की 10वीं वर्षगांठ के मौके पर एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि प्रतिस्पर्धा के संबंध में नियामक स्वत: संज्ञान लेते हुए घरेलू कंपनियों पर विदेशी कंपनियों के प्रभाव की जांच करे।
सीतारमण ने यहां कहा, ‘‘आपका काम चुनौतियों से भरा है जिसमें आपको एक साथ भारतीय उपभोक्ताओं की रक्षा करने तथा घरेलू कंपनियों के देश से बाहर स्थित कंपनियों का शिकार बनने से बचाने में हमारा मार्गदर्शन करना है।’’
सीसीआई के चेयरमैन अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि नियामक डिजिटल बाजार में कथित प्रतिस्पर्धारोधी गतिविधियों के संबंध में उचित तरीके से काम कर रहा है।
इस कार्यक्रम को वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने भी संबोधित किया।
Home / आर्थिक / भारत में अर्थव्यवस्था को गति देने वाहन खरीदी से लेकर पूंजी बाजार निवेशकों के लिए अनेक राहतों की घोषणा,”सुपर रिच”कर हटाया, स्टार्टअप कंपनियां एंजल कर से मुक्त attacknews.in
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