Home / चुनाव / सन् 1984 के आठवें लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी हत्याकांड से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस पार्टी ने अपराजेय प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की थी attacknews.in

सन् 1984 के आठवें लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी हत्याकांड से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस पार्टी ने अपराजेय प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की थी attacknews.in

नयी दिल्ली 31 मार्च । खालिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध विशेष अभियान छेड़ने को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हुयी हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर के चलते 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रचंड बहुमत से देश में फिर से सत्तारुढ हुयी थी।

राजनीतिक रुप से कम अनुभवी लेकिन नवीन प्रौद्योगिकी के प्रति बेहद लगाव रखने वाले युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने यह चुनाव लड़ा और वह रिकार्ड 404 सीट पाने में सफल रही । इस चुनाव ने भारतीय जनता पार्टी की कमर तोड़कर रख दी जबकि आन्ध्र प्रदेश में फिल्मों से गहरा संबंध रखने वाले नंदमूरि तारक रामाराव के नेतृत्व में तेलगू देशम पार्टी मजबूती से उभरी ।

इस चुनाव के पहलेे पंजाब में खलिस्तानी उग्रवादियों के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की गयी थी जिसमें अनेक लोगों की मौत हुयी थी इससे उपजी नाराजगी में श्रीमती गांधी के सुरक्षाकर्मियों ने ही उनके आवास में उनकी निर्मम हत्या कर दी थी जिसके बाद देश के अनेक हिस्सों में सिख विराेधी दंगे हुये थे जिनमें जानमाल की भारी हानि हुयी थी। लोकसभा के मुख्य चुनाव के साथ पंजाब और असम में चुनाव नहीं कराये जा सके थे। इन दोनों राज्यों में अगले साल चुनाव कराया गया।

इस चुनाव की विशेषता यह थी कि राजीव गांधी ने अपने छोटे भाई की पत्नी मेनका गांधी को , माधवराव सिंधिया ने अटल बिहारी वाजपेयी को , अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को , ममता बनर्जी ने सोमनाथ चटर्जी को , सी जे रेड्डी ने पी वी नरसिंह राव को , राम रतन राम ने राम विलास पासवान को , जगन्नाथ चौधरी ने चन्द्रशेखर को और सुनिल दत्त ने राम जेठमलानी को पराजित किया था ।

लोकसभा की 514 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में 401 सीट सामान्य श्रेणी की थी जबकि 75 अनुसूचित जाति एवं 38 अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित थी। उस समय देश के 37 करोड़ 95 लाव 40 हजार से अधिक मतदाताओं में से 63.56 प्रतिशत ने मतदान कर कुल 5312 उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला किया था । इस चुनाव में कुल सात राष्ट्रीय दलों ने हिस्सा लिया था जिनमें कांग्रेस , कांग्रेस (सोसलिस्ट) , भारतीय जनता पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , जनता पार्टी और लोकदल शामिल थी । राज्य स्तरीय पार्टियों में द्रमुक , अन्नाद्रमुक , फारवर्ड ब्लाक , आल इंडिया मुस्लिम लीग , मुस्लिम लीग , महाराष्ट्रवादी गांमांतक पार्टी , जम्मू एंड कश्मीर कांफ्रेंस , केरल कांग्रेस , केरल कांग्रेस (जे), आरएसपी , तेलगू देशम समेत कुल 17 दल शामिल थे । इसके अलावा नौ निबंधित पार्टियों ने भी चुनाव लड़ी थी जिनमें दूरदशी पार्टी , झारखंड पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख थी ।

