नयी दिल्ली, 28 दिसंबर ।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकारी बैंकों को अपने अधिकारियों के विरुद्ध लंबित सतर्कता मामलों को निपटाने के निर्देश दिये गये है और जो सही एवं विवेक से लिए गये मामले हैं उनके लिए बैंकों को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से डरने की जरूरत नहीं है।
श्रीमती सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष के बजट की तैयारियों से पहले सरकारी एवं निजी बैंक प्रमुखों के साथ बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद शनिवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि पहली बार इस बैठक में सीबीआई निदेशक एवं संयुक्त निदेशक भी शामिल हुये हैं।
उन्होंने कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय और आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ भी इस तरह की बैठक करेंगी और उन्हें भी बैंक अधिकारियों को धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में सतर्कता बरतने के बारे में बताने की अपील करेंगी।
उन्होंने कहा कि बैंकरों को आश्वस्त किया गया है कि विवेक से लिये गये वाणिज्यिक निर्णय की संरक्षा की जायेगी और उसके लिए किसी भी बैंकर को डरने की जरूरत नहीं है। इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि आयकर विभाग द्वारा नोटिस भेजने के लिए बनाये गये तंत्र की तरह सीबीआई भी एक तंत्र विकसित करेगा जिससे केन्द्रीय जांच एजेंसी के सभी नोटिस पर एक पंजीयन नंबर होगा जिससे अनाधिृकत पत्राचार और किसी तरह के उत्पीड़न की आशंका समाप्त हो जायेगी।
उन्हाेंने कहा कि जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध कार्रवाई के दौरान सीबीआई को उचित वाणिज्यिक निर्णय और दोषपूर्ण निर्णय के बीच अंतर करना चाहिए। सरकारी बैंक धोखाधड़ी से जुड़े प्राथमिक रिपोर्ट (एफआईआर) से सीबीआई को एक विशेष ईमेल से अवगत करायेंगे। इसके साथ ही सीबीआई भी एक विशेष फोन नंबर जारी करेगा जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति जांच मशीनरी के उत्पीड़न के बारे में सूचना दे सकेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को फोरेंसिक ऑडिटर चयन के मानकों को कड़ाई से पालन करने और सीबीआई से फोरेंसिक ऑडिटरों को प्रशिक्षित कराने के लिए कहा गया है। सीबीआई भी बैंक अधिकारियों को इस संबंध में प्रशिक्षित करेगा।
बैंकों की स्थिति सुधरी, 13 बैंक मुनाफे में: सीतारमण
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सरकार द्वारा लगातार किये गये सुधारों से बैंकाें की स्थिति बेहतर हुयी है और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 13 बैंकों ने मुनाफा कमाया है। अधिक प्रावधान किये जाने के कारण अब मात्र पांच बैंक घाटे में है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकारी बैंकों की वित्तीय सेहत सुधरी है। उनका मार्च2018 में सकल एनपीए 8.96 लाख करोड़ रुपये था जो इस वर्ष सितंबर में घटकर 7.27 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। उनका प्रावधान का अनुपात सात वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है और बैंक मुनाफा कमाने लगे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 13बैंकों ने लाभ अर्जित किया है।
उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षाें में बैंकों ने 4.53लाख करोड़ रुपये वूसले हैं। एस्सार की रिजलुशन प्रक्रिया से बैंकों को 38,896 करोड़ रुपये मिले हैं। वर्ष 2018-19 और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में एस्सार मामले को छोड़कर बैंकों ने 2.08 लाख करोड़ रुपये रिकवर किये हैं।
इस अवसर पर वित्त एवं वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि चार सरकारी बैंक अभी भी रिजर्व बैंक के पीसीए लिस्ट में है और उम्मीद है कि अगली तीन तिमाहियाें में ये बैंक पीसीए से बाहर आने की स्थिति में होंगे तब रिजर्व बैंक इस पर विचार करेगा।
बैंकों के विलय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उचित समय पर यह निर्णय लिया गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय का उदारहण देते हुये कहा कि इससे उसका प्रदर्शन बेहतर हुआ है।