नयी दिल्ली, 01 फरवरी । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कृषि सुधार कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का एक मात्र हल ‘चर्चा’ है और सरकार तीनों कानूनों के प्रत्येक उपबंध पर किसानों के साथ विमर्श करने को तैयार है।
श्रीमती सीतारमण ने संसद में बजट पेश करने के बाद राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक प्रश्न के उत्तर में कहा, “कृषि कानूनों के लिए जिस भी बिंदु और उपबंध पर किसानों को संदेह है, उस पर बात करने के लिए सरकार राजी है।’’
बजट में स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढ़ांचे पर बल
निर्मला सीतारमण ने इंगित किया कि, सरकार ने कोरोना महामारी के कारण बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 2021-22 के आम बजट में स्वास्थ्य और बुनियादी ढ़ांचे तथा विभिन्न सुधारों पर खास जोर दिया है । बजट में जहां उद्योग जगत को प्रोत्साहन मिला वहीं नौकरीपेशा को आयकर में कोई राहत नहीं मिलने से निराशा हाथ लगी ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में अगले वित्त वर्ष के लिए 34,83,236 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 30,42,230 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया था जो संशोधित अनुमान में बढकर 34,50,305 करोड़ रुपये पहुंच गया।
देश के इतिहास में पहली बार पेश डिजीटल बजट में पेट्रोल पर ढाई रुपये और डीजल पर चार रुपये प्रति लीटर का नया अधिभार लगाने का प्रस्ताव कर कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों को आगे बढाने की रूपरेखा रखी गयी है। कृषि क्षेत्र से इतर आमदनी वाले किसानों को भी कर के दायरे में लाया गया है। बजट में बेरोजगारी की विकराल समस्या से निपटने के लिए कोई बड़ी या विशेष योजना शुरू करने तथा महंगायी पर लगाम लगाने के उपायों का भी विशेष ऐलान नहीं किया गया है। बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढाकर 74 प्रतिशत कर बड़ा आर्थिक सुधार किया है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वित्तीय घाटे का अनुमान साढे तीन प्रतिशत से बढाकर साढे नौ प्रतिशत किया गया है जबकि अगले वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इसे वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से कम पर लाने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण बदहाल अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए इस बजट में मुख्य रूप से छह स्तम्भों पर बहुत अधिक जोर दिया गया है जिनमें स्वास्थ्य और कल्याण, वास्तविक और वित्तीय पूंजी, बुनियादी ढांचा, आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी में नवजीवन का संचार,नवोन्मेष और अनुसंधान एवं विकास तथा न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि असाधारण परिस्थिति में पेश इस बजट के दिल में गांव और किसान है । उन्होंने कहा कि बजट में यर्थाथ का एहसास और विकास का विश्वास भी है। इसमें विकास के लिए नये अवसरों को व्यापक बनाने, युवाओं के लिए नयी संभावनाओं के द्वार खोलने, मानव संसाधन को नई ऊंचाई देने, नये क्षेत्रों में ढांचागत विकास करने, तकनीक को अपनाने और नये सुधारों को लाने का प्रयास किया गया है।
श्रीमती सीतारमण ने बाद में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह बजट बुनियादी ढांचे को मजबूत करने वाला और रोजगार के अवसर बढाने वाला है। इससे अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी।
वहीं विपक्ष ने बजट में गरीब और आम आदमी की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने देश की संपत्ति को अपने पूंजीपति मित्रों में बांटने की पूरी व्यवस्था की है। उद्योग जगत ने बजट की प्रशंसा करते हुए इसे एक असाधारण, स्पष्ट और समग्र सोच वाला दस्तावेज बताया है। श्रमिक संगठनों ने केंद्रीय बजट को ‘कार्पोरेट लूट’ करार देते हुए कहा है कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों में विनिवेश पर फिर से विचार करना चाहिए।