नईदिल्ली/ गाजीपुर 06 अगस्त ।पूर्व केंद्रीय मंत्री व गाजीपुर के विकास पुरुष कहे जाने वाले मनोज सिन्हा को देश के सबसे संवेदनशील जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल बनाए जाने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है ।
एक तरफ जहां कुछ राजनीति के अति उत्साही जानकारों ने श्री सिन्हा के इस नियुक्ति को उनको राजनीति के हाशिए पर धकेलना बताया तो वहीं काफी बड़ी तादाद उन लोगों की भी रही जिन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जम्मू कश्मीर रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है। ऐसे में धारा 370 समापन के ठीक एक वर्ष बाद जब वहां कुछ रचनात्मक कार्य संपादित करने हैं ऐसे में मनोज सिन्हा की नियुक्ति नरेंद्र मोदी का बड़ा दाव है।
मोदी-शाह के भरोसेमंद सिन्हा को मिली जम्मू-कश्मीर की कमान
मृदुभाषी, सौम्य, सादगीपूर्ण और ईमानदार छवि के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों तथा धारा 35 ए को खत्म करने की पहली वर्षगांठ के ठीक अगले दिन श्री सिन्हा को गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया था।
श्री सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र नेताओं में एक हैं और मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में संचार और रेल राज्यमंत्री जैसे प्रमुख पद पर रहे। तीन बार के सांसद श्री सिन्हा पिछला आम चुनाव उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से हार गये थे।
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में भाजपा की राजनीति के बड़े चेहरे श्री सिन्हा छात्र राजनीति से उभर कर आए हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्र संघ अध्यक्ष बनकर उन्होंने राजनीति जीवन शुरू किया। अपनी अद्भुत प्रशासनिक क्षमता, जुझारू और ईमानदार छवि के बूते वह केंद्रीय मंत्री बने। श्री सिन्हा पर श्री मोदी का काफी विश्वास है।
गाजीपुर जिले के मोहनपुरा गांव में एक किसान परिवार में एक जुलाई 1959 को जन्मे 61वर्षीय श्री सिन्हा ने छात्र जीवन सिन्हा से राजनीति में कदम रखने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। गांव के प्राथमिक विद्यालय से प्रारंभिक पढ़ाई करने के उपरांत आगे की शिक्षा के लिए देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बीएचयू पहुंचे। वाराणसी में ही आईआईटी की उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद यहीं से छात्र राजनीति में पदार्पण किया। वह 1982 में बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष बने। आईआईटी करने के बाद श्री सिन्हा को कई अच्छी नौकरियों की पेशकश आईं किंतु उन्होंने जीवन में राजनीति को चुना।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के झंडे तले श्री सिन्हा का राजनीतिक कद बढ़ता ही गया। वह धीरे-धीरे पूर्वांचल की राजनीति का बड़ा चेहरा बन गये।
वर्ष 1989 से 1996 तक भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहने के बाद 1996 में पहली बार गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे वह 1998 का लोकसभा चुनाव हार गए किंतु 13 माह बाद 1999 में हुए चुनाव में दूसरी बार जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद करीब 15 साल तक उन्हें चुनावी जीत का वनवास भोगना पड़ा।
भाजपा ने 2014 का आम चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा और श्री सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2014 में रेल राज्यमंत्री और उसके साथ ही संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद पर उन्होंने प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक क्षमता का बखूबी परिचय दिया। डाकघर बैंक की स्थापना और पूर्वांचल सहित देश भर में रेलवे के ढांचे में सुधार एवं विस्तार के लिए संतोषजनक परिणाम दिखाने से प्रधानमंत्री श्री मोदी का भरोसा उनमें और मजबूत हुआ।
