नयी दिल्ली, 27 जुलाई । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने देश में प्रदूषण मुक्त यातायात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर पर जीएसटी को कम कर पांच प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
परिषद की शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई 36वीं बैठक में ये निर्णय लिये गए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की इस दूसरी बैठक में स्थानीय निकायों को 12 यात्रियों से अधिक यात्रियों की क्षमता वाली इलेक्ट्रिक बसों को किराये पर लेने को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया। अभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 12 प्रतिशत और चार्जर पर 18 प्रतिशत जीएसटी है। परिषद के ये निर्णय एक अगस्त से प्रभावी होंगे।
सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हिकल्स ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी में कटौती किये जाने का स्वागत किया है। संगठन ने कहा कि इससे लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। सरकार इलेक्ट्रिक वाहन को किफायती बनाने के लिए पहले से ही प्रयासरत है।
सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019-20 के आम बजट में इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद के लिए ऋण पर 1.5 लाख रुपये के ब्याज भुगतान पर आयकर में छूट देने की घोषणा की है। नीति आयोग ने देश में ई मोबिलिटी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2025 तक 150 सीसी से कम के सभी मोटरसाइकिलों और वर्ष 2023 तक सभी तिपहिया वाहनों को ई वाहन में बदलने की योजना बनायी है।
उधर अहमदाबाद ( गुजरात) में नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने शनिवार को कहा कि भारत ने इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग और बैटरी समेत इसके कल-पुर्जों के लिए एक सुनियोजित योजना लागू कर रखी है।
उन्होंने कहा कि इन वाहनों के अपनाने से शहर स्वच्छ होंगे तथा आयात कम होगा और सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा।
गौरतलब है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने शनिवार को ऐसे वाहनों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत और चार्जर पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत कर दिया है।
अमिताभ कांत ने कहा कि देश के बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के विनिर्माण के लिए भारी अवसर हैं। उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण अनुकूल वाहनों (इलेक्ट्रिक वाहनों) को जितनी तेजी से अपना लिया जाए , प्रदूषण और भीड़भाड़ कम करने, तथा ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और रोजगार सृजन में उतनी ही अधिक मदद मिलेगी।’
कांत ने यहां यातायात की स्वस्थ सुविधाओं के विषय पर यहां अयोजित एक संगोष्ठी को वीडियो लिंक के जरिए संबोधित किया। उन्होंने कहा ‘ इलेक्ट्रिक वाहन, खास कर दुपहिया और तिपहिया वाहन, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के वाहनों और बैटरी का भारत में निर्माण प्रोत्साहित करने की सुनियोजित योजना है। हमार लक्ष्य है कि हमें पहले प्रयास करना चाहिए कि दुपहिया, तिपहिया वाहनों और बसों के 80 प्रतिशत कल पुर्जे भारत में ही बने और बैटरी के स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को प्रोत्साहित किया जाए। ’
उन्होंने कहा अभी देश में बिजली से चलने वाले दुपहिया, तिपहिया और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन का चालन बढने से प्रदूषण कम होने के साथ-साथ पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता भी कम होगी और व्यापार घाटा कम करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि भारत में अभी प्रति 1000 आबादी पर 20 वाहन है। ऐेसे में भारत के लिए पेट्रोलियम ईंधन पर आधारित परंपरागत वाहनों को पीछे छोड़ कर इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में तेज छलांग लगाने के भारी अवसर हैं।
कांत ने कहा कि सॉलिड स्टेट लिथियम आयन बैटरी, सोडियम आयन बैटरी और सिलिकान आधारित बैटरी की नयी तरकनीकों पर काम चल रही है। भारत को बैटरी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास कार्य में तेजी से जुड़ने और बैटरी विनिर्माण बड़े पैमाने पर शुरू करने की जरूरत है।
इस अवसर पर गुजरात के मुख्य सचिव जेएन सिंह ने पत्रकारों से अलग से बातचीत में कहा कि उनका राज्य इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में देश को दिशा दिखाने को तैयार है। इसके लिए धोलेरा एक महत्वपूर्ण कस्बे के रूप में उभर रहा है। एक बड़ी कंपनी यहां बैटरी का एक बड़ा कारखाना लगाने की घोषणा करने वाली है।
उन्होंने कहा कि लिथियम आयन बैटरी कारखने की स्थापना के बारे में टाटा केमिकल्स के साथ बातचीत पूरी होने वाली है।
ऐसे वाहनों की 40 प्रतिशत लागत अकेले बैटरी पर आती है।
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