जबलपुर 13 फरवरी। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह धार्मिक एवं अध्यात्मिक निष्ठा से नर्मदा मैया की परिक्रमा कर रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरियर से दूरी बना ली है. करीब 2400 किमी की पैदल परिक्रमा पूरी कर जबलपुर पहुंचे दिग्विजय ने बयान दिया है कि वे राजनेता हैं, और इस धार्मिक यात्रा के बाद कोई पकौड़े नहीं तलने वाले हैं.attacknews.in
इससे साफ है कि वे कि उन तमाम नेताओं को कड़ा संदेश है जो प्रदेश की राजनीति में उनकी निवृत्ति की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
मध्य प्रदेश में नवंबर 2018 तक चुनाव होना है. ऐसे में दिग्विजय सिंह की यह यात्रा कांग्रेस के भीतर ही एक नए राजनीतिक आयाम के तौर पर देखी जा रही है.attacknews.in
टिकट के दावेदार मिल रहे हैं उनसे-
कयास लग रहे हैं कि दिग्विजय सिंह इस नर्मदा परिक्रमा से मध्य प्रदेश में अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ा रहे हैं. जिस तरह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हुजूम उनकी परिक्रमा में उमड़ रहा है वह उनके प्रभाव को नए सिरे से स्थापित कर रहा है. प्रदेश की 90 विधानसभा क्षेत्रों से गुजर रही उनकी यात्रा में पूरे प्रदेश से टिकट के दावेदार हाजरी लगा रहे हैं. जगह-जगह व्यवस्था जुटा रहे हैं तो उनके साथ कदमताल कर अपने राजनीतिक भविष्य की आस बांध रहे हैं.
हालांकि खुद दिग्विजय सिंह परिक्रमा के दौरान न तो वे कोई राजनीतिक बयान दे रहे हैं और न ही राजनीतिक मुद्दे उठा रहे हैं, लेकिन फिर भी कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मानने लगे हैं कि दिग्विजय सिंह अब प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के बतौर उभर रहे हैं.
राजनीतिक सफर का बदलाव
2018 का यह चुनाव एक तरह से उनके राजनीतिक करियर का टर्निंग पाइंट बनकर उभर रहा है. वे न सिर्फ अपनी छवि बदल रहे हैं, बल्कि अब उन्हें एक उदारवादी हिंदू नेता के बतौर पहचान मिल रही है. जो उनके राजनीतिक विरोधियों के लिए भी जवाब है जो यह आरोप लगाते रहे हैं कि दिग्विजय कार्यकर्ताओं के तो नेता हैं, लेकिन जनता के नेता नहीं हैं. यह परिक्रमा उन्हें जनता के बीच एक धर्मपरायण हिंदू नेता के बतौर स्थापित कर रही है.attacknews.in
इसके बाद दूसरी यात्रा की तैयारी
दिग्विजय सिंह के करीबी वरिष्ठ कांग्रेस नेता महेश जोशी भी मानते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में राजा अब महत्वपूर्ण भूमिका में होंगे. उनकी नर्मदा परिक्रमा कांग्रेस कार्यकर्ता को खींचकर मैदान में ला रही है. यह कांग्रेस की वापसी के संकेत हैं. वे दिग्विजय सिंह की इस परिक्रमा का बड़ा श्रेय उनकी पत्नी अमृता सिंह को देते हुए कहते हैंं कि इतनी कठिन और मुश्किल यात्रा में जिस तरह उन्होंने अपने पति का साथ दिया है, वह काबिले तारीफ है. उनके सहयोग के बिना दिग्विजय यह यात्रा नहीं कर सकते थे.
वे कहते हैं दिग्विजय सिंह इस परिक्रमा के बाद एक दूसरी यात्रा की तैयारी कर रहे हैं. जो प्रदेश के हर जिले में जाकर सीधे जनता से संवाद यात्रा होगी.
बने हैं कई राजनीतिक समीकरण
इस परिक्रमा से और भी कई राजनीतिक पेंच खड़े होते दिख रहे हैं. कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य की राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है. वहीं वरिष्ठ नेता कमलनाथ को बागडोर नहीं सौंपी गई है. हाइकमान भी वेट एंड वॉच की स्थिति में दिखाई दे रहा है.attacknews.in
सिंधिया को कमान सौंपी जाए ऐसे नारे खुलकर लग रहे हैं. तो कमलनाथ के समर्थन में उनके समर्थक शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन हाइकमान ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है. कांग्रेस खेमे से खबरें आती हैं कि दिग्विजय सिंह, कमलनाथ के नाम पर राजी हैं लेकिन सिंधिया के नाम पर उनकी सहमति सवालों के घेरे में है.
बड़े क्षत्रप बनकर उभरे
यह परिक्रमा दिग्विजय को एक बड़े क्षत्रप की तरह स्थापित कर रही है, जिनके पास सबसे ज्यादा समर्थक हैं. यूं भी 10 साल तक मुख्यमंत्री इसके पहले 10 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहकर उन्होंने कार्यकर्ता से सीधा संवाद जोड़ा है. वे एक एक कार्यकर्ता को जानते हैं, और उसे नाम से पुकारते हैं. ऐसी पकड़ न तो कमलनाथ की है और न ही सिंधिया की. याने एक तरह से 2018 के चुनाव में दिग्विजय किंगमेकर बनकर उभरते दिखाई दे रहे हैं.attacknews.in