वाणी एवं व्यवहार में संयम और शब्दों के चयन में सावधानी उनके व्यक्तित्व को गंभीरता एवं ऊंचाई देने में सहायक हुई। जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से सतत संवाद ने उनकी राजनीतिक दृष्टि को व्यापक एवं सर्व स्वीकार्य बनाने में मदद की।
उत्तर प्रदेश के 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जब प्रंचड जीत हासिल की तो श्री सिन्हा का नाम मुख्यमंत्री के रूप में आगे था किंतु अंतिम समय में बाजी योगी आदित्यनाथ के हाथ लगी।
पर वर्ष 2019 का आम चुनाव वह बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के हाथों हार गए और फिर राजनीतिक परिदृश्य से दूर हो गये। लेकिन सवा साल बाद ही न केवल राष्ट्रीय राजनीति बल्कि क्षेत्रीय भूराजनीतिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील जम्मू-कश्मीर की बड़ी जिम्मेदारी दिये जाने से साबित हो गया कि उनमें शीर्ष नेतृत्व का विश्वास पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है।
सिन्हा के उप राज्यपाल बनने से पूर्वांचल में खुशी की लहर
उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल मनोनीत किये जाने से पूर्वांचल में खुशी की लहर दौड़ गयी है।
गंवई माटी में जन्मे श्री सिन्हा बेहद मिलनसार स्वाभाव के लिये जाने जाते हैं। सिन्हा से गांव का एक सामान्य व्यक्ति भी गले लगकर अपनी बात संजीदगी के साथ कर लेता है। साफ़-सुथरी छवि के मनोज सिन्हा का जन्म का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहनपुरा में हुआ।
श्री सिन्हा ने गाजीपुर से ही अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की और फिर बीएचयू स्थित आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद मनोज सिन्हा ने एमटेक की डिग्री भी हासिल किया। लोगों के सुख-दुख में शामिल होने वाले मनोज सिन्हा का रुझान छात्र जीवन से ही राजनीति की तरफ रहा। वर्ष 1982 में मनोज सिन्हा बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने।
श्री सिन्हा छात्र राजनीति के बाद सक्रिय राजनीति के रूप में गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से अपनी राजनीति शुरू की जहां में तीन बार सांसद रहे। इस दौरान वर्ष 2014 में सांसद बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में रेल राज्य मंत्री के रूप में उनका गौरवशाली कार्यकाल रहा। इसके साथ ही उन्हें संचार मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार का अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गई थी।
खास बात यह कि रेल राज्य मंत्री रहते हुए मनोज सिन्हा द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूर्वी भारत में रेल का मजबूत नेटवर्क तैयार करते हुए आमूलचूल परिवर्तन किए। उनके द्वारा कराए गए तमाम विकास कार्यों के चलते उनकी छवि विकास पुरुष के रूप में बन गई, व लोग में विकास पुरुष के नाम से जानने लगे।
लोकसभा चुनाव 2019 में गाजीपुर लोकसभा सीट से ही तमाम विकास कार्य कराए जाने के बावजूद उन्हें सपा बसपा गठबंधन प्रत्याशी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद वह अपने क्षेत्र में लगे रहे।
खास बात यह है कि गाजीपुर जिले के मूल निवासी के तौर पर श्री मनोज सिन्हा ऐसी दूसरी शख्सियत है जो संवैधानिक पद के रूप में शपथ लेंगे। इससे पहले गाजीपुर जिले की सैदपुर तहसील निवासी कलराज मिश्रा राजस्थान के राज्यपाल हैं।
पूर्वांचल में आजमगढ़ जिले के निवासी फागू चौहान फिलहाल बिहार के राज्यपाल है। ऐसे में मनोज सिन्हा के जम्मू कश्मीर उपराज्यपाल की शपथ लेते ही गाजीपुर अपने आप में एक रिकॉर्ड में शामिल हो जाएगा। अगर पूर्व राज्यपालों की गिनती ली जाए तो आजमगढ़ जिले के निवासी स्वर्गीय राम नरेश यादव मध्य प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं। ऐसे में इस संवैधानिक पद पर रहने वाले पूर्वांचल के चौथे शख्सियत के रूप में मनोज सिन्हा शपथ लेंगे।