नयी दिल्ली, 18 मई । चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार क्लीन चिट दिये जाने के मामले पर चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की नाराजगी तथा आयोग की बैठकों में शामिल न होने संबंधी मीडिया रिपोर्टों को अवांछित बताते हुए शनिवार को कहा कि यह आयोग का निहायत आंतरिक मामला है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) कार्यालय की ओर से जारी एक स्पष्टीकरण में कहा गया है कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के संदर्भ में आयोग के आंतरिक मामलों को लेकर मीडिया में उठा विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है।
सीईसी कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव सम्पन्न कराने के क्रम में जो मुद्दे उभरकर सामने आये हैं उन पर विमर्श के लिए 21 मई को एक बैठक पहले से ही निर्धारित है। इस बैठक में जिन 13 मुद्दों पर चर्चा होनी है, उनमें आदर्श आचार संहिता भी शामिल है।
सीईसी कार्यालय का कहना है कि जब आयोग सातवें एवं अंतिम चरण के मतदान की तैयारी में जुटा है और उसने अब तक सभी चरण शांतिपूर्ण एवं पारदर्शी तरीके से सम्पन्न किया है तो मीडिया के एक हिस्से में आयोग के आंतरिक कामकाज को लेकर विवाद खड़ा करना अवांछित है।
आयोग का यह भी कहना है कि उसके सभी सदस्य बिल्कुल एक जैसे नहीं होते तथा अतीत में भी उनकी राय कई मामलों में अलग-अलग रही है और होनी भी चाहिए, लेकिन आयोग के नियमों और दिशा निर्देशों के दायरे में ही फैसले लिये जाते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्री लवासा का कहना है कि श्री मोदी को आदर्श चुनाव आचार संहिता के मामले में क्लीन चिट दिये जाने का फैसला लिये जाते समय उन्होंने इस पर असहमति व्यक्त की, लेकिन उनकी आपत्तियों को रिकॉर्ड नहीं किया गया लिहाजा आयोग की बैठकों में भाग लेने का कोई औचित्य नहीं है।
गत दिनों अखबारों में यह खबर आई थी कि श्री मोदी को क्लीन चिट दिए जाने पर श्री लवासा ने आपत्ति दर्ज करायी थी और उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त को इस बारे में पत्र भी लिखा था।
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