कांग्रेस ने 491 , कांग्रेस (सोसलिस्ट) ने 31 , भाजपा ने 224 , भाकपा ने 61 , माकपा ने 59 , जनता पार्टी ने 207 और लोकदल ने 171 सीटों पर चुनाव लड़ा था । राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 1244 उम्मीदवार उतारे थे जबकि राज्य स्तरीय पार्टियों ने 151 और निबंधित पार्टियों ने 126 प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया था । कुल 3791 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने दमखम पर चुनाव लड़ा था । राष्ट्रीय पार्टियों को कुल 79.80 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 451 प्रत्याशी विजयी हुये थे । राज्य स्तरीय पार्टियों को 11.56 प्रतिशत वोट मिले थे और उनके 58 उम्मीदवार जीते थे । निबंधित पार्टियों का खाता भी नहीं खुल सका था जबकि निर्दलीय को 7.92 प्रतिशत वोट मिले थे और उन्हें पांच स्थानों पर सफलता मिली थी ।

सहानुभूति लहर में कांग्रेस को 49.10 प्रतिशत मिले थे और उसके 404 उम्मीदवार निर्वाचित हुये थे । कांग्रेस (सोसलिस्ट) को 1.52 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके चार प्रत्याशी जीते थे । देश में जड़ जमाने के प्रयास में लगी भाजपा को तगड़ा झटका लगा था । उसे 7.74 प्रतिशत वोट तो मिले लेकिन उसके केवल दो उम्मीदवार जीत सके । भाकपा को छह सीट मिली थी जबकि माकपा को पश्चिम बंगाल में बेहतर प्रदर्शन करने के कारण उसकी सीटों की संख्या बढकर 22 हो गयी थी । जनता पार्टी को 6.89 प्रतिशत वोट मिला और उसके 10 प्रत्याशी चुने गये थे जबकि लोकदल को 5.97 प्रतिशत वोट मिले और उसके तीन उम्मीदवार ही जीत सके ।

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 83 , बिहार में 48 , आन्ध्र प्रदेश में छह , अरुणाचल प्रदेश में दो , गुजरात में 24 , हरियाणा में दस , हिमाचल प्रदेश में चार , जम्मू कश्मीर में तीन , कर्नाटक में 24 , केरल में 13 , मध्य प्रदेश में 40 , महाराष्ट्र में 43 , उड़िसा में 20 , राजस्थान में 25 , तमिलनाडु में 25 , पश्चिम बंगाल में 16 , दिल्ली में सात , मणिपुर और मेघालय में दो- दो , नागालैंड , गोवा दामन दीव , अंडमान निकोबार , चंडीगढ , लक्ष्यद्वीप और पुड्डीचेरी में एक – एक सीट मिली थी ।

कांग्रेस (सोसलिस्ट) को आन्ध्र प्रदेश और केरल में एक – एक तथा महाराष्ट्र में दो सीटें मिली थी । भाकपा को आन्ध्र प्रदेश में एक , बिहार में दो और पश्चिम बंगाल में तीन जबकि माकपा को आन्ध्र प्रदेश और केरल में एक – एक , त्रिपुरा में दो और पश्चिम बंगाल में 18 सीटें मिली थी । भाजपा को आन्ध्र प्रदेश और गुजरात में एक एक सीट मिली थी । जनता पार्टी को आन्ध्र प्रदेश , बिहार , गुजरात , केरल , महाराष्ट्र और उड़िसा में एक – एक सीट तथा कर्नाटक में चार सीटें मिली थी । लोकदल को बिहार में एक और उत्तर प्रदेश में दो सीटें मिली थी ।

अन्नाद्रमुक को तमिलनाडु में 12 , द्रमुक को इसी राज्य में दो , फारवर्ड ब्लाक को पश्चिम बंगाल में दो , आरएसपी कों पश्चिम बंगाल में तीन आैर मुस्लिम लीग को केरल में दो सीटें मिली थी । सबसे बड़ी बात यह थी कि आन्ध्र प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी ने 30 सीटों पर कब्जा कर लिया था । इसके अलावा कुछ अन्य दल छिटपुट रुप से जीतने में कामयाब रहे थे । निर्दलीय उम्मीदवार आन्ध्र प्रदेश , बिहार , महाराष्ट्र , सिक्कम , और दादर नागर हवेली में एक एक सीट जीत गये थे ।

प्रधानमंत्री राजीव गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी में लगभग एकतरफा मुकाबले में निर्दलीय मेनका गांधी को भारी मतों से हराकर निर्वाचित हुये थे । श्री गांधी को कुल 3,65,041 और श्रीमती गांधी को 50,163 वोट मिले थे । रायबरेली में कांग्रेस के अरुण नेहरु ने लोकदल की अम्बेदकर सविता को भारी अंतर से हराया था । श्री नेहरु को 314028 और श्रीमती सविता को 56475 वोट मिले थे । जनता पार्टी के चन्द्रशेखर बलिया सीट पर कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी से चुनाव हार गये थे । श्री चन्द्रशेखर को 172044 और श्री चौधरी को 225984 वोट मिले थे । मशहूर फिल्म अभिनेता और कांग्रेस के उम्मीदवार अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद में दिग्गज नेता और लोकदल के उम्मीदवार हेमवती नंदन बहुगुणा को हरा दिया था । श्री बच्चन को 297461 और श्री बहुगुणा को 109666 वोट मिले थे । बागपत में लोकदल के नेता चौधरी चरण सिंह निर्वाचित हुये थे । बिहार के हाजीपुर (सु) में लोकदल के उम्मीदवार राम विलास पासवान कांग्रेस के राम रतन राम से चुनाव हार गये थे । कांग्रेस (जे) के टिकट पर जगजीवन राम सासाराम में जीत गये थे । इस चुनाव में पटना सीट पर कांग्रेस के टिकट पर प्रख्यात चिकित्सक डा़ सीपी ठाकुर ने भाकपा के रामावतार शास्त्री को हरा दिया था ।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस उम्मीदवार ममता बनर्जी ने दिग्गज माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर सीट पर पराजित किया था । सुश्री बनर्जी को 331618 और श्री चटर्जी को 311958 वोट मले थे । भाकपा के दिग्गज नेता इन्द्रजीत गुप्त बसीरहाट सीट पर कांग्रेस के कमल बसु को हराया था । हावड़ा सीट पर कांग्रेस के प्रियरंजन दास मुंशी निर्वाचित हुये थे । आन्ध्र प्रदेश में जबरदस्त झटके के बावजूद कांग्रेस के एन जी रंगा गुंटूर लोकसभा क्षेत्र में तेलगू देशम के चन्द्रशेखर राव से करीब 12 हजार मतों से जीत गये थे ।

इसी राज्य में कांग्रेस के टी अंजैया सिकन्दराबाद सीट पर भाजपा के बंडारु दत्तात्रेय से चुनाव जीत गये थे । हनमकोंडा सीट पर कांग्रेस के पी वी नरसिंह राव भाजपा के सी जे रेड्डी से करीब 54 हजार मतों से चुनाव हार गये थे । इस चुनाव में जनता पार्टी के एस जयपाल रेड्डी ने महबूबनगर सीट पर कांग्रेस के मल्लिकाजुर्न को पराजित किया था ।

महाराष्ट्र के वासिम सीट पर कांग्रेस के गुलाम नवी आजाद दूसरी बार निर्वाचित हुये थे । उन्होंने कांग्रेस (सोसलिस्ट) के प्रत्याशी गोकुल दास को हराया था । श्री आजाद को 197822 और श्री दास को 187463 वोट मिले थे । बाम्बे उत्तर पश्चिम सीट पर कांग्रेस के सुनील दत्त ने भाजपा के राम जेठमलानी को पराजित किया था । सुनील दत्त को 308989 और श्री जेठमलानी को 154349 वोट मिले थे ।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी को कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने पराजित किया था । श्री वाजपेयी को कुल 132141 वोट तथा श्री सिंधिया को 307735 वोट मिले थे । राजस्थान के जोधपुर सीट पर कांग्रेस के अशोक गहलोत निर्वाचित हुये थे । वर्ष 1985 में पंजाब और असम में चुनाव कराये गये । असम की 14 सीटों में से कांग्रेस को चार और पंजाब की 13 सीटों में से कांग्रेस को छह और अकाली दल को सात सीटें मिली थी ।

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