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कार्पोरेट जगत को राहत देने के लिए डेढ़ लाख करोड़ के राजकोषीय घाटे की घोषणा,घरेलू कंपनियों के लिए सभी अधिशेषों और उपकर समेत कर की प्रभावी दर 10% घटाकर 25.17% की गई attacknews.in

पणजी,/मुंबई/नईदिल्ली  20 सितंबर । आर्थिक वृद्धि को नरमी से उबारने तथा निवेश एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने शुक्रवार को कारपोरेट जगत के लिए करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये की राहत वाली कई महत्वपूर्ण कर रियायतों की घोषणाएं की।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लघु-बजट के रूप में देखे जा रहे इस ताजा प्रोत्साहन पैकेज से कारपोरेट कर की प्रभावी दरें करीब 10 प्रतिशत नीचे आ गयी हैं।


सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिये बड़ी घोषणा करते हुए शुक्रवार को कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटा दी। अब घरेलू कंपनियों के लिये सभी अधिशेषों और उपकर समेत कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 25.17 प्रतिशत होगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नयी दर इस वित्त वर्ष के एक अप्रैल से प्रभावी होगी।

उन्होंने कहा कि दर कम करने तथा अन्य घोषणाओं से राजस्व में सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है।

सीतारमण ने कहा कि निवेश और आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिये ये कदम उठाये गये हैं।

यदि कोई घरेलू कंपनी किसी भी प्रोत्साहन का लाभ नहीं लें तो उनके लिये कॉरपोरेट कर की दर 22 प्रतिशत होगी।

उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम तथा वित्त अधिनियम में किये गये बदलाव अध्यादेश के जरिये अमल में लाये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर देने की जरूरत नहीं होगी।

वित्तमंत्री ने कहा कि एक अक्टूबर के बाद बनने वाली घरेलू विनिर्माण कंपनियां बिना किसी प्रोत्साहन के 15 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान कर सकेंगी। इनके लिये अधिशेषों और उपकर समेत कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 17.01 प्रतिशत होगी।

उन्होंने कहा कि छूट का लाभ उठा रही कंपनियां इनकी अवधि समाप्त होने के बाद कम दर पर कर का भुगतान करने का विकल्प चुन सकती हैं।

सरकार ने प्रतिभूति लेन-देन कर की देनदारी वाली कंपनियों के शेयरों की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर बजट में प्रस्तावित उपकर को भी वापस लेने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर धनाढ्य-उपकर समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है।

वित्तमंत्री ने एक अन्य राहत देते हुए कहा कि जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें भी धनाढ्य-उपकर नहीं देना होगा।

कंपनियों को अब दो प्रतिशत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) इनक्यूबेशन, आईआईटी, एनआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं पर खर्च करने की भी छूट दी गयी है।

सीतारमण ने कर में छूट से मेक इन इंडिया में निवेश आने तथा रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने का भरोसा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि इससे अधिक राजस्व प्राप्त होगा।

विश्लेषकों के अनुसार इस तरह भारत इस मामले में निवेशकों के लिए अमेरिका और आसियान के बाजारों की तरह आकर्षक लग सकता है।

आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गिर कर पांच प्रतिशत पर आ गयी जो छह साल का निम्नतम स्तर है। अर्थव्यवस्था को कम वृद्धि की रफ्तार से उबारने के लिए पिछले कुछ सप्ताह में सरकार का यह चौथा प्रोत्साहन पैकेज है।

वित्त मंत्री ने गोवा में जीएसटी परिषद की बैठक से पहले जिन राहतों की घोषणा की, इनसे सरकारी खजाने को सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इन घोषणाओं को विकास में सहायक तथा भविष्य के अनुकूल माना जा रहा है। हालांकि राजकोषीय स्थिति पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा और घाटा के लक्ष्य को पाने में सरकार के चूकने की आशंका बढ़ गयी है।

सीतारमण ने मौजूदा कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की आधार दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की। इससे कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 34.94 प्रतिशत से कम होकर 25.17 प्रतिशत पर आ जाएगी।

इसके साथ ही एक अक्टूबर 2019 के बाद बनने वाली तथा 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू कर देने वाली विनिर्माण कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की आधार दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने की भी घोषणा की गयी। इससे इन कंपनियों के लिये प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर 29.12 प्रतिशत से कम होकर 17.01 प्रतिशत पर आ जाएगी। हालांकि इस तरह की कंपनियों के लिये एक शर्त है कि ये कंपनियां विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में स्थित इकाइयों को मिलने वाली कर छूट या किसी अन्य प्रकार के कर प्रोत्साहन का लाभ नहीं उठाएंगी

सरकार के इस कदम से देश में कॉरपोरेट कर की दरें चीन, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर आदि जैसे अन्य प्रतिस्पर्धी एशियाई बाजारों के समतुल्य हो गयी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की घोषणाओं को ऐतिहासिक कदम करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि इससे ‘मेक इन इंडिया’ में बड़ा उछाल आने के साथ ही निवेश भी आकर्षित होगा, निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे बड़ा कदम करार दिया और सरकार की घोषणाओं का स्वागत किया।

इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिये डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर धनाढ्य-अधिभार समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर अधिनियम में अध्यादेश लाकर इन बदलावों को अमल में लाया जाएगा।

सीतारमण ने कहा कि इन उपायों से आर्थिक वृद्धि और निवेश में तेजी आएगी। हालांकि उन्होंने इन घोषणाओं का राजकोषीय घाटा के लक्ष्य पर असर पड़ने संबंधी सवाल को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार वास्तविकता के प्रति सजग है और वह बाद में आंकड़ों में सामंजस्य बिठाएगी।

वित्त मंत्री ने एक अन्य राहत देते हुए कहा कि जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें भी किसी प्रकार का कर नहीं देना होगा।

सीतारमण ने पांच जुलाई को अपने पहले बजट में आय पर अधिक अधिभार के रूप में घोषित धनाढ्यों पर उच्च दर से लगने वाले कर को समाप्त करने की भी घोषणा की। इसके तहत अब प्रतिभूति लेन-देन कर की देनदारी वाली कंपनियों के शेयर की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर उच्च दर से अधिभार का भुगतान नहीं करना होगा।

इसके साथ ही कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान नहीं करना होगा।

सीतारमण ने कहा कि यदि कोई कंपनी कम की गयी दरों पर भुगतान करने का विकल्प नहीं चुनती है और कर छूट एवं प्रोत्साहन का लाभ उठाती है तो वह पुरानी दरों पर भुगतान करना जारी रखेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘ये कंपनियां छूट व प्रोत्साहन की अवधि समाप्त होने के बाद संशोधित दरों का विकल्प चुन सकती हैं।’’

छूट व प्रोत्साहन का लाभ जारी रखने का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को राहत देने के लिये न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी है।

सरकार ने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) का दायरा बढ़ाने की भी घोषणा की। अब कंपनियां सीएसआर के तहत सार्वजनिक इनक्यूबेटर्स और सरकार द्वारा वित्तपोषित शैक्षणिक निकायों पर भी खर्च कर सकती हैं।

सरकार की इन घोषणाओं का निवेशकों की धारणा पर सकारात्मक असर देखने को मिला। बाजार में उत्साह के कारण सेंसेक्स कारोबार के दौरान एक समय 2,284.55 अंक तक की बढ़त में चला गया। निफ्टी में भी 600 अंक से अधिक की तेजी देखने को मिली। घरेलू मुद्रा पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ा और रुपया एक समय 66 पैसे की बढ़त में पहुंच गया।

उद्योग जगत तथा उद्योग संगठनों ने सरकार के इस कदम की खूब सराहना की।


मुंबई से खबर है कि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की, सुस्ती पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के उपायों की शुक्रवार को की गयी घोषणा से शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में जोरदार तेजी आयी। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1300 अंक से अधिक उछला।

तीस शेयरों वाला बीएसई सूचकांक पूर्वाह्न 11.20 मिनट पर 1326.65 अंक यानी 3.68 प्रतिशत की छलांग लगा कर 37,420.12 अंक पर पहुंच गया।

वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 362.95 अंक यानी 0.39 प्रतिशत की तेजी के साथ 11,067.75 अंक पर पहुंच गया।

लाभ में रहने वाले प्रमुख शेयरों में मारुति, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचडीएफसी बेंक, टाटा मोटर्स, येस बैंक, टाटा स्टील, एल एंड टी, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज आटो और आरआईएल में 9 प्रतिशत तक की तेजी आयी।

वहीं दूसरी तरफ टीसीएस और एनटीपीसी नुकसान में रहे।

डॉलर के मुकाबले रुपया भी 66 पैसे मजबूत होकर 70.68 पर पहुंच गया।

सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिये बड़ी घोषणा करते हुए शुक्रवार को कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटा दी। अब घरेलू कंपनियों के लिये सभी अधिशेषों और उपकर समेत कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 25.17 प्रतिशत होगी।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कंपनी कर में कटौती के ऐलान के बाद श्री मोदी ने टि्वट किया, “ कंपनी कर में कटौती का कदम ऐतिहासिक है। इससे मेक इन इंडिया को जबरदस्त बढावा मिलेगा, दुनिया भर में निजी निवेश आयेगा, हमारे निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढेगी, रोजगार के अवसर बढेंगे और इसका परिणाम 130 करोड़ भारतीयों के लिए ‘विन-विन’ होगा। ”


उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में की गयी घोषणाओं से स्पष्ट पता चलता है कि हमारी सरकार देश को व्यवसाय के लिए बेहतर जगह बनाने , समाज के सभी वर्गों के लिए अवसर बढाने और प्रगति करते हुए अर्थव्यवस्था को 50 खरब डालर तक ले जाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है।


उल्लेखनीय है कि श्रीमती सीतारमण ने गोवा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक से पहले अर्थव्यवस्था को गति देने के प्रयासों के तहत आज कई बड़े ऐलान किये। घरेलू कंपनियों और नयी घरेलू विनिर्माण कंपिनयों के लिए कंपनी करों में बड़ी कटौती की घोषणा की गई है। घरेलू कंपनियों के लिए कंपनी की दर बिना रियायत के 22 प्रतिशत की गई है।

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