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किसान आंदोलन को हाईजैक करने वाले चेहरे सामने हैं: मुस्लिम लीग,वामपंथी दलों और कांग्रेस का खुला समर्थन attacknews.in

अयोध्या/पटना/हिसार , 02 दिसम्बर । इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. नजमुल हसन गनी ने कहा कि उनका संगठन देश भर में हो रहे किसान प्रदर्शन का समर्थन करता है और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।

डा गनी ने बुधवार को यहां बातचीत में कहा कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग किसानों के समर्थन में हिस्सा लेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह समझना चाहिये कि अब देश के किसान अनपढ़ नहीं हैं। वे पढ़े लिखे है और हमारे अन्नदाता हैं। अगर वह खेती न करें तो हम लोगों का पेट कैसे भरेगा। इसलिये अपने अन्नदाता के जो भी समस्या है उसको देश के प्रधानमंत्री को मान लेना चाहिये, जिससे जो समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं वह समाप्त हो जायें।

किसानों को आंदोलन के लिए उकसा रही कांग्रेस : भाजपा

पटना से खबर है कि,भारतीय जनता पार्टी ने कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली में चल रहे आंदोलन को लेकर कांग्रेस पर किसानों को उकसाने का आरोप लगाया और कहा कि जिसने कभी कृषकों का हित नहीं किया वह आज पर्दे के पीछे से उन्हें भ्रमित कर रही है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बुधवार को यहां कहा कि किसानों को आंदोलन के लिए उकसाने की आड़ में राजनीति करने वाली कांग्रेस का चाल, चरित्र और चेहरा जनता के सामने उजागर हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी किसानों का हित नहीं किया। उनका इस्तेमाल वह केवल वोट बैंक के रूप में करती रही।

श्री पांडेय ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसकी सरकारों के कार्यकाल में किसानों की स्थिति कैसी थी, यह किसी से छुपी हुई नहीं है। आज कांग्रेस की न तो नीति बदली है और न ही नीयत। यही वजह है कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कृषि सुधार कानून बनाया तो उसकी छाती फट रही है और पर्दे के पीछे से उसके नेता किसानों को भ्रमित करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, इनका चेहरा अब बेनकाब हो चुका है।

जेल से रिहा होते ही सीधे टिकरी बार्डर पहुंचें युवा किसान नेता सीसर

हिसार,से खबर है कि,भारतीय किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विकास सीसर जेल से रिहा होते ही अपने साथियों के साथ सीधे टिकरी बार्डर पर पहुंचे और आंदोलन का समर्थन किया।

उन्होंने आज यहां बताया कि भारतीय किसान संघर्ष समिति की पूरी टीम लगातार किसानों में राशन पानी बांटने का काम कर रही है। प्रदेश का किसान वर्ग लगातार किसानों के साथ हैं। गाड़ियों में फल, सब्जी, दूध व रसोई का सामान भर भर कर लाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ रोगी खाप की ओर से किसान आन्दोलन में चार गाडिय़ां आटा, चीनी, दूध व घी भेजा गया है।

आंतिल खाप ने किसानों के धरने को दिया समर्थन

हरियाणा में सोनीपत के कुंडली में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसान संगठनों को आंतिल खाप ने बुधवार को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। खाप प्रतिनिधियों का कहना है कि किसानों की मांगें जायज हैं तथा सरकार को तुरंत प्रभाव से उनकी मांग मान लेनी चाहिए।

खाप प्रतिनिधि ओम आंतिल और जयभगवान आंतिल ने आज धरना स्थल पर पहुंचकर बताया कि वे किसानों के साथ हैं। उन्होंने सरकार से किसानों की मांगों पर गौर करते हुए उसे पूरा करने की मांग की। उन्होंने बताया कि आंतिल खाप के हरियाणा में 24 गांव और उत्तर प्रदेश में सात गांव हैं। उन्होंने कहा कि आंतिल खाप के गांव किसानों के साथ संघर्ष में खड़े हैं। वहीं, जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने भी किसान आंदोलन को पूरी तरह से अपना समर्थन देने की घोषणा की है।

मोदी कर रहे हैं किसानों का अपमान : दीपंकर

पटनासे खबर है कि,भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश के किसानों का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ कृषकों के जारी आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।

श्री भट्टाचार्य ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंगलवार को वार्ता के नाम पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने किसानों को अपमानित किया है। केंद्र की मौजूदा सरकार में ऐसे आंदोलन को दबाने का एक तरह का पैटर्न बन गया है। सरकार पहले ऐसे आंदोलनों को दबाती है फिर गलत प्रचार करती है, दमन अभियान चलाती है लेकिन जब आंदोलन नहीं रुकता तो कहती है कि यह सबकुछ विपक्ष के उकसावे पर हो रहा है।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कृषि कानूनों के बारे में सरकार कह रही है किसान इसे समझ नहीं पा रहे हैं तो क्या पंजाब जैसे विकसित प्रदेशों के किसानों को अब खेती-बारी सीखने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं में जाना होगा।

भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कह रही है कि पंजाब में मंडियों को खत्म कर देने से किसानों को फायदा होगा। इस मामले में बिहार और पंजाब का उदाहरण एक साथ लें तो और अच्छा रहेगा। पंजाब में मार्केटिंग का सिस्टम था, बिहार में तो वर्ष 2006 में बाजार समितियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भंग कर दिया। बिहार के लोग पहले से ही इसके शिकार हैं। सरकार ने जो रास्ता चुना है यदि इससे खेती मजबूत होती, आमदनी बढ़ती तो बिहार में खेती सुधर गई होती लेकिन बिहार के किसानों की आमदनी घटती चली गई। पंजाब के लोगों को पता है कि इससे अब उनकी खेती चौपट की जा रही है और पूरी खेती-किसानी को कॉर्पोरेटों का गुलाम बनाया जा रहा है।

बिहार: कृषि कानूनों के विरोध में उतरे वामदल

कृषि सुधार कानूनों के विरोध में आज बिहार की राजधानी पटना में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) समेत अन्य वामदल के नेता एवं कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।

भाकपा-माले सहित अन्य वाम दलों के आह्वान पर बुद्धा स्मृति पार्क के सामने कृषि कानूनों के विरोध में सभा आयोजित हुई और उसके बाद डाकबंगला चैराहे पर प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया। इस कार्यक्रम में भाकपा-माले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता भी शामिल हुए। मुख्य रूप से भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, राजद नेता आलोक मेहता, भाकपा नेता कन्हैया कुमार, माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार, माले के राज्य सचिव कुणाल, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बिहार-झारखंड के प्रभारी राजाराम सिंह, धीरेन्द्र झा, विधायक दल के नेता महबूब आलम, शशि यादव, के. डी. यादव, उमेश सिंह, अभ्युदय सहित बड़ी संख्या में वाम दलों के नेता एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।

प्रतिरोध सभा में बड़ी-बड़ी तख्तियों के साथ भाकपा-माले एवं वामदलों के नेता-कार्यकर्ता दिल्ली किसान आंदोलन के समर्थन में नारे लगा रहे थे और तीनों कानूनों की वापसी की मांग कर रहे थे। सभा के बाद बुद्धा स्मृति पार्क से डाकबंगला चैराहा तक मार्च निकला और फिर डाकबंगला चौराहा पर प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया।

इस मौके पर भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव श्री भट्टाचार्य ने कहा कि वार्ता के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को अपमानित किया है। सरकार पहले ऐसे आंदोलनों को दबाती है, गलत प्रचार करती है, दमन अभियान चलाती है लेकिन फिर भी जब आंदोलन नहीं रुकता तो कहती है कि यह सबकुछ विपक्ष के उकसावे पर हो रहा है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कृषि कानूनों के बारे में सरकार कह रही है किसान इसे समझ नहीं पा रहे हैं तो क्या पंजाब जैसे विकसित प्रदेशों के किसानों को अब खेतीबाड़ी सीखने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं में जाना होगा।

वाम नेताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार घोर किसान विरोधी है। आज पूरा पंजाब सरकार के खिलाफ लड़ रहा है, कल पूरा देश मोदी सरकार के खिलाफ लड़ेगा। बिहार की नीतीश सरकार केवल डींगे हांकती है लेकिन उसने वर्ष 2006 में ही अपने यहां मंडियों को खत्म कर दिया था। आज बिहार के किसानों की हालत सबसे खराब है। आने वाले दिनों में बिहार में भी किसान आंदोलन का नया ज्वार आएगा। बिहार सरकार किसानों को धान खरीद की गारंटी नहीं दे रही है। बिहार में वाम एवं जनवादी दलों के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन संगठित होने लगा है। यदि समय रहते सरकार ने तीनों काले कानूनों को वापस नहीं लिया तो पूरे बिहार में आंदेालन चलाया जाएगा।

राजस्थान से किसान गुरुवार को करेंगे दिल्ली कूच

जयपुर से खबर है कि , किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए राजस्थान से किसान गुरुवार को दिल्ली कूच करेंगे। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि दिल्ली कूच के लिए राजस्थान से किसान शाहजहांपुर पहुंच गये हैं और रात्रि पड़ाव डाल दिया गया है। श्री जाट ने कहा कि किसानों की सरकार के साथ मंगलवार को बात हुई और गुरुवार को और बात होने वाली हैं।

उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति केन्द्र सरकार का सकारात्मक रुख नहीं रहा तो किसान गुरुवार को दिल्ली के लिए कूच कर जायेंगे। उन्होने बताया कि दिल्ली कूच करने के बाद दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के मन खोट भरा है इसलिए वह वार्ता के लिए केवल पंजाब के किसानों को ही सम्मिलित किया जबकि आंदोलन पूरे देश के किसानों का हैं।

उन्होंने कहा कि जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस नारे के साथ एक जनवरी 1965 को न्यूनतम समर्थन मूल्य की शुरुआत की थी। लेकिन उनके बाद इसकी किसी ने पालना नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर इसकी पालना की जाती तो आज देश का किसान ऋण लेने वाला नहीं, बल्कि ऋण देने वाला होता। उन्होंने कहा कि जिस दिन किसान ऋण देने वाला बन जायेगा, उस दिन उसके माथे से आत्महत्या का कलंक धूल जायेगा और देश दूनिया में नम्बर वन बन जायेगा। उन्होंने कहा कि इसी के लिए किसानों का यह आंदोलन हैं।

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