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पूर्व सेना अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों ने राफेल लड़ाकू विमान को भारत के पड़ोसी ‘दुश्मन’ देशों के लिये सिरदर्द बनकर दबाव बढ़ाने वाला करार दिया attacknews.in

नईदिल्ली/अंबाला/जम्मू 29 जुलाई ।अंबाला एयरबेस में राफेल विमानों के बेड़े के आगमन पर बुधवार को रक्षा विशेषज्ञों ने इसे भारत के लिए गौरवशाली क्षण करार दिया और इसे दुश्मन के लिए दबाव बढ़ाने वाला करार दिया है।

पूर्व सेना अधिकारियों की राय में ‘सुपर मशीन’ (राफेल) को शामिल करने से देश के सशस्त्र बलों, विशेष रूप से भारतीय वायु सेना को और मजबूती मिली है।

राफेल विमान भारत के लिए निर्णायक भूमिका निभाएंगे : विशेषज्ञ

इधर रक्षा विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि सटीक वार, बेजोड़ ताकत और बहुउद्देशीय भूमिका के लिए दुनिया भर में चर्चित राफेल विमानों से भारत की वायु सेना की क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी। खासकर, पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से सामना करते वक्त इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी ।

उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव के मद्देनजर राफेल विमानों को बेड़े में शामिल करने का समय भी बहुत अहम है ।

उन्होंने कहा कि वायु सेना के बेड़े में 36 राफेल विमानों को शामिल किया जाना भारत के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि ऐसी दक्षता और बेजोड़ इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली वाला विमान पड़ोस में किसी भी देश के पास नहीं है। वायु रक्षा, बेहद सटीकता से हमले, जहाज रोधी हमले की खासियत समेत इसकी अधिकतम रफ्तार 1.8 मैक है।

अमेरिका के एफ-35 और एफ-22 लड़ाकू विमानों से भी इसकी तुलना की जाती है ।

पिछले कुछ वर्षों में राफेल ने अफगानिस्तान, लीबिया, माली, इराक और सीरिया में अपना दमखम दिखाया है। फ्रांस, मिस्र और कतर के बाद भारत चौथा ऐसा देश है जिसके पास यह अत्याधुनिक विमान है।

एफ-35 से तुलना पर विशेषज्ञों ने कहा कि राफेल ज्यादा फुर्तीला है क्योंकि यह लंबे समय तक हथियारों को लेकर उच्च गति के साथ उड़ान भर सकता है। हालांकि वैमानिकी और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली के मामले में एफ-35, राफेल से आगे है।

रक्षा विशेषज्ञ लक्ष्मण बेहेरा ने बताया, ‘‘वैश्विक बाजार में उपलब्ध यह सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान है । चीन में उपलब्ध लड़ाकू विमानों की तुलना में यह अत्याधुनिक है और मारक क्षमता भी अधिक है । निश्चित तौर पर भारत की रक्षा तैयारियों को इससे बढ़ावा मिलेगा। राफेल के आगमन का समय भी बिल्कुल उपयुक्त है।’’

चीन के लड़ाकू विमान जे-20 के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसकी तुलना राफेल से नहीं की जा सकती क्योंकि फ्रांस निर्मित विमान चीनी लड़ाकू विमान की तुलना में ज्यादा दक्ष है।

पूर्व वायु सेना प्रमुख फली होमी मेजर ने भी डॉ़ बेहेरा की राय से सहमति प्रकट की ।

पूर्व वायु सेना प्रमुख ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘राफेल और जे-20 के बीच कोई तुलना नहीं है । दुनिया जे-20 के बारे में नहीं जानती है । राफेल विमान भारतीय वायु सेना की क्षमता को और बढ़ाएंगे । ’’

मनोहर पर्रिकर रक्षा अनुसंधान और विश्लेषण संस्थान में अग्रणी विशेषज्ञ डॉ. बेहेरा ने कहा, ‘‘36 राफेल विमान आ जाने पर क्षेत्र में भारत के पास बेजोड़ हवाई ताकत होगी। भारत के लिए यह निर्णयकारी भूमिका अदा करेगा । ’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन ने लड़ाकू विमानों को बेड़े में शामिल किए जाने का जरूर संज्ञान लिया होगा ।

सरकार ने सोमवार को कहा कि सभी 36 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक हो जाएगी ।

पांच राफेल लड़ाकू विमान वायुसेना के बेड़े में शामिल

भारतीय वायुसेना की आकाश में मारक क्षमता को और पैनापन देने के लिए बुधवार को पांच राफेल लड़ाकू विमान उसके बेड़े में शामिल किये गये।

फ्रांस की दसां के साथ नरेंद्र मोदी सरकार ने 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 59 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया है और पहली खेप के रूप में पांच विमान आज पहुंचे। दूसरी खेप में पांच और राफेल अगले कुछ महीनों में आ जाएंगे। उम्मीद है कि 2022 तक सभी 36 राफेल भारत को मिल जायेंगे। इन विमानों को वायुसेना की गोल्डन ऐरो 17 स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा।

फ्रांस से रवाना पांच राफेल विमानों की अम्बाला में सुरक्षित लैंडिंग

फ्रांस से 36 राफेल युद्धक विमानों की खरीद सौदे की पहली खेप के तहत पांच विमान आज अपराहन करीब साढ़े तीन बजे यहां स्थित वायु सेना केंद्र की नई हवाई पट्टी पर उतरे।

ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह के नेतृत्व में भारतीय वायु सेना के पायलटों की टीम इन पांच विमानों को लेकर यहां पहुंची। इनमें तीन विमान एक सीटर और दो विमान दो सीटर हैं जो एक-एक कर उस नई हवाई पट्टी पर उतरे जो विशेष रूप से इन विमानों के लिये बनाई गई है। वायुसेना प्रमुख आर.के. एस. भदौरिया समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी इन विमानों की अगवानी की। इन विमानों के भारत की जमीन चूमते ही वॉटर जैट की फुहारों से इनका स्वागत किया गया।

अत्याधुनिक राफेल विमानों ने गत सोमवार को फ्रांस के शहर बोर्डो स्थित में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी। करीब 7000 किमी की उड़ान के दौरान इन विमानों को हवा में ही रिफ्यूल किया गया। ये विमान मंगलवार को संयुक्त अरब अमिरात के अल दफ्रा एयरबेस पर उतरे थे। बुधवार पूर्वाहन इन्होंने 11 बजे भारत के लिये उड़ान भरी और भारतीय सीमा में इनके प्रवेश करते ही दो सुखोई 30 विमान इनकी सुरक्षा के लिये आसमान में पहुंच गये और लगभग साढ़े चार घंटे के सफर के बाद इन्हें सुरक्षित अम्बाला वायु सेना केंद्र लेकर पहुंचे। राफेल विमानों ने वायु सेना केंद्र पर इनके लिये विशेष रूप से निर्मित हवाई पट्टी पर सुरक्षित लैंडिंग की।

इन विमानों को वायुसेना के 17वीं स्क्वाड्रन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा जिसे अम्बाला वायु सेना केंद्र एयर बेस पर ‘गोल्डन एरो’ के रूप में भी जाना जाता है। हर तरह की युद्धक क्षमता वाले राफेल विमानों को मिट्योर और स्कॉल्प क्रूज मिसाइलों तथा मीका हथियार प्रणाली जैसे शक्तिशाली हथियारों से लैस किया जा सकता है। राफेल को उड़ा कर लाने वाले पायलटों को फ्रांस में ही लगभग तीन माह का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।

राफेल विमानों की यह पहली खेप है। भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया है और इस सौदे की पहली खेप में ये विमान प्राप्त हुए हैं।

 

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