नयी दिल्ली, दो मार्च ।राज्यसभा में पिछले दिनों दिल्ली में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे तथा इसी हंगामे के बीच सदन चलाने पर अड़े सत्ता पक्ष के मध्य सोमवार को ‘‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’’ का नजारा देखने को मिला।
विपक्ष के हंगामे के कारण एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब बैठक फिर शुरू हुई तो उप सभापति हरिवंश ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का नाम पुकारा। इसी बीच आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गये।
विधेयक को चर्चा के लिए पेश करने के बाद निशंक ने इसके बारे में सदन को जानकारी देना शुरू किया। हंगामे के बीच मानव संसाधन विकास मंत्री ने जब अपनी बात को जारी रखा तो कांग्रेस नेता जयराम रमेश को सत्ता पक्ष के कई सदस्यों से बात करते हुए देखा गया। रमेश को सदन के नेता थावरचंद गहलोत, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल से बात करते हुए निशंक की ओर इशारा करते हुए देखा गया।
इस बीच, सत्ता पक्ष की सबसे अग्रिम पंक्ति में जहां निशंक अपनी बात रख रहे थे, उनके सामने विपक्ष के कई सदस्यों ने आकर नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि इसके बावजूद निशंक ने अपनी बात को जारी रखा।
इसके बाद गहलोत एवं अन्य केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा किये गये संकेत का पालन करते हुए निशंक अपने कागजात लेकर पहली पंक्ति से तीसरी पंक्ति में आ गये और उन्होंने वहां से अपनी बात पूरी की। इस प्रकार निशंक विधेयक पर हंगामे के बीच करीब 15 मिनट तक लगातार बोलते रहे।
उनके बाद भाजपा के सत्यनारायण जटिया हंगामे के बीच ही बोले और फिर उपसभापति ने दोपहर करीब ढाई बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
दिल्ली हिंसा पर राज्यसभा में हंगामा
इससे पहले राज्यसभा में दिल्ली हिंसा को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने भारी हंगामा करते हुए सरकार पर ‘सोये रहने’ का आरोप लगाया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गयी।
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सुबह सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए जरुरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये और कहा कि दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में चल रहे हालात पर कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं और इस मुद्दे पर चर्चा भी बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि लेकिन चर्चा से पहले हालात सामान्य होने चाहिए। सभी दलों और सदस्यों को हालात सामान्य बनाने में सहयोग करना चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि नोटिसों पर सदन के नेता और सदन में विपक्ष के नेता के साथ विचार विमर्श करने के बाद चर्चा करने का समय तय किया जाएगा। इसपर विपक्ष के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गये और शोर शराबा करने लगे। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘तीन दिन तक सरकार सोई’ रही। इस पर सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं है। कांग्रेस के आनंद शर्मा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय जोर जोर से बोलने लगे जो सुना नहीं जा सका।
इसके बाद आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और पार्टी के दो अन्य सदस्य सभापति के आसन की ओर बढ़ने और कांग्रेस तथा विपक्ष के अन्य सदस्यों ने उनका साथ देना शुरु कर दिया। इस बीच तृणमूल कांग्रेस की शांता छेत्री और पार्टी के दो अन्य सदस्यों ने अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध ली और अपने सीटों पर मौन खड़े गये।
सभापति ने कहा कि आसन को काली पट्टी नहीं दिखायी जा सकती। इस बीच विपक्षी दलों के सदस्यों ने नारे लगाने शुरू कर दिये। सभापति ने बार बार सदस्यों से शांत होने और सदन चलने देने की अपील की लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। स्थिति को देखते हुए उन्होंने सदन की कार्यवाही लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
संसद भवन परिसर में कांग्रेस का प्रदर्शन
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सांसदों ने बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सोमवार को संसद भवन परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया और दिल्ली में हिंसा रोकने में असमर्थ रहने के लिए गृहमंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की।
कांग्रेस सांसद श्री गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रपिता की प्रतिमा के समक्ष एकत्र हुए और हाथों में नारे लिखी तख्तियां लेकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस सांसद अमित शाह इस्तीफा दो, प्रधानमंत्री जवाब दो, देश को बचाओ, लोकतंत्र बचाओ जैसे नारे लगाते रहे।
प्रदर्शन कर रहे सांसदों में श्री गांधी के अलावा, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी व्हिप के. सुरेश, शशि थरूर, गौरव गोगोई सहित कई सांसदों ने धरना दिया और प्रदर्शन किया।
कांग्रेस पहले ही श्री शाह के इस्तीफे की कई बार मांग कर चुकी है। इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और उनसे श्री शाह के इस्तीफा मांगने का आग्रह किया